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December 18, 2020
रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण आवास में रहने वाले अशोक गहलोत आज निकलेंगे घर से
दिल्ली में गाँधी परिवार की कम होती प्रतिरोधक क्षमता के लगाएंगे जादुई वैक्सीन
इधर माकन 23 दिसम्बर को आकर खोलेंगे सचिन पायलट गुट की लॉटरी
मुख्यमंत्री हों सकते हैं सचिन! इस ग़लतफ़हमी में कई गहलोत समर्थक भी लगे सचिन के साथ
नया साल !नई बीमारी! नया वायरस! नया वैक्सीन!
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
कुछ खबरों का मिश्रण है आज का ब्लॉग । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सात माह,अपने आवास में रहकर सरकार चलाते रहे। मेरे ख्याल से ये विश्व का सबसे लंबा सेल्फ कव्रेनटाइनथा ।आज वे अपने आवास से बाहर निकलेंगे। आवास से क्या राज्य से भी बाहर निकलेंगे। दिल्ली जा रहे हैं।
वे अबतक बताते रहे कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है इसलिए वे कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अपने आवास से बाहर नहीं आ रहे थे।
गहलोत की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है यह बात मैं फौरी तौर पर नहीं मान सकता। जिस व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बहुत मजबूत हो! उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी , इसका मुझे यकीन नहीं हो सकता ।
पिछले 2 साल से वे सत्ता में रहे। उनकी सरकार 2 सालों की उपलब्धियों का जश्न मना रही है। ऐसे में खुली आंख से देखा जाए तो पिछले दो सालों में उन्होंने अपनी मजबूत प्रतिरोधक क्षमता के दम पर ही सत्ता चलाई है ।
सचिन पायलट से मुकाबला करते समय उन्होंने अपनी तेज़ तर्रार प्रतिरोधक क्षमता का जिस तरह परिचय दिया ,उन्हें जिस तरह अपने चेलों के साथ सत्ता के बाहर का रास्ता दिखाया ,वह उनकी विराट प्रतिरोधक क्षमता का ही नतीजा है ।
मासूम सचिन पायलट तो कोरोना के संक्रमण की चपेट में भी आ गए लेकिन गहलोत अभी भी सलामी बल्लेबाज की मुद्रा में कोरोना को चकमा दिए हुए हैं ।जहां तक रोग प्रतिरोधक क्षमता का सवाल है हो सकता है गहलोत की क्षमता कमज़ोर हो और इसलिए ही वे अपने आवास में स्वह नज़रबंद रहे हों लेकिन मित्रों!! पूरा विश्व जानता है कि कोरोना वायरस की रोग संक्रमण क्षमता बहुत चालाक है। वह किसी के भी घर में घुस सकता है ।वह चाहता तो गहलोत साहब के घर में भी प्रवेश कर लेता मगर गहलोत साहब की प्रतिरोधक क्षमता उससे ज्यादा मजबूत है। वे जब अपनी पर आते हैं तो अच्छे अच्छों के छक्के छुड़ा देते हैं।कोरोना की तो औक़ात ही क्या है। उनकी नज़र में कोई भी नकारा और निकम्मा हो सकता है।
मजबूत प्रतिरोधक क्षमता के धनी अशोक गहलोत आज दिल्ली जा रहे हैं । जा रहे हैं या कहिए कि उन्हें जाना पड़ रहा है। गांधी परिवार की अस्मिता को बचाने के लिए ।पार्टी को एक फौलादी नेता की ज़रूरत है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य को चिरंतन रखने के लिए अब पटेल जैसा ही प्रतिरोधक नेता चाहिए। अशोक गहलोत एकमात्र ऐसे नेता हैं जो विचित्र जादुई प्रतिरोधक क्षमता रखते हैं। जब भी गांधी परिवार पर हमले होते हैं वे ही ढाल लेकर खड़े हो जाते हैं।
हाल ही में जब 23 कनखजूरों ने गांधी परिवार की अस्मिता पर पत्र- हमला किया तो गहलोत ने अपनी प्रतिरोधक क्षमता का परिचय देते हुए सबसे पहले जवाब दिया ।गुलाम नबी आजाद ,कपिल सिब्बल और ऐसे ही कई आक्रामक नेता एकदम पीछे खिसक गए ।
आज गहलोत दिल्ली जाकर एक बार फिर अपनी गांधीवादी छवि को अलग अंदाज़ में प्रस्तुत करेंगे ।उनसे कहा जाएगा कि आप गांधीवादी परचम को अपनी मजबूत प्रतिरोधक क्षमता के जरिए संभाल लो! सात माह तक आवास में रहकर उन्होंने अपनी प्रतिरोधक क्षमता पर दोनों तरफ से धार तेज़ की है ।उन्हें कांग्रेस की राष्ट्रीय बागडोर संभालने को कहा जाएगा। यह बात अलग है कि गहलोत इतनी आसानी से मरे हुए सांपों की माला अपने गले में नहीं डालेंगे ।
एक और खबर यह है कि कांग्रेस के राज्य प्रभारी अजय माकन 23 दिसंबर को जयपुर आ रहे हैं ।वे सचिन पायलट व उनके समर्थकों की लॉटरी लेकर भविष्य तय करेंगे
सचिन पायलट उत्साह में हैं ।जैसे उनको पता है कि अजय माकन क्या करेंगे ।जैसे पेपर आउट हो गया हो। यही वजह है कि उन्होंने अपने समर्थकों को सपने दिखाने शुरू कर दिए हैं। ऐसे लोग जो गहलोत के साथ रहकर जमकर नोट छाप रहे थे और हाईकमान कह रहा है कि ऐसे लोगों को मंत्री पद से हटाओ वे भी अब सचिन का कुर्ता पकड़े नज़र आ रहे हैं ।
राज्य में एक तरह से यह अफवाह है कि गहलोत राष्ट्रीय स्तर पर जाएंगे और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा । ऐसा ही होगा यह मानकर कुछ नादान नेता अब गहलोत का साथ छोड़कर सचिन पायलट के साथ यात्रा कर रहे हैं ।
ऐसा माना जा रहा है जैसे गहलोत का सचिन पायलट के प्रति हृदय बदल गया हो और उन्होंने अपने कुछ नेताओं को उनका दिल टटोलने के लिए सचिन के साथ छोड़ दिया हो! मगर सच में ऐसा नहीं है ।गहलोत सचिन की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के मूड में कत्तई नहीं ।
जो लोग सचिन के साथ आते जाते नज़र आ रहे हैं यह उनकी स्वह प्रेरणा है ।
गहलोत 3 साल बाद भले ही केंद्र में चले जाएं मगर अभी तो मुख्यमंत्री ही बने रहेंगे ।हो सकता है इस बीच अट्ठारह की जगह ज्यादा विधायकों को लेकर सचिन पायलट अपनी प्रतिरोधक क्षमता का इज़हार कर दें।
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