For News (24x7) : 9829070307
RNI NO : RAJBIL/2013/50688
Visitors - 102913353
Horizon Hind facebook Horizon Hind Twitter Horizon Hind Youtube Horizon Hind Instagram Horizon Hind Linkedin
Breaking News
Ajmer Breaking News: अक्षय तृतीया के मौके पर संस्था के जागरूकता अभियानों द्वारा रूकवाए पांच बाल विवाह |  Ajmer Breaking News: भगवान परशुराम संपूर्ण मानवता के लिए आदर्श-श्री देवनानी |  Ajmer Breaking News: वासुदेव देवनानी के निवास पर नामदेव समाज द्वारा स्वागत व अभिनन्दन |  Ajmer Breaking News: कश्मीर के पर्यटक स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमलें को लेकर  को पुष्कर पुलिस थाने में सीएलजी सदस्यों की बैठक आयोजित की गई।  |  Ajmer Breaking News: भैरव धाम राजगढ़ पर चढाया 15,551 फिट का साफा |  Ajmer Breaking News: अजमेर जिला बार एसोसिएशन के बैनर तले पाकिस्तान का झंडा जलाकर अधिवक्ताओं का विरोध प्रदर्शन, |  Ajmer Breaking News: अक्षय तृतीया के सावे को अबूझ सावा माना जाता है लेकिन इस बार शास्त्रों के अनुसार आखा तीज के दिन शादी विवाह के लिये शुभ नही माना जा रहा । |  Ajmer Breaking News: सात माह के बच्चे का अपहरण करने वाले सभी आरोपी को हुए गिरफ्तार,  |  Ajmer Breaking News: बढ़ती गर्मी के साथ अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल अधीक्षक ने किया अस्पताल का निरीक्षण, |  Ajmer Breaking News: बिना दवा स्वस्थ जीवन संभव, सिलोरा पंचायत समिति एवं रूपनगढ़ ग्राम पंचायत में एकात्म अभियान योग की पहल | 

क़लमकार: धरी रह गई भाजपा,अड़े रहे गए पूनिया, खड़े रह गए चन्द्र शेखर और पड़े रह गए भूतड़ा: और पलाड़ा ने साफ़ कर दिया सबका सूपड़ा

Post Views 1151

December 11, 2020

जो सलूक़ पार्टी ने उनके साथ किया वही उन्होंने किया पार्टी के साथ

धरी रह गई भाजपा,अड़े रहे गए पूनिया, खड़े रह गए चन्द्र शेखर और पड़े रह गए भूतड़ा: और पलाड़ा ने साफ़ कर दिया सबका सूपड़ा



जो सलूक़ पार्टी ने उनके साथ किया वही उन्होंने किया पार्टी के साथ



जीत की परोसी थाली को सामने से हटाने के लिए भूतड़ा को अब पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं



पलाड़ा ने तो दे दिया स्तीफा , अब भूतड़ा से भी लेना चाहिए पार्टी को स्तीफा



सुरेन्द्र चतुर्वेदी



दे दी हमें आज़ादी , बिना खड़ग, बिना ढाल , साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल खाई के पान बनारस वाला, खुल जाए बंद अकल का ताला, फिर तो ऐसा करे कमाल कि सीधी कर दे सब की चाल ,के छोरा पलाड़ा गांव का लाला



धरी रह गई भाजपा ! अड़े रह गए डॉ पूनिया ! खड़े रह गए चंद्रशेखर, पड़े रह गए देवी शंकर भूतड़ा! और जिला परिषद से साफ़ हो गया भाजपा का सूपड़ा !



