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December 13, 2020
ब्लॉग कुछ बड़ा है मगर मस्त है
घनश्याम तिवारी उस औरत की तरह जो पति छोड़ किसी पराए मर्द के साथ रही और लौट कर बोली उसके साथ फेरे नहीं खाए
अब देवी सिंह भाटी की वापसी के रास्ते खोल रहे हैं नोखा विधायक विश्नोई
वसुंधरा राजे को साइड लाइन करने के प्रयास शुरू
केकडी में विनायका को देनी पड़ रही है सफाई
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अजमेर जिला प्रमुख के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है। देहात भाजपा अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा समझ नहीं पा रहे कि वे क्या करें हालांकि वे अपने पद से त्यागपत्र देकर भाजपा की करारी हार के लिए अपनी जिम्मेदारी ले सकते हैं। मामले का पटाक्षेप हो सकता है मगर लगता है कि उनकी अंतरात्मा अभी तक उन्हें उस लेवल पर धिक्कार नहीं रही। अभी तक भाजपा की जीती हुई बाज़ी को हार में बदले जाने को लेकर उनका मन बेचैन या उदास नहीं है।उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं।
कोई और चरित्रवान व्यक्ति होता तो शायद पार्टी की मटियामेट हुई छवि को लेकर कब का पद में छोड़ चुका होता ।
भारतीय जनता पार्टी में अब शायद सिद्धांतों और अंतरात्मा के अनुशासन की राजनीति रही ही नहीं है। जिसके मन में जो आता है ,करता है। पार्टी के पलीता लगाता है ,चला जाता है । और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पार्टी को बंद कमरे में ही कुछ दो-चार लोग चला रहे हैं।और हठधर्मिता से निर्णय ले लेते हैं भले उनके निर्णयों से पार्टी को कितना भी नुकसान क्यों ना हो जाये।
पंडित घनश्याम तिवारी ने भाजपा को यदि अपनी मां समझा होता तो वे या तो जाते ही नहीं या आते नहीं। वे अपने आप को महान धनुर्धर और राजनीति का प्रकांड पंडित समझते हैं ।पार्टी में उनका दम घुटा और उन्होंने नई पार्टी बना ली। पार्टी के परखच्चे उड़ गए तो उनका भगवा लहू सफेद हो गया और वे कांग्रेस में शामिल हो गए।
मजेदार बात यह है कि वे अब लौट कर कह रहे हैं कि उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता तो ग्रहण ही नहीं की। उनकी यह बात एक और .....पंती है ।ठीक उसी तरह, जैसे कोई औरत अपने पति को छोड़कर किसी दूसरे मर्द के यहां रहने चली जाए उसके साथ लिव इन रिलेशन में रहे फिर वापस अपने मूल पति के पास आए और कहे कि मैं तो आत्मा से आपकी ही थी। मैं दूसरे मर्द के साथ भले ही कुछ दिन रह ली मगर मैंने उससे शादी नहीं की। सात फेरे नहीं खाए ।उसके साथ सब कुछ हुआ मगर मेरी आत्मा तो आपके लिए ही तरसती रही।
वाह रे पंडित घनश्याम तिवारी जी!! यदि आपकी आत्मा इतनी ही भाजपाई थी तो नई पार्टी बना कर ही चैन से बैठ जाते। कुछ दिन में जब खुजली मिट जाती तो वापस भाजपा में लौट आते। कम से कम पराई पार्टी में इतने साल रहने का आरोप तो नहीं लगता।
दरअसल भाजपा के नेताओं में यह बीमारी है ।अब पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी जी को ही लीजिए ! बीकानेर की भाजपाई राजनीति के पुरोधा रहे देवी सिंह भाटी भाजपा छोड़कर चले गए। भाजपा को जमकर गालियां बकते रहे। पार्टी छोड़ने को अपनी मर्दानगी कहते रहे। ऐसा लगा जैसे वे कभी भाजपा की तरफ झांककर भी नहीं देखेंगे मगर इन दिनों घनश्याम तिवारी की तरह उनकी अंतरात्मा भी पूनिया जी से मिलने को कुलबुला रही है। वे भी पार्टी में वापस आने के लिए छटपटा रहे हैं। नोखा के विधायक बिहारीलाल बिश्नोई से उन्होंने डॉ सतीश पूनिया को पत्र लिखवाया है ,जिसमें साफ लिखा है कि तिवारी जी की तरह उन्हें भी मूल परिवार में शामिल किया जाए। मुझे पता है कि उनको भी कटी हुई टी.सी. वापस लेकर एड्मिशन दे दिया जाएगा।
वैसे पार्टी में एक अनुशासन समिति भी है ,जिसके हेडमास्टर ओंकार सिंह लखावत जी हैं।जब किसी को पार्टी से निकालना होता है तो कार्रवाई उनके द्वारा करवाई जाती है। जब पार्टी में वापस लेना होता है तो उन्हें टके में नहीं पूछा जाता।
जहां तक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सवाल है पूनिया जी उनके वर्चस्व को पूरी तरह ठिकाने लगाने पर तुले हुए हैं ।यही वजह है कि पंडित तिवारी को उन्होंने पुचकार लिया है ।देवी सिंह भाटी को विश्नोई जी के जरिए पुचकार रहे हैं ।यूँ लखावत जी ने वसुंधरा राजे के समय में सत्ता की गाजर का हलवा खूब चबा चबा कर खाया था ।हमारे आदरणीय विधायक वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल जी ने भी बादाम और अखरोट से कम के मिष्ठान उनके कार्यकाल में नहीं खाए मगर वे अब पूनिया जी के हाथ की बनी बाजरे की रोटी को भी उनसे बेहतर बता रहे हैं।
यहां एक और मजेदार क़िस्सा भी सुन लें। केकड़ी भाजपा में जमकर हाय तौबा मची हुई है । भाजपा के प्रभावशाली नेता राजेन्द्र विनायका जी को अपने भगवा कपड़े सुरक्षित रखने में ज़ोर लगाना पड़ रहा है ।माननीय खुशी राम जी वैष्णव वहाँ घनश्याम तिवारी की भाषा बोल रहे हैं ।वह कह रहे हैं कि विनायका ने उन्हें पराए बाड़े में भेजा। उनका कथन ऐसा ही है जैसे कोई नाबालिक लड़की कहे कि मुझे बहला-फुसलाकर किसी के बेड रूम में भिजवा दिया। खुशी राम जी!! आप तो शक्ल सूरत से मुझे बहुत समझदार लगते हैं ।अन्न भी खाते हैं। इसलिए इतनी समझ तो आप में होनी ही चाहिए कि आप अपनी सद्बुद्धि का इस्तेमाल करें। वैसे आपने किया भी । राजेंद्र विनायका जी आपको अपने साथ धकेलते हुए किसी बाड़े में नहीं ले गए थे।सच तो ये रहा कि आपको खुद भी जाने में विशेष प्रकार का मज़ा आ रहा था ।आपके अंदर भी पद पाने की खुजली चल पड़ी थी। आप चले गए ।जब खुजली नहीं मिटी तो आप वापस आकर विनायका जी पर लाल पीले हो रहे हैं ।
प्रभु !! विनायका जी पर अब कीचड़ उछालने से कुछ नहीं होगा! उल्टे आपकी ही किरकिरी होगी ! आप जिस समय अपने मत का उपयोग कर रहे थे ,उस समय आपके साथ कोई नहीं था ,विनायका जी आपका हाथ पकड़ने वहां नहीं खड़े हुए थे ।आप चाहते तो मत अपनी इच्छा के मुताबिक जिसे चाहते दे सकते थे और आपने दिया भी ।
अब बाहर आकर आप कितनी भी हाय तौबा मचा लें,आप बेदाग नहीं हो सकते ।बेहतर है कुछ इंतजार करें। कुछ दिनों में हो सकता है पार्टी आप पर कोई कार्यवाही करे।आप को पार्टी से निकाल दिया जाए।..मगर इससे हताश मत होना ।भाजपा बड़ी दयालु पार्टी है ।जैसे तिवारी जी को लिया। जैसे देवीशंकर भूतड़ा को लिया। जैसे नवीन शर्मा को लिया। जैसे सुरेंद्र सिंह शेखावत को लिया और श्रवण सिंह रावत जैसे कई लोगों को लिया आप को भी ले लिया जाएगा।ये पार्टी किसी को बाहर नहीं रखेगी मान कर चलिए।
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