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August 22, 2019
और कुछ नहीं था ।तूफ़ान आने के पहले की ख़ामोशी थी ।जिसे मैं समझा नहीं था ।मुझे लगा था जैसे मैंने चिन्मयी गोपाल को यूं ही लेडी सिंघम मान लिया था। मैंने ये संभावना भी ज़ाहिर की थी कि शहर में तेज़ी से रफ़्तार पकड़ रहे अवैध भवनों और मॉलों का निर्माण अब नहीं रुक पायेगा। यह भी कहा था मैंने कि लेडी सिंघम चिन्मयी पर मंत्री डॉ रघु शर्मा ,भवानी सिंह देथा और जिला कलेक्टर का अप्रत्यक्ष रूप से दबाव काम करने लगा है ।उनकी ताक़त का अब कोई इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। मगर यह क्या ....बारूद ने फिर धमाके के साथ फटना शुरू कर दिया। फिर से शहर के अवैध निर्माणों पर गाज़ गिरने लगी ।फिर से ऐसे भवनों को सीज़ किया जाने लगा जो भवन निर्माण की शर्तों और कानून को धत्ता दिखा कर बनाई गई हैं।लेडी सिंघम की ईमानदारी पर शहर में किसी को कभी कोई शक़ नहीं रहा।उन्होंने जिस तरह से नगर निगम में रह कर नगर निगम के मगरमच्छों से बैर पाला।उनके जबड़ों में फंसे माँस को हाथ डाल कर निकाला।ये पूरे शहर ने देखा।मगर पिछले एक महीने की उनकी ख़ामोशी भी शहर ताज़्ज़ुब से पढ़ रहा था।कई बेईमान सवाल ज़ेहन में उठने लगे थे।
अब जब कि फिर से वैशाली नगर के बीकानेर स्वीट्स के सामने निर्मित एक बहु चर्चित मॉल को सीज किया गया है तब यह बात साफ़ हो गई है कि कोई कितना भी ताक़तवर क्यों ना हो अगर ग़लत है तो उस पर ईमानदारी का हमला होगा ही। राजनीतिक घालमेल और निगम के साथ तालमेल करते हुए शहर में कई ऐसे भवन निर्माण हो रहे थे जिनके लिए कहा जा रहा था कि बिगाड़ ले हमारा कोई कुछ ,हमने तो शहर के सीने पर कीला ठोक दिया है।अब उनको महसूस हो रहा होगा कि किसके ,कहाँ और कितना गहरा कीला ठुका है। जो कह रहे थे कि हमारी कोई उखाड़ नहीं सकता उनकी जड़ उखाड़ने वाली कार्यवाही हो चुकी है।कुछ मूंछों पर ताव देने वाले और भी भाई लोग इंतज़ार करें।
इस बार तेज़ बारिश हुई है ।ऊँचे पहाड़ों के सीने दरकने लगे हैं ।इमारतों के ईमान जगह छोड़ रहे हैं।वैसे भी जो इमारतें अवैध रूप से बनाई जाती है उनकी जड़ें पहाड़ों की पकड़ में नहीं आतीं।ज़रा सा मौसम मिजाज़ बदल ले तो दरक जाती हैं। अपनी जगह से सरक जाती हैं।
मुमकिन है शहर के कुछ लोगों पर लेडी सिंघम की इस कार्रवाई से सांप लोटें । बिलों में से चूहों के चीख़ने की आवाजें सुनाई दें ।मौसरे भाई और रिश्तेदार कार्रवाई को द्वेषता पूर्ण ही बता दें।मगर दूसरा पहलू ये भी है कि पूरा शहर कह रहा है कि अब के गब्बर सिंह को कोई मिला है जो नज़र मिला कर इतनी बात तो कर सके। मैडम जी !रातों रात करोड़पति हो जाने वाले पिल्लों की पूंछ पर पैर रखकर आपने यह तो बता ही दिया कि ताक़तवर लोग संगठित होकर भी ईमानदार अधिकारी के इरादे नहीं बदल सकते।
मुझे लगता है कि लेडी सिंघम की अब दूसरी पारी शुरू हुई है। अभी कई कार्यवाहियां और कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए क़दम उठाए जाएंगे।
नगर निगम के एक कर्मचारी ने दबी जुबान में मुझे जानकारी दी है कि लेडी सिंघम एक और धमाके को बहुत जल्दी अंजाम दे सकती है । पूछने पर उसने बताया कि पुरानी मंडी के एक हवाई व्यवसायिक निर्माण को लेकर मैडम बहुत सीरियस हैं। हाँ जी यह वही कॉन्प्लेक्स है जिसके लिए अधिनस्थ अधिकारियों ने मैडम से फाइल खो जाने तक का झूँठ बोल दिया था ।अब जबकि उनके ख़ौफ़ से फाइल वापस मिल गई है और उसमें भारी अनियमितताएं पाई गई हैं तो काम्प्लेक्स पर गाज़ गिरना स्वभाविक है ।निगम कर्मी ने कई बातें कॉन्प्लेक्स की कमियों के बारे में बताईं मगर मैं जान कर उन्हें यहाँ उल्लेखित नहीं करना चाहता क्योंकि उसे पढ़कर कंपलेक्स वाले नाहक़ किसी कॉम्लेक्स में आ जाएंगे। यह मैं मेडम सिंघम पर छोड़ता हूँ कि वे अपने विवेक से फ़ैसला लें और शहर को बता दें कि हर अधिकारी बिकाऊ नहीं होता।अपनी बात मैं अपने लोकप्रिय शेर के साथ समाप्त करता हूँ।
*अभी तो बाज़ की असली उड़ान बाक़ी है,*
*कुछ परिंदों का अभी इम्तिहान बाक़ी है,*
*अभी तो उसने फ़क़त पर्वतों को नापा है,*
*अभी तो सामने एक आसमान बाक़ी है*
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