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अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़: मोरक्को के बाद इस्रायल का अगला दोस्त कौन

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December 14, 2020

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की लेन-देन की कूटनीति कामयाब

ट्रंप प्रशासन की पहल के कारण ही पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), फिर बहरीन और सूडान और अब मोरक्को ने इस्रायल के साथ पूरे राजनयिक संबंध बनाने का फैसला किया है। यूएई ने पिछले 14 अगस्त को ये फैसला किया था। उसके बाद के चार महीनों में पश्चिम एशिया की कूटनीति में तेजी से बदलाव आए हैं। इसके पीछे सबसे अहम भूमिका ट्रंप के दामाद और सलाहकार जैरेड कुशनर ने निभाई है। कुशनर की कोशिशों से ही पिछले दिनों सऊदी अरब और इस्रायल के बीच भी संवाद कायम होने की खबर वैश्विक मीडिया में चर्चित हुई थी। हालांकि बाद में सऊदी अरब ने उसका खंडन कर दिया।




अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पश्चिम एशिया नीति को ताजा कामयाबी मोरक्को में मिली है। अब जबकि मोरक्को इस्रायल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध कायम करने जा रहा है, इस इलाके में ये सवाल बहुचर्चित है कि अपने बचे कार्यकाल में ट्रंप और कितने देशों को इस्रायल का दोस्त बनाने में कामयाब होंगे। ट्रंप का कार्यकाल अगले साल 19 जनवरी तक है।




मोरक्को ने 10 दिसंबर को इस्रायल से पूर्ण राजनयिक संबंध बनाने की घोषणा की। इस तरह वह पश्चिम एशिया और उत्तर अफ्रीका के इस क्षेत्र में ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है। मोरक्को से ये फैसला कराने के लिए ट्रंप प्रशासन ने उसे एक खास लेकिन विवादास्पद तोहफा दिया।




उसने पश्चिमी सहारा के ऊपर मोरक्को की संप्रभुता को मान्यता दे दी। अब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस इलाके पर मोरक्को के कब्जे को अवैध मानता रहा है। पश्चिमी सहारा पहले स्पेन का उपनिवेश था। 40 साल पहले जब स्पेन वहां से लौट गया, तब मोरक्को ने उस पर कब्जा कर लिया। लेकिन अब तक दुनिया के किसी देश ने मोरक्को के कब्जे को मान्यता नहीं दी थी। पश्चिमी सहारा की मूलवासी आबादी दशकों से मोरक्को से आजाद होने के लिए संघर्ष चलाती रही है।





अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक पश्चिमी सहारा के बारे में अमेरिकी की नीति में बदलाव के एलान पर संयुक्त राष्ट्र भी हैरत में रह गया। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने कहा कि इस वैश्विक संस्था के अधिकारियों को इस बारे में जानकारी एक ट्विट से मिली है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र की अभी भी यही मान्यता है कि पश्चिमी सहारा की स्थिति का फैसला संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के मुताबिक होना चाहिए।





ट्रंप प्रशासन ने इस्रायल की मदद के लिए अमेरिकी नीति में औचक परिवर्तन किए हैं। जैसे मोरक्को को उसे पश्चिमी सहारा का विवादित उपहार दिया, उसी तरह सूडान का नाम उसने आतंकवाद प्रायोजक देशों की सूची से हटा दिया। अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के अनेक नेताओं ने ट्रंप प्रशासन के इन कदमों की आलोचना की है। उन्होंने दोहराया है कि पश्चिमी सहारा पर मोरक्को का कब्जा अवैध था और अब भी वह अवैध है।




इस बीच ऐसी चर्चा है कि ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान और मिस्र से भी इस्रायल के राजनयिक संबंध कायम कराने में जुटा हुआ है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी इस्रायल के साथ बातचीत पर राजी हो गए हैं। लेकिन उन्होंने कहा है कि वे 20 जनवरी 2021 के बाद ये प्रक्रिया शुरू करेंगे, जब जो बाइडन अमेरिका में सत्ता संभाल लेंगे। लेकिन पाकिस्तान के लिए ऐसा करना शायद मुमकिन ना हो, क्योंकि इसके देश का अंदर गहरा विरोध होगा। ये कयास जरूर लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में कतर जरूर इस्रायल से संबंध कायम करने की दिशा में कदम उठा सकता है।


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