जी हां !! यही होता है जब कोई पार्टी ज़मीन की खुशबू का सम्मान नहीं करती! जिला परिषद अजमेर में श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा का ताल ठोक कर ज़िला प्रमुख बनना भगवान शिव शंकर की कृपा तो है ही साथ ही उनकी विजय का एक और हक़दार उनके पति भंवर सिंह पलाड़ा भी हैं। उनकी दूरदर्शिता ,दबंग व्यक्तित्व और ईमानदार छवि की वजह से ही जिले में जनता ने भाजपा को पूरा समर्थन दिया। जिला प्रमुख का पद थाली में परोस कर रख दिया । पर भाजपा इस विजय को संभाल नहीं पाई ।



देहात भाजपा अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा की मूर्खतापूर्ण रणनीति और हठधर्मिता का नतीजा ये रहा कि परोसी हुई थाली सामने से खिसक गई।



जिला परिषद के चुनावों की जब घोषणा भी नहीं हुई थी ,परंतु जिला प्रमुख का पद सामान्य पुरूष के लिए आरक्षित होंने के बाद से ही ज़िले में एक ही आवाज़ सुनाई दे रही थी कि इस बार भंवर सिंह पलाड़ा ही जिला प्रमुख बनेंगे । जड़ों से जुड़े नेता पलाड़ा की छवि मुफ़लिसों के मसीहा और शिव भक्त नेता की रही है।उन्होंने राजनीति को कभी पैसा कमाने का जरिया नहीं बनाया। यही वजह रही कि उनका हक़ बनता था कि पार्टी उन्हें टिकट देकर इस बार जनता की इच्छापूर्ति करे।



पहले भी वे कई बार कई पदों के लिए असली हक़दार रहे मगर भाजपा के कथित हाईकमानी नेताओं ने उन्हें मौका नहीं दिया ।यह उनकी सदाशयता ही थी कि उन्होंने कभी विद्रोह नहीं किया और अपनी जगह उन्होंने संस्कारवान पत्नी को राजनीति में उतार कर जनता की सेवा करने का जरिया ढूंढ लिया।



श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा जब पहली बार जिला प्रमुख बनीं तो उन्होंने देश की सर्वश्रेष्ठ जिला प्रमुख होने का खिताब हासिल किया ।वह भी तब जब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी और वे भाजपा से थीं।



बाद में वे मसूदा की विधायक बनी और उन्होंने अपने कार्यकाल में न केवल निस्वार्थ भाव से मसूदा क्षेत्र की सेवा की बल्कि भाजपा की इज्जत में चार चांद लगाए।



दुनिया कहती है कि हर कामयाब पुरुष के पीछे किसी महिला का हाथ होता है मगर यह कहावत इस पलाड़ा ने उल्टी कर दी। श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा की कामयाबी में उनके पति भंवर सिंह पलाड़ा का हाथ रहा ।



लोग कहते रहे की पलाड़ा जी किस्मत में राजयोग नहीं मगर मेरा दावा है कि जिले के कौनसे ऐसे नेता हैं जो आज भी असली राजयोग चला रहे हैं ।राजयोग सिर्फ विधायक या सांसद बनने से नहीं होता। राजयोग ऐसे व्यक्ति से होता है जो लोगों के दिल पर राज करता है ।आज जिले में आठ विधायक एक सांसद है मगर उनमें से कोई ऐसा नहीं जो दावे के साथ अपने दम पर सत्ता का खेल खेल सकता हो। या जिसका सम्मान हर विधानसभा क्षेत्र में होता हो।



यह भारतीय जनता पार्टी का दुर्भाग्य है कि कुछ निम्न स्तरीय सोच के नेताओं ने पार्टी को अपने शिकंजे में जकड़ा हुआ है और जब टिकट दिए जाने की बात चलती है तो ये सारे निकम्मे लोग संगठित हो जाते हैं। वजह साफ है की वे सब जानते हैं कि भंवर सिंह पलाड़ा को यदि भूल से भी उन्होंने सत्ता का हिस्सा बना दिया तो उनकी दुकानदारी खत्म हो जाएगी। पार्टी के कुछ चूहे हल्दी की गाँठो से पंसारी बने हुए हैं। अपना कारोबार चला रहे हैं ।



क्या डॉ सतीश पूनिया , क्या चंद्रशेखर शर्मा क्या राजेंद्र राठौड़ ,क्या गुलाबचंद कटारिया, क्या अजमेर जिले के विधायक , क्या ओंकार सिंह लखावत, और इनके चिलगोजे , सभी जानते हैं कि भंवर सिंह पलाड़ा तलवे चाट कर राजनीति में जिंदा नहीं रह सकता। उसकी मर्दानगी को भगवान भोले शंकर का वरदान प्राप्त है। उसकी रगों में स्वाभिमान बहता है। फेंकी रोटी को उठा कर तो वो माथे से लगा सकते है मगर फेंकी हुई सत्ता को जूते की नोक पर रखता है।



