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December 17, 2020
सम्भागीय आयुक्त डॉ वीणा प्रधान ब्लॉग पढ कर पहुँची नसीराबाद अस्पताल
दौसा में सम्भागीय आयुक्त डॉ समित शर्मा ने बदनीयत चिकित्सकों को बुरी तरह फटकारा
नसीराबाद के अस्पताल में अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार का बोलबाला
किशनगढ़ का यज्ञनारायण अस्पताल आग से लड़ने में पूरी तरह फेल: मॉक ड्रिल में सामने आईं कमियाँ
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
नसीराबाद के बदकिस्मत सरकारी अस्पताल को लेकर मैंने कल एक ब्लॉग लिखा था। अस्पताल की कभी किस्मत बदलेगी या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा मगर एक अच्छी बात कल यह ज़रूर हुई कि ब्लॉग प्रसारित होने के तुरंत बाद अजमेर की संभागीय आयुक्त डॉ वीणा प्रधान ने अपने संवेदनशील अधिकारी होने का परिचय देते हुए तुरंत नसीराबाद पहुंचकर सरकारी अस्पताल की सुध ली।
नसीराबाद के पत्रकार मित्रों ने बताया कि डॉ वीणा प्रधान ने अस्पताल में रहकर अस्पताल प्रबंधन के क्रियाकलापों पर कड़ी नाराज़गी जताई ।आने के बाद भी नहीं लगे ऑक्सीजन प्लांट और वेंटिलेशनों के इंस्टॉलेशन नहीं होने पर कड़ा रुख अपनाया ।उन्होंने इन्हें शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए।
उन्होंने डॉक्टरों को मुख्यालय नहीं छोड़ने के लिए भी पाबंद किया। मरीजों को सहज सुविधा उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए।
डॉ वीणा प्रधान का मैं शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने जागरूक व ज़िम्मेदार अधिकारी की भूमिका निभाई ।साथ ही मैं उनको बता देना चाहता हूं कि नसीराबाद के अस्पताल का वर्षों से चला आ रहा ढर्रा केवल उनके एक बार दौरा करने से पटरी पर नहीं आएगा। इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत जवाबदेही तय करनी होगी ।जो आदेश वे दे कर आई हैं उनकी अनुपालना हुई या नहीं इस पर निगरानी रखनी होगी। चिकित्सकों की बिगड़ी हुई कार्यशैली को सुधारने के लिए कई कठोर कदम उठाने होंगे ।अस्पताल के डॉक्टर मुख्यालय पर रहें इसके लिए उन्होंने आदेश तो दे दिए हैं ।हो सकता हैं आदेशों का आगे चल कर कोई असर हो जाए मगर कल तो नहीं हुआ। अस्पताल के कई चिकित्सक कल भी नसीराबाद छोड़ कर चलते बने।
अस्पताल में चिकित्सा कर्मियों के लिए आने जाने के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम लागू था। अब नहीं है। जानबूझकर हटा दिया गया है ताकि चिकित्सा कर्मी अपने अपने हिसाब से अलग-अलग समय पर सुविधा अनुसार आ जा सकें।
अस्पताल में लगे कैमरे जानबूझकर बंद कर दिए गए हैं ताकि उनकी हरकतों का कोई रिकॉर्ड ही ना बचे।
संभागीय आयुक्त डॉ वीणा प्रधान के निरीक्षण से कुछ देर के लिए अस्पताल प्रबंधन सकते में ज़रूर आ गया मगर उनके जाते ही सब कुछ पुराना जैसा हो गया ।
प्रभारी चिकित्सक डॉक्टर विनय कपूर हैं।अपने आपको चिकित्सा मंत्री के कोटे में आया हुआ कहते हैं।वे मूलतया सर्जन हैं। नसीराबाद आने के बाद शायद ही उन्होंने कभी कोई सर्जरी की हो ।वे तो ओपीडी में बैठना तक पसंद नहीं करते ।अपने चेंबर में शाही तरीके से आकर बैठ जाते हैं। देर से आते हैं जल्दी चले जाते हैं।
सुभाष गंज के अपने निवास पर दोपहर 3 बजे से निजी तौर पर कारोबार शुरू कर देते हैं। मरीजों की भीड़ 2 बजे से इकठ्ठी होनी शुरू हो जाती है और 3 बजे तक तो लंबी कतारें खड़ी हो जाती हैं। देर रात तक इलाज़ के नाम पर नोट छापे जाते हैं।
अस्पताल की लैब 11 बजे ही बंद हो जाती है। जाँचों की रफ्तार न के बराबर है ।बाहर से जांच करवाई जाती हैं ।
यहां प्रसंगवश बता दूँ कि जयपुर के संभागीय आयुक्त डॉ समित शर्मा ने दौसा के एक सरकारी अस्पताल का दौरा किया और उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों की दुखती रग पर हाथ रख दिया। उन्होंने मरीजों को जांच के लिए बाहर भेजे जाने पर डॉक्टरों को न केवल आड़े हाथों लिया बल्कि उनकी बदनीयती के लिए बुरी तरह कोसा भी। मैं यहां उन्हें भी नमन करता हूँ।
संभागीय आयुक्त डॉ वीणा प्रधान भी एक संवेदनशील और ईमानदार प्रशासनिक अधिकारी हैं ।सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस रखती हैं ।
यदि नसीराबाद के अस्पताल प्रबंधन से वे पूछें कि उनके यहां ब्लड बैंक में रक्त क्यों नहीं स्टोर होता। मरीजों को ब्लड लेने व देने के लिए अजमेर क्यों भेजा जाता है ? तो उन्हें पता चलेगा कि अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसेंस ही रिन्यू नहीं हुआ है।
डॉक्टरों के नामों का ब्यौरा जो अस्पताल की सूचना पट्टिका पर दर्ज़ है, उनमें से ज्यादातर डॉक्टर तो अस्पताल में मौजूद हैं ही नहीं। मौजूद डॉक्टरों के मोबाइल नंबर इस पट्टिका पर जानबूझकर नहीं दे रखे।
इधर किशनगढ़ के यज्ञ नारायण अस्पताल का धमाका भी देखिए ।
हाल ही में किशनगढ़ के अस्पताल की फायर ब्रिगेड द्वारा मॉक ड्रिल की गई।उन्हें बताया गया कि अस्पताल में आग लग गई है ।उन्होंने तुरंत ने मोर्चा संभाला मगर अस्पताल पहुंच के उनकी जान अटक गई क्यों कि वहां फायर फाइटिंग की व्यवस्था और रेस्क्यू के कोई भी साधन ही मौजूद नहीं मिले ।
फायर ब्रिगेड अधिकारी प्रमोद कपूर ने साफ कहा कि आग लगने के किसी भी हादसे की स्थिति में अस्पताल पूरी तरह असुरक्षित है।यहाँ आग लग जाए तो भारी जानमाल की हानि हो सकती है ।
अजमेर के नेहरू अस्पताल के कोविड वार्ड में आग लग गई थी ।एक मरीज को जान गंवानी पड़ी। क्या किशनगढ़ का यज्ञ नारायण अस्पताल भी इसी तरह की किसी भयंकर दुर्घटना का इंतजार कर रहा है
यहाँ तो सोनोग्राफी या एक्सरे विभाग में भी अग्निशमन यंत्र नहीं लगे हैं।.... और तो और ऑक्सीजन प्लांट तक में आग बुझाने का यंत्र नहीं है।
पीएमओ डॉ अशोक से एक पत्रकार ने बात की तो उन्होंने बजट नहीं होने का तर्क देकर पल्ला झाड़ लिया ।
संवेदनशील संभागीय आयुक्त डॉ वीणा प्रधान जी से किशनगढ़ वासियों का मेरे इस ब्लॉग के माध्यम से आग्रह है कि वे इस अस्पताल का भी एक दौरा करें और वहां व्याप्त अव्यवस्थाओ को देखें और साथ ही संभावित आग की घटना से कोई जनहानि को बचाने के लिए कठोर कदम उठाएं।
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