Post Views 1021
March 9, 2019
कुछ दिनों से बड़ी तसल्ली से सब कुछ देख रहा हूँ। पुलवामा हमले के दौरान हुई जवानों की शहादत के बाद इंडियन आर्मी की शानदार जवाबी कार्यवाही से देश भर की रगों में खून दो गुना तेजी से दौड़ने लगा है। लेकिन *वहीं कुछ ऐसा भी घटित हो रहा है जो सबको शायद न दिखाई दे।* लेकिन मधुकर की आदत से मजबूर नज़रों को तो सब दिखाई देता है ।
आप लोगों को भी *थोड़ा समय मिले तो कुछ दिन के लिए अखबारों और चैनलों के मकड़ जाल से बाहर निकल कर* शांति से अपने घर के सोफे पर बैठ जाइए । और तनिक देखिए कि - आपके चारों तरफ आखिर चल क्या रहा है ? *यदि मैं आपको जिस दिशा से खड़े होकर देश की स्तिथि देखने को कह रहा हूँ , आप वाकई वहां तक पहुंच गए , तो मां कसम !!! आप ऊपर वाले से देश के भविष्य की सलामती हेतु प्रार्थना करने लगेंगे।*
केंद्र सरकार में बैठा सत्ताधारी दल सर्जिकल स्ट्राइक पर अपनी *राजनीतिक रोटी सेकने* में व्यस्त हैं, उनके घटिया प्रतिद्वंदी *बेशर्मी* से सीमा पर शहीद हुए जांबाजों की वीरता का सबूत मांग रहे हैं। दूसरी तरफ राम मंदिर पर बहस हो रही है। *मीडिया चैनल देश का सौहार्द संभालने की बजाय टीआरपी के चक्कर में* हिंदू मुस्लिम नेताओं को आमने सामने बिठाकर *मुर्गा लड़ाई* करवाते हुए नज़र आ रहे हैं । और बजाए माहौल ठीक रखने के माहौल में और *आग लगाने पर तुले हैं ।*
कांग्रेस पार्टी के *भविष्य के प्रधानमंत्री* राहुल गांधी तो अभी तक राफेल विमान से नीचे ही नहीं उतरे हैं। और हर हाल में मोदी सरकार द्वारा विमान खरीद में हुए भ्रष्टाचार को चिन्हित करने में बिजी हैं। वहीं केंद्र सरकार के सहयोगी *राहुल के आरोपों की इस बमवर्षा से बचने के लिए राफेल के दस्तावेज चोरी करवा करवा कर भी चौकीदार की ईमानदारी का सबूत पेश करने पर आमदा हैं ।*
इस राष्ट्र बवाल से थोड़ा दूर हटेंगे तो आपको देखने को मिलेगा की - अपने अपने कार्यक्रमों के दौरे पर अजमेर आए राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य और जनसंपर्क मंत्री *डॉ रघु शर्मा* और केंद्र सरकार के गृह मंत्री *राजनाथ सिंह* दोनों एक ही दिन अजमेर पधारें। और अपने अपने तरीके से सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर बयान देने लगे । राजनाथ सिंह सर्जिकल स्ट्राइक को *उपलब्धि* गिनवा रहे थे । डॉ रघु शर्मा भाजपा पर इस मुद्दे को लेकर अपनी चुनावी राजनीति को चमकाने का आरोप लगा रहे थे। *हालांकि डॉ रघु शर्मा के बयान की तारीफ करनी ही पड़ेगी क्योंकि उन्होंने अपने बयान में कम से कम सबूत मांगने जैसी कोई भी घटिया बात नहीं कही । जिसके लिए डॉ शर्मा वाकई साधुवाद के पात्र हैं ।*
एक और करामाती किस्से के अनुसार ,
*मनीष शर्मा* नामक जिला कांग्रेस कमेटी सचिव कुछ दिन पहले अजमेर में आयोजित *कांग्रेस शक्ति प्रशिक्षण शिविर के दौरान , दो कांग्रेसी गुटों के शक्ति प्रदर्शन का शिकार हो गया* और विरोधी गुट के कुछ *जांबाज सिपाहियों ने अपने राजा की शह पर* , मनीष की टांग तोड़ दी। जिस पर लगभग 10 दिनों बाद भी पुलिस कार्रवाई ना होने पर , मनीश अपनी *टूटी हुई टांग ले कर कलेक्टर और एसपी के दरवाजे पर न्याय की गुहार लगाते हुए दिखाई दिया* । वहीं *एक और मनीष मूलचंदानी* नामक व्यापारी की अजमेर में *गोली मारकर सरेआम हत्या* हो गयी और पुलिस अब तक हत्यारों को नही पकड़ पाई। बताइए हैं न *जादुई किस्सा* ?
*फिर जब सत्ता में बैठी कांग्रेस के सचिव मनीष का ही यह हाल है तो बाकी व्यापारी लोगों की तो क्या कहें !!!*
खैर .... अजमेर नगर निगम में कुछ भवनों के नक्शे पास हो जाने के बाद उसमें कमियां देखकर पुनः उच्चस्तरीय जांच बिठा दी गयी। जिसमें कुछ सरकारी लोगों पर *कड़ी कार्यवाही कर सर्जीकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया* । मतलब कोई इनसे पूछे कि - *भाई !!! आखिर चाहते क्या हो ? कितना रायता फैलाओगे यार ??* अब आम आदमी पहले तो अपना काम करवाने के लिए निगम के चक्कर लगाए , फिर पैसे खिलाकर काम करवाये, *क्योंकि बिना पैसे तो साहब काम होता ही नहीं कलयुग में।* फिर अधिकारियों के बीच की *बंदरबांट* के कहर को भी झेले।
मतलब *चारों तरफ* ऐसी ऐसी घटनाएं हो रही हैं , *जो कि जब एक साथ 14 पन्नों के अखबार या फिर जेब में पड़े मोबाइल पर दिखाई देती हैं , तो आम आदमी के दिमाग का दही हो जाता है।*
अब आम आदमी *बेचारा* जाए तो कहां जाए ? अपने बच्चों के लिए रोटी कमाए,रोजमर्रा की जिंदगी से संघर्ष करे या देश की बड़ी-बड़ी समस्याओं के बारे में विचार कर कर के *अधमरा* हो जाए ?? वो *भारत माता की जय बोलता है तो उसे भगवा रंग के चश्में से देखने लगते है लोग, महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता बोलता है तो उसे इंटरनