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December 14, 2020
अजमेर संभाग में दिमागी खिलाड़ी सक्रिय
राहुल गांधी, डोटासरा और प्रणव राय के विरुद्ध वकील एस के सिंह ने दाख़िल की राजद्रोह की जनहित याचिका
नागौर ज़िले में दो-दो सी एम एच ओ, दोनों चला रहे हैं दिमाग़: सरकार मूक दर्शक
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अजमेर संभाग तरक्की पर है। जहां जहां संभाग के राजनेता अतिरिक्त रूप से सक्रिय होकर अपने दिमाग़ चला रहे हैं ,वहीं हर क्षेत्र में दिमाग़ों पर धार लगाई जा रही है। पुलिस, वकील, राजनेता, चिकित्सा अधिकारी सब अपने-अपने क्षेत्र में दिमाग़ का उपयोग कर रहे हैं। यह एक अच्छी बात है। लोगों के दिमाग से कचरा तो निकल रहा है।
अजमेर के जनहित याचिका विशेषज्ञ वकील एस के सिंह ने इस बार राहुल गांधी को लपेटे में लिया है। उन्होंने अपना दिमाग चलाते हुए राजद्रोह की धाराओं में याचिका दायर की है ।उन्होंने उन पर किसान आंदोलन को लेकर जनहित याचिका दायर की है ,जिसमें उन्होंने कहा है कि वे भारत सरकार के खिलाफ नफरत पैदा कर रहे हैं ।
याचिका में उल्लेखित किया गया है कि मोदी सरकार भारत के विकास के लिए रात दिन एक कर रही है ।उनके मुताबिक किसानों के आंदोलन को लेकर गृह मंत्री अमित शाह को भी किसानों से बार-बार नहीं मिलना चाहिए , क्योंकि किसान अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया है तो इस पर कोई बहस भी संसद में ही होनी चाहिए।
किसानों को इस अधिनियम के विरुद्ध सड़कों पर सवाल उठाने का और जनता को परेशान करने का कोई अधिकार नहीं। उन्हें संसद में ही विरोध दर्ज करना चाहिए ।
दाखिल याचिका में सिंह ने रिलायंस कंपनी के मुकेश अंबानी और अडानी समूह के गौतम अडानी को भी पार्टी बनाया है । उनके मुताबिक किसान यूनियन के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने खुले तौर पर धमकी दी है कि वे इन दोनों कंपनियों के टोल का भुगतान नहीं करने जा रहे हैं। सिंह ने अपनी याचिका में एन डी टी वी के प्रणव को भी पार्टी बनाया है। उन्होंने उनको कांग्रेस पार्टी के मुखपत्र होने की बात कही है ।उन्होंने उन पर भी राजद्रोह का आरोप लगाया है, जिसकी सजा उम्र कैद है ।
मजेदार बात यह है कि याचिका में सिंह ने भारत बंद करने और किसानों की समस्याओं के बारे में चिंतित नहीं होने का आरोप लगाते हुए राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भी पार्टी बनाया है।
उन्होंने दिल्ली जाने वाले सभी राजमार्गों को अवरुद्ध किए जाने को गलत बताया है ।एनएचएआई द्वारा मार्ग अवरुद्ध किए जाने पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही । इसके लिए उन्होंने एन एच ए आई के उच्च अधिकारी सुखबीर सिंह सिद्धू को भी पार्टी बनाते हुए तुरंत निलंबित करने की मांग की है।
अधिवक्ता सिंह ने अदालत में प्रस्तुत किया है कि राहुल गांधी की पार्टी एक के बाद एक चुनाव हार रही है और मोदी के विरुद्ध नफरत पैदा कर रही है ।एक सांसद के रूप में उन्हें संसद में ही आवाज उठानी चाहिए।
यह मामला मामला 15 दिसंबर को सूचीबद्ध किया जा सकता है
जिस तरह का दिमाग सिंह चला रहे हैं उसी तरह का दिमाग नागौर के दो चिकित्सा अधिकारी भी चला रहे हैं। वहां पर कई महीनों से दिमाग के दम पर दो मुख्य चिकित्सा अधिकारी एक साथ एक ही पोस्ट पर बैठे हुए हैं।
कोरोना के विरुद्ध दोनों सी एम एच ओ कुछ नहीं कर पा रहे। केवल अपनी पोस्ट पर काबिज़ होने के लिए कानूनी दांव खेल रहे हैं। दोनों एक दूसरे की रवानगी का इंतजार कर रहे हैं ।सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है।
हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद सरकार कोई निर्णय नही ले रही जिससे पूरा ज़िला ताज़्ज़ुब में है।किसी के समझ में नहीं आ रहा। हालात ये हैं कि नियम विरुद्ध एक ही पद पर बैठे इन अधिकारियों को हटाने के सवाल पर उच्च अधिकारियों की भी बोलती बंद है ।
घटनाक्रम यूँ रहा।सात अगस्त 2020 को सरकार ने डॉ सुकुमार कश्यप को ए पी ओ कर मुख्यालय निदेशालय जयपुर भेज दिया।आठ अगस्त को डॉ मेहराम महिया ने सरकार के आदेश पर सीएमएचओ का कार्यभार संभाल लिया। दस अगस्त को हाईकोर्ट ने डॉ कश्यप को राहत देते हुए उनके एपीओ आदेश पर स्टे लगा दिया ।सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर डॉ कश्यप को ज्वाइन नहीं करवाया तो फिर कोर्ट पहुंच गए। सरकार ने अवमानना से बचने के लिए डॉ कश्यप के एपीओ आदेश को रद्द कर दिया मगर अब तक उन्हें जॉइन नहीं करवाया ।
नतीजा यह हुआ कि नागौर जिले में पिछले कई महीनों से दो मुख्य चिकित्सा अधिकारी बैठे हुए हैं। कामकाज कुछ नहीं हो रहा ।किसी के आदेशों से कोई कार्यवाही नहीं हो रही।कोरोना नागौर जिले में तेजी से अपनी रफ्तार बढ़ाए जा रहा है ।लोग परेशान हैं ।
अजमेर संभाग में दिमागी खेल तो कई चल रहे हैं मगर समय व स्थान के अभाव में आज इतना ही...!!
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