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December 22, 2020
राजस्थान की काँग्रेसी सियासत पेट से: अजय माकन की लिस्ट से पैदा होगा अद्भुत क्रांति-पुत्र
बीच के रास्ते में काँग्रेसी खड़े हैं सूखी झाड़ियां और टायर लेकर
फिर से बाड़े बंदी का अंदेशा
सचिन पायलट के बाड़े में होंगे इस बार 25 विधायक
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
राज्य की कांग्रेस उम्मीद से है। सियासत के पैर भारी हैं।। अजय माकन की नई लिस्ट तय करेगी कि सचिन पायलट और गहलोत के बीच पैदा होने वाली दरार का भविष्य क्या होगा गहलोत और सचिन के बीच मतभेदों की जो बाड़े बंदी हुई उसे अजय माकन से बड़ी उम्मीदें हैं। जो कांग्रेसी गहलोत के बाड़े में बंद रहे वे अपने आप को वफ़ादार कांग्रेसी मानते हुए अपनी वफादारी की कीमतों को लेकर उम्मीद जमाए बैठे हैं, जबकि सचिन पायलट के बाड़े में रहने वाले कांग्रेसी नेता कांग्रेस में पुनः लौटाने का ईनाम मांग रहे हैं।
अजय माकन को दोनों तरफ से नामों की लिस्ट थमा दी गई है। ज़िद्दी गहलोत और अकड़ू सचिन ने साफ़ कर दिया है कि यदि लिस्ट के साथ छेड़छाड़ की गई तो उन्हें मान्य नहीं होगी। माकन बीच का रास्ता निकालने की ज़द्दोज़हद में लिस्ट जारी नहीं कर पा रहे। होने वाला क्रांति -पुत्र पैदा होने से पहले ही पेट में ही कढ़ी फुल्के मांग रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने दिल्ली जाकर अजय माकन के समक्ष अपना पक्ष साफ कर दिया है। दोनों तरफ ही आग बराबर की लगी हुई है। बीच का रास्ता पैदल का है । माकन का फैसला क्या होगा, यह अभी तय नहीं, मगर यह तय है कि वह कभी भी हो ,वे कैसी भी लिस्ट जारी कर दें, कांति तो होकर ही रहेगी।
कांग्रेस में बगावत का होना शत प्रतिशत तय है। गहलोत समर्थक अतिरिक्त उत्साह में बावले हो रखे हैं। वे सत्ता और संगठन दोनों में ही अपनी हिस्सेदारी बराबर की मान कर चल रहे हैं । माकन जी की लिस्ट को यदि सोनिया गांधी भी प्रमाणित कर दें तो भी दोनों गुट तो नाराज़ ही रहेंगे।
सचिन पायलट का तर्क है कि हाल ही में हुए निकाय चुनावों में उनके घुड़सवारों ने ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। इसलिए सत्ता में उनकी पकड़ को ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह बात सही भी है कि सचिन पायलट के बाड़े में बंद विधायकों और पूर्व मंत्रियों ने अपने अपने कार्य क्षेत्र में भाजपा को क़रारी शिक़स्त दी है ।पचास निकाय चुनावों में जहां सचिन के समर्थकों को आंशिक तवज्जो भी नहीं दी गई, वहां भी पायलट समर्थक नेताओं ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस का बोर्ड बनवा दिया ।
भरतपुर के 8 निकायों में कांग्रेस अपना अध्यक्ष बनाने में सफल हुई। इस जीत के लिए सचिन पायलट के बाएं हाथ पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने न केवल अपने क्षेत्र में कांग्रेस का हाथ मजबूत किया बल्कि जिले के अन्य क्षेत्रों में भी अपना प्रभावी भूमिका अदा की।
बयाना में सचिन के समर्थक विधायक अमर सिंह जाटव ने कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया! दोसा में पायलट के बेहद नज़दीकी मुरारी लाल मीणा ने बहुमत नहीं होने के बावजूद कांग्रेस का अध्यक्ष बनवा दिया! इसी तरह बांदीकुई नगर पालिका में पायलट के खास गजराज खटाना ने अपना अध्यक्ष बनवाया! करौली में पायलट समर्थक रमेश मीणा का दबदबा बरकरार रहा ।जयपुर की चाकसू नगर पालिका में भाजपा से पिछड़ने के बावजूद पायलट के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने अपना अध्यक्ष बनवा दिया! जयपुर की विराट नगर पालिका में सचिन के समर्थक विधायक इंद्राज गुर्जर ने पहली बार कांग्रेस का अध्यक्ष बनवाया!!और भी बहुत जगह निकाय चुनावों में सचिन के अश्वारोही हावी रहे।
सचिन पायलट गुट के नेता कुल मिलाकर निकाय चुनाव में बेहद प्रभावी रहे और यही वजह है कि सचिन का अजय माकन पर अब मजबूत दबाव बना हुआ है ।दिल्ली में एक घंटे से ज्यादा उन्होंने डोटासरा से बातचीत की।अपने नेताओं को सत्ता और संगठन में लेने का दवाब डाला।
डोटासरा असमंजस में हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें? कैसे करें? हर तरफ से उनके ऊपर तलवार लटकी हुई है ।अजय माकन, डोटासरा दोनों की मानसिकता एक जैसी है। दोनों ही कुछ भी करें, क्रांति तो होनी ही है। नाराजगी तो पार्टी को हर हाल में झेलनी ही पड़ेगी।
हो सकता है कि गहलोत को बाड़े बंदी के लिए फिर से तैयारी करनी पड़ जाए ।सचिन ने पिछले तीन महीनों में अपनी ताकत डबल कर ली है। उन्होंने गहलोत के कई विधायक अपनी कार में बैठा लिए हैं। इस बार यदि पार्टी में मतभेद हुआ तो सचिन के पास 18 नहीं 25 विधायक होंगे।
वे क्रांति के लिए पूरी तरह तैयार हैं ।पार्टी में उनकी वापसी पार्टी को मजबूत करने के लिए कितनी रही कह नहीं सकते, मगर खुद को मजबूत करने में तो पूरी तरह सफल रही। यह बात अब सिद्ध हो रही है।
सत्ता और संगठन दोनों में ही सचिन और गहलोत डंके की चोट पर भागीदारी मांग रहे हैं । बीच का रास्ता पथरीला है। लोग कटी हुई सूखी झाड़ियां लेकर खड़े हुए हैं ।अजय माकन , लाख बीच का रास्ता निकालें पर इस रास्ते में खटारा पड़े टायरों का जलना तय है।
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