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December 27, 2020
सूरज,चाँद तारों के सामने क्यों खड़े हो गए हैं जुगनू?
पत्रकार संघ के चुनावों में डॉ रमेश अग्रवाल की टीम को क्यों चुनौती दे रहे हैं नरेश राघानी और उनके समर्थक
रमेश अग्रवाल का अध्यक्ष बनना तय है, ये जान कर भी प्रजातांत्रिक मूल्यों के नाम पर क्यों चल रहा है खेल
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अजमेर कई चीज़ों और नाचीज़ों के लिए प्रसिद्ध है। दुनिया में अजमेर को सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की तपस्या स्थली के रूप में जाना जाता है। अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए श्रद्धा से देखा जाता है। अजमेर सम्राट पृथ्वीराज की राजधानी के रूप में भी सम्मानित है। प्रातः स्मरणीय इलायची बाई की गद्दी के लिए भी अजमेर अपनी अलग से पहचान रखता है ,और भी कई वजह हैं कि लोग अजमेर का नाम आते ही श्रद्धा से सर झुका लेते हैं ।उनमें से एक वज़ह यह भी है कि अजमेर में पत्रकारिता के दैदीप्यमान सूरज, चांद, सितारे ,ग्रह नक्षत्र सभी अपनी अपनी जगह मौजूद हैं ।
अजमेर के अंधेरे को जड़ से ख़त्म करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ डॉक्टर रमेश अग्रवाल जैसे सुलझे हुए पत्रकार जहां मौजूद हैं वहीं उनके सामने नरेश राघानी जैसे उजालेदार जुगनू भी मौजूद हैं ।
इन दिनों सूरज और जुगनू आमने-सामने हैं ।मुद्दा प्रेस क्लब के अध्यक्ष बनने का है ।अब तक डॉक्टर रमेश अग्रवाल जैसे सूरज को चुनौती देने के लिए किसी की हिम्मत नहीं थी। जो थे वही थे । सच कहूं तो राज्य में वे ही ऐसे प्रकाश पुंज हैं जिनका कोई जवाब ना हुआ ना है ना होगा। वे अपराजेय हैं ! वे निर्विकार हैं ! वे बेजोड़ हैं! बेमिसाल हैं! हो सकता है कुछ मति भ्रमित लोग उनके चमत्कारी औरा( यश चक्र )को देख नहीं पा रहे हों मगर मुझे तो उनमें हमेशा असली सूरज नज़र आता रहा है।
मैंने उनके साथ कई पारियां खेली हैं ।उन्हें बहुत नज़दीक से देखा है ।वे न केवल श्रेष्ठ पत्रकार हैं बल्कि अति श्रेष्ठ व्यक्ति भी हैं ।उनमें वे सभी गुण धर्म मौजूद हैं जो किसी दैविक पुरुष में होने चाहिए ।
डॉ अग्रवाल की पत्रकारिता अद्भुत है ।उन्होंने अपनी खूबियों को ही अपनी ताक़त बनाया ।यह उनकी सर्वमान्य छवि ही है कि उनका पत्रकार संघ आज देश के सबसे लोकप्रिय संघों में से एक है।
रमेश जी के पत्रकार- संघ से पहले एक और पत्रकार- संघ पहले से ही मौज़ूद था ।वहां परम श्रद्धेय आदरणीय दीनबंधु चौधरी जी का एकछत्र राज था ।था क्या आज भी है और जीवन पर्यंत रहेगा भी।शायद कुछ लोगों को लगता था कि वो संघ तानाशाही का शिकार है, ऐसे में डॉक्टर रमेश अग्रवाल ने एक सपना देखा ।एक ऐसे पत्रकार संघ का, जो आदर्शों की पाठशाला हो ! नैतिकता का विश्वविद्यालय हो ! आचरणों का पूजा स्थल हो! सभी मज़हबों की इबादतगाह हो! और हाँ, ऐसा कोई सपना नहीं जो रमेश अग्रवाल जी ने देखा हो और जो पूरा न हुआ हो!
