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December 17, 2020
अमेरिकी संसद (प्रतिनिधि सभा व सीनेट) ने 740 अरब डॉलर का रक्षा नीति विधेयक आधिकारिक रूप से पारित किया है। इसमें एलएसी पर भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता का विरोध भी शामिल किया गया है।राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (एनडीएए) में चीनी आक्रामकता के विरोध संबंधी प्रावधान हिंद-प्रशांत व अन्य क्षेत्र में भारत जैसे सहयोगियों के लिए अमेरिका का मजबूत समर्थन दर्शाता है।
राष्ट्रपति ट्रंप के हस्ताक्षर के साथ यह कानून बन जाएगा। ट्रंप ने इस विधेयक के खिलाफ वीटो के इस्तेमाल की धमकी दी है, क्योंकि इसमें सोशल मीडिया कंपनियों के लिए कानूनी संरक्षण को रद्द करने की बात नहीं की गई है।अमेरिका ने हाल ही में वाशिंगटन डीसी में महात्मा गांधी की प्रतिमा के अपमान पर दुख जताया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैली मैक्केनी ने कहा, हम महात्मा गांधी सम्मान करते हैं और सबको ऐसा करना चाहिए।
उन्होंने कहा, एनडीएए में मेरे प्रस्ताव की भाषा शामिल कर और इस विधेयक को हस्ताक्षर के बाद कानून में बदलकर अमेरिका सरकार यह स्पष्ट संदेश देगी कि भारत के खिलाफ चीनी आक्रामकता अस्वीकार्य है।भारतवंशी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, हिंसक आक्रामकता किसी चीज का जवाब नहीं होती और यह बात खासकर एलएसी के मामले में सही है, जो भारत से चीन को अलग करने वाला विवादित सीमा क्षेत्र है।
उन्होंने कहा, पिछले दिनों जो कुछ हुआ, वह डराने वाला है। बता दें कि 12 दिसंबर को किसान आंदोलन के समर्थन में कुछ लोगों ने यहां प्रदर्शन किए थे। खालिस्तान समर्थक नारेबाजी के बीच बापू की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया था।
कैली ने कहा, किसी भी प्रतिमा या स्मारक को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए, गांधी प्रतिमा को तो बिल्कुल भी नहीं। उन्होंने जिन मूल्यों की जंग लड़ी उनका अमेरिका भी समर्थन करता है। शांति, न्याय और आजादी। गांधी का सम्मान किया जाना चाहिए।
कैली मैक्केनी से पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि अमेरिका में विदेशी दूतावासों की सुरक्षा को लेकर हम सतर्क हैं और इसे गंभीरता से लेते हैं। हालिया घटना के बारे में हम भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं। हमें मालूम है कि भारतीय दूतावास के सामने प्रदर्शन के दौरान क्या हुआ था।
अमेरिका में पारित इस कानून में भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के प्रस्ताव की भाषा के अहम अंशों को भी शामिल किया गया है और चीन सरकार से एलएसी के पास भारत के खिलाफ सैन्य आक्रामकता को खत्म करने का आग्रह किया गया है।
भारत और चीन के बीच इस साल मई से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास सैन्य गतिरोध बना हुआ है। द्विदलीय कांग्रेशनल सम्मेलन समिति ने विधेयक के प्रतिनिधि सभा एवं सीनेट के संस्करणों को इस महीने की शुरुआत में मिलाकर अंतिम विधेयक तैयार किया था। कृष्णमूर्ति के प्रस्ताव को दोनों सदनों में अभूतपूर्व द्विदलीय समर्थन के साथ पारित किया गया।
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