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May 31, 2019
#मधुकर कहिन
*चुनाव पैसों से नहीं लोगों से जीते जाते हैं !!!*
*मोदी सरकार में मंत्री बने आदर्श सेवक प्रताप सारंगी।*
नरेश राघानी
कल घोषित की गई मोदी सरकार का सबसे चर्चित चेहरा है *प्रताप सारंगी* । जो कि *ओडिशा के बालासोर* से चुनाव जीत कर आए हैं। नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में उन्हें *राज्यमंत्री* का दर्जा प्रदान किया गया है। प्रताप सारंगी के बारे में जानना हो तो आप *सिर्फ गूगल करें* । तो आपको पता पड़ेगा कि *प्रताप सारंगी इस देश में धन से की जाने वाली राजनीति के मुंह पर करारा तमाचा है ।* प्रताप सारंगी इस चुनाव के दौरान ऐसे उम्मीदवार थे , जिनका सामना करोड़ों के मालिक धन्ना सेठों से था। परंतु उनकी तपस्या सफल हुई। सारंगी ने एक *ऐसा उदाहरण पेश किया है , जिसे देख कर सैकड़ों की तादाद में राजनीति के क्षेत्र में सेवा कार्य करने वाले गरीब कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद होगा।*
गमछा पहने अपने घर के बाहर नल के पास नहाते हुए , साइकिल पर चुनाव प्रचार करते हुए, मंदिर के बाहर पूजा में लीन सारंगी की ऐसी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब जम कर वायरल हो रहीं हैं।
सारंगी ने ओडिशा में *बजरंग दल के अध्यक्ष* के तौर पर भी काम किया है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लंबे समय से जुड़े रहे सारंगी जमीन से जुड़े रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि राजनीति के गंद ने सारंगी को नहीं छुआ है। सारंगी पर किसी ज़माने में कई राजनीतिक मुकदमें भी दर्ज हुए हैं । परंतु निरंतर अपनी जीवनशैली और कार्य क्षमता से समाज हित में लगे रहे सारंगी ने इस चुनौती को भी पूरे दम से हरा कर दिखाया है। *इन मुकदमों में धार्मिक उन्माद फैलाने भड़काऊ भाषण देने और गैर इरादतन हत्या तक के आरोप शामिल है ।अपने राजनैतिक इतिहास में विदेशी समाजसेवी ग्राहम स्टेंस और उनके दो छोटे बच्चों की निर्मम हत्या के वक़्त सारंगी बजरंग दल के राज्य प्रमुख थे। तब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को दोषी पाया गया था। तब अपने बयानों में सारंगी हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण के खिलाफ खुलकर बोलते थे।तब सारंगी ने हत्या की घोर निंदा तो की थी। लेकिन उनका जोर धर्मांतरण रोकने पर अधिक था। लेकिन सारंगी को अब तक किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है।*
कल रात जब सारंगी मंत्री पद की शपथ ले रहे थे पूरा ओडिशा गुरुवार को जश्न मना रहा था। नीलगिरी से दो बार विधायक रह चुके सारंगी *आज भी अपने गांव गोपीनाथपुर में एक कच्चे मकान में रहते हैं। भुवनेश्वर में उनकी मां उनके साथ रहती थीं। जिनका पिछले साल देहांत हो गया। उसके बाद अब सारंगी बिलकुल अकेले हैं।*
हमेशा *हवाई चप्पल और कंधों पर कपड़े का झोला* लिए सारंगी को, लोग आए दिन सड़क पर पैदल , रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते हुए या सड़क किनारे किसी झोपड़ी होटल में खाना खाते हुए देखते हैं।
2019 का चुनाव जीतना सारंगी के लिए कतई आसान नहीं था। मैदान में टक्कर *प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक के बेटे नवज्योति पटनायक और बीजेडी के रवींद्र जेना से थी।*
*दोनों ही ज़बरदस्त धनाढ्य थे और पैसा पानी की तरह बहाने वाले उम्मीदवार थे* । *जिनके सामने खटारा ऑटो रिक्शा की छत हटा कर उसमें खड़े होकर प्रचार करने वाले सारंगी को देख कर लोगों में उनके लिए भावना उत्पन्न हो गयी। और अंत में सारंगी सब पर भारी पड़े ।*
सारंगी की इस सफल यात्रा ने वाकई यह सिद्ध कर दिया है कि राजनीति में धनबल के सामने जनबल हावी पड़ता है। अपनी जीवन शैली को आदर्श बनाकर व्यक्ति कहीं भी पहुंच सकता है। *इस ब्लॉग के साथ प्रताप सारंगी की कुछ तस्वीरें भेज रहा हूँ देखिएगा ज़रूर !!!
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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