हम दोनों ने जब पत्रकारिता शुरू की थी तो हम दोनों ही नवज्योति में काम करते थे । नई उम्र थी। परम आदरणीय स्वर्गीय श्याम सुंदर शर्मा और नरेंद्र चौहान हमारे बॉस थे। आदरणीय नरेंद्र चौहान तब सिटी इंचार्ज थे और मैं सिटी रिपोर्टर हुआ करता था ।भाई रमेश अग्रवाल तब ट्रांसलेटर के पद पर आए थे ।उस समय भी मुझे लगता था कि भाई रमेश बहुत ऊंचा जाएंगे! मुझे ख़ुशी है कि उन्होंने न केवल पत्रकारिता बल्कि कई क्षेत्रों में अजमेर को नई पहचान दी ।डॉ अग्रवाल ने पत्रकार संघ की स्थापना की और जल्द ही वह अन्य पत्रकार संघ से आगे निकल गया।
इस पत्रकार संघ की सबसे मजेदार बात यह थी कि इस पत्रकार संघ में सिर्फ़ पत्रकार ही शामिल नहीं हुए बल्कि शहर के सभी प्रबुद्ध वर्ग के लोग भी सम्मिलित किए गए ।देखते ही देखते कलाकारों, व्यापारियों, अधिकारियों , और सर्वहारा वर्ग तक के लोग भी इस पत्रकार संघ से जुड़ कर पत्रकारों के कुनबे में शामिल हो गए। ऐसे में डॉ अग्रवाल पर कुछ भृमित लोगों ने भानुमति का कुनबा जोड़ने जैसे आरोप भी लगाए लेकिन मुझे ख़ुशी है कि उन्होंने कभी निंदा करने वालों की परवाह नहीं की।उनकी समझदारी तो यह रही कि उन्होंने कभी अपने निंदकों को नियरे आने ही नहीं दिया। वे जानते हैं कि निंदको को लिफ़्ट देने से आदमी की कार्य शक्ति अनावश्यक रूप से प्रभावित होती है।वे नकारात्मकता पैदा करते हैं।
डॉ अग्रवाल ने सकारात्मक प्रवृत्ति के लोगों की एक लंबी फौज़ इकट्ठी की ।देखते ही देखते वे अब ज़िले में हर मनोकामना पूर्ण करने वाले कल्पवृक्ष बन गए हैं।
मित्रों!! सुना है अब कुछ जुगनुओं ने मिलकर सूरज को ललकारा है । मुझे पता है कि उनका क्या हश्र होने वाला है ।शायद वे खुद भी जानते होंगे मगर पता नहीं कौनसी चोट है जो उनको अग्नि पुंज सूरज का सामना करने के लिए विवश कर रही है
कोई तो कीड़ा है जो नरेश राघानी के जिस्मानी हिस्सों में प्रजातांत्रिक मूल्यों का नाम ले ले कर कुलबुला रहा है। कल तक रमेश जी! आदरणीय भाई साहब ! आदरणीय रमेश जी ! कहते हुए जिस नरेश राघानी का मुंह नहीं थकता था ,वह आज अचानक क्यों उनके सामने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहा है
सर्वमान्य शक्तिपुंज को चुनौती देने का परिणाम जानते हुए भी वह शहीदी जत्थे में शामिल क्यों हो गया है
नरेश राघानी जी आप अभी नए-नए पत्रकार हैं ! डॉक्टर अग्रवाल की रगों में बहते लहू का रंग नहीं जानते !! आप कहते हैं कि हर बार वे ही अध्यक्ष क्यों बनना चाहते हैं
मैं पूछता हूँ कि आपको उनके हर बार अध्यक्ष बनने से प्रॉब्लम क्या है उनके नाम से पत्रकार संघ जाना पहचाना जाता है मेरे भाई..! पत्रकार और अन्यकार उनको हर बार यदि अपना कप्तान मान लेते हैं तो आप चुनाव कराने जैसे कुकृत्य से क्यों जुड़ रहे हैं
आपकी टीम को शायद पता नहीं कि आधुनिक पत्रकारिता उनके नाम से शुरु होती है! वे हजारों लोगों और सैंकड़ों पत्रकारों के गॉडफादर हैं! प्रेरणा के स्रोत हैं !
उम्र और अनुभव में , मैं उनसे सीनियर होने के बावजूद हमेशा उनका सम्मान करता रहा हूँ। मैंने कई बार चाहा कि मुझे उनके पत्रकार संघ का मामूली सदस्य बना दिया जाए मगर उनके कुछ परम सलाहकारों ने यह सौभाग्य मुझे कभी प्राप्त नहीं होने दिया! काश! टेलर, हलवाई और अन्य व्यापारियों के साथ साथ मुझे भी सदस्य बना लिया जाता! पर मेरी तो शायद तकदीर ही फूटी हुई थी जो मैं भाई रमेश अग्रवाल के पास बैठने का सुख प्राप्त नहीं कर पाया।
और इधर नरेश राघानी एक तुम हो ! इतने सौभाग्यशाली कि तुम उनके साथ रहने का पुण्य कमा रहे हो। मेरे भाई ! तुम ये क्या कर रहे हो तुम उनके सामने खड़े क्यों हो रहे हो बैठ जाओ यार!! सूरज के सामने कोई परिंदा उड़ कर सिर्फ जल ही सकता है ।
डॉ अग्रवाल!! मेरे छोटे भाई !! प्लीज इन सब लोगों को माफ कर देना ! ये आपको अभी नहीं जानते! ये समझ रहे हैं कि आपको हर बार चुनाव नहीं लड़ना चाहिए! औरों को भी मौका दिया जाना चाहिए! नए परिंदों को भी उनके हिस्से का आसमान दिया जाना चाहिए! नन्हे चूजों को भी उड़ना सिखाया जाना चाहिए !
रमेश जी ! ये तो आप हैं जो पद की गरिमा को ध्यान में रखते हैं वरना क्या नरेश और क्या उनकी टीम
ये जो आप पर अध्यक्ष पद के मोह में बंधे होने का आरोप लगा रहे हैं इनको कौन समझाए कि आपका इस मामूली से अध्यक्ष पद का कोई मोह नहीं ! ऐसे कई पदों को तो आप ठोकर मार चुके हैं ! पत्रकार संघ के अध्यक्ष का पद आपके क़द से बहुत छोटा है। यह पूरी दुनिया मानती है!
डॉक्टर रमेश अग्रवाल का दुनिया मे सम्मान सिर्फ़ पत्रकार संघ के अध्यक्ष होने के कारण नहीं , बल्कि महान व्यक्तित्व होने के कारण है। इस पद पर वे यदि आज चुनाव न भी लड़ें तो कोई फर्क नहीं पड़ता मगर राघानी जी और उनके कुछ पत्रकार मित्र यह सोचते हैं कि अग्रवाल जी यदि अध्यक्ष नहीं रहे तो लोग उनका सम्मान नहीं करेंगे।शहर जानता है इस पद से संघ की उन्होंने शोभा बढ़ाई है ।कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं उठाया।वे जो हैं या उनके पास जो है वह पत्रकार संघ की देन नहीं।
ईश्वर ! ऐसे लोगों को माफ़ कर देना जो डॉक्टर अग्रवाल के असली क़द को नापने का यंत्र ही नहीं रखते।
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