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July 13, 2019
2136 #मधुकर कहिन
*अपनी किस से यारी है , आज इसकी तो कल उसकी बारी है - ब्लॉग लेखन विशेष*
नरेश राघानी
मित्र संजय लड्ढा ने आज फोन करके मुझसे कहा कि - *क्या मधुकर जी आप गाय पर भी ब्लॉग लिख सकते हो ?? क्या शहर में दूसरी कोई समस्या या विषय नहीं मिला क्या आपको ?*
मैंने कहा *भाई !!! गाय ??? तुम गाय कह रहे हो मैं तो कुत्ते पर भी ब्लॉक लिख सकता हूं । बशर्ते कोई शहर का नेता अथवा अधिकारी कुत्ते से भी गई गुजरी कोई हरकत कर दे तो । अपनी किस से यारी है आज इसकी तो कल उसकी बारी है।*
गाय तो फिर भी एक *धार्मिक* पशु है। और *यदि मेरे ब्लॉग लिखने से एक घायल पशु का भला होने की संभावना उत्पन्न होती है, तो इसमें हर्ज ही क्या है ?* और वैसे भी *लिखने के लिए मुझे कौन से पैसे देने पड़ते हैं । शहर में लोग पैसे दे देकर ब्लॉग लिखवा रहे हैं । किराये के पत्रकार साथ बिठाकर।* और अपने नाम से चला रहे हैं। ऐसे में मैं अगर खुद प्रयास करके रोज एक दो ब्लॉग लिख लेता हूं । तो उसमें विषय क्या है , इस पर मेरे ख्याल से कोई बहुत विशेष सोचने वाली बात नहीं है।
क्या घटित हुआ है वह तो लोग अन्य मीडिया माध्यमों से जान हीं लेते हैं । और उन माध्यमों में जिस तरह से लिखा जाता है वह *केवल घटना का ब्यौरा मात्र* होता है। जिसमें केवल यह बताया जाता है कि क्या घटित हुआ है। और कहां घटित हुआ है । थोड़ा और अच्छा लिखने वाले यह भी लिख देते हैं कि कैसे और किन कारणों से घटित हुआ है। परंतु *जो घटित हो रहा है उसके बारे में अपने विचार रखना मेरे ख्याल में ब्लॉग लेखन है।* और यह कर पाना उसी के लिए संभव है जो सब खबरें पड़ता है , और उन पर विचार करके अपना मत या नजरिया लिख कर लोगों तक पहुंचाता है। ताकि लोग उस *नजरिया से उस घटना को देखकर अपनी राय बना सके।* सच पूछो तो खबर लिखने वाले और ब्लॉग लिखने वाले में यही एक बहुत बड़ा अंतर है। जो कि अधिकांश लोग नहीं समझ पाते हैं। और *अपुन तो ठहरे कलाकार आदमी ... जो ब्लॉग लिखने से पहले ग़ज़ल और कविताएं ही लिखा करते थे। वह भी कितनी अच्छी लिखते थे, उसका अता पता नहीं । बस अपना मन खाली करने के लिए लिखा करते थे। जब देखा कि सोशल मीडिया पर लोग कविताएं और ग़ज़ल जैसी चीजें पढ़कर हल्की-फुल्की तारीफ करने लगे। तो एक दिन विचार आया कि क्यों ना ज्वलंत मुद्दों पर भी अपना विचार लिखकर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाए।* यह यात्रा कोई 3 साल पहले शुरू हुई होगी। जिसके अंतर्गत तकरीबन 21 सौ ब्लॉग अब तक लिख चुका हूँ। बहुत संतुष्टि का अनुभव करता हूं। इस यात्रा के बीच में मैंने यह पाया है कि जो कुछ भी आपके आसपास घटित हो ,उसे यदि आप ध्यानपूर्वक देखकर उसके बारे में लिखकर लोगों तक पहुंचाएं , तो भी वह एक तरह से आपके अनुभव को लोगों से साझा करने से लोगों का ज्ञान बढ़ाने के ही काम आता है। और कुछ नहीं तो अपने अनुभव साझा करने से *असीम संतुष्टि ज़रूर मिलती है।* ब्लॉग लेखन के दौरान अब महसूस होने लगा है की , लोग *अपनी समस्याएं कॉल कर के मुझ तक पहुंचाने लगे हैं । और उम्मीद भी करते हैं कि मैं उनके दिए हुए विषय पर भी कुछ लिखूं।* अधिकांश लोगों के दिए हुए विषयों पर मैं पूरा प्रयास करता हूं कि जल्द से जल्द लिख कर आप लोगों के साथ साझा करूं। परंतु सभी पर नहीं लिख पाता हूँ। क्योंकि *अकेले इंसान के लेखन की भी कुछ सीमाएं होती हैं। इसलिए बाकी लोगों से माफी मांग लेता हूँ।* फिर भी मैं *राजनीति के दल दल से दूर* हटकर इस लेखन क्षेत्र में आकर बहुत खुश हूँ। क्योंकि *राजनीति की तरह इस क्षेत्र में आपको आपसे कम योग्य इंसान के सामने शीश झुकाना नही पड़ता। और आपकी अंतरात्मा सदैव जीवित रहती है।*
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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