आइए अब ज़रा बात करें इस बार पलाड़ा जी की राजनीतिक दूरदर्शिता पर !उन्होंने इस बार पार्टी हाईकमान से अपने लिए टिकट मांगी थी ।जिले में उनकी पकड़ स्वयंसिद्ध थी ।पार्टी चाहती तो उनको टिकट दे सकती थी ।उनका हक़ भी बनता था मगर कुछ सिरफिरे चालबाज़ नेताओं ने निजी स्वार्थ के चलते बीच मे अड़ंगा खड़ा कर दिया।



पार्टी ने उनकी जगह उनकी पत्नी को टिकिट दे दिया।भोले भंडारी ने फैसले का सम्मान किया ।अब उन्होंने चुनावों में सिर्फ अपनी पत्नी को चुनाव जिताने का ही प्रयास नहीं किया बल्कि भाजपा के सभी उम्मीदवारों के लिए जन जन को संगठित किया ।भाजपा को भारी बहुमत मिला भी। भाजपा की जीत भी हुई। सबने एक स्वर में कहा कि श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा को जिला प्रमुख बनाना है। हुआ भी यही मगर पलाड़ा जी को कुछ घटिया किस्म के नेताओं के चेहरों से मुखौटे उतारने पड़े।



भाजपा के दिग्गज नेता और अपने आपको ही पार्टी मानने वाले चंद्रशेखर को ये गवारा नहीं हुआ। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया भी जानते थे कि पलाड़ा को सत्ता में लाने से कहीं आने वाले कल में उनका क़द और पद छोटा ना हो जाए!अपने आपको पार्टी का महान रणनीतिकार समझने वाले राजेंद्र राठौड़ तो अपने आप को सबका गॉडफादर ही मान कर चलते रहे हैं ।उनके सामने पलाड़ा जी राजनीति में आए। उनको लोकप्रियता मिलने लगी तो राठौर साहब को यह बात गंवारा नहीं हुई ।....और तो और अजमेर भाजपा जिला देहात अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा का रुख भी उनके विरुद्ध ही रहा। वजह साफ़ है कि कई मौकों पर पलाड़ा ने उन्हें औकात दिखा दी थी। वे जानते थे कि पलाड़ा के राजनीतिक कद के सामने उनकी स्थिति मच्छर जितनी भी नहीं । इसलिए उन्होंने भी अपनी पूरी ताकत अपने राजनीतिक गुरु ओंकार सिंह लखावत के सहयोग से श्रीमती पलाड़ा को टिकट नहीं दिए जाने पर लगा दी । लखावत की भी पलाड़ा जी कई बार फीत उतार चुके थे, इसलिए वे भी अपने वजूद का उपयोग पलाडा जी को कमजोर करने में करते ही रहे हैं ।




पलाड़ा जी ने इस बार समझ लिया कि यदि वे पार्टी के भरोसे रहे तो वे अपना सपना और क़द कभी ज़िन्दा नहीं कर पाएंगे ।इसलिए उन्होंने ऐसी चाल चली की सब देखते रह गए हैं।



उन्होंने चील के घौंसले से माँस निकाल लिया है!बज़री निचोड़ कर पानी बहा दिया है! बैल का दूध निकाल कर भी बता दिया है!!



सारे विरोध धरे रह गए हैं ।अपने आपको दिग्गज कहने वाले लोगों के पास दिखाने के लिए अब कोई चेहरा नहीं बचा है।



विजेता पलाड़ा जी ने भाजपा से इस्तीफा देकर पार्टी के चेहरे को लहूलुहान कर दिया है ।पार्टी को जिन नेताओं की वजह से शर्मिंदा होना पड़ा उनको तो स्वयं पार्टी से इस्तीफा दे देना चाहिए।ख़ास तौर से देवी शंकर भूतड़ा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए। उनकी हठधर्मिता से ही भाजपा जीती हुई बाज़ी हार गई।


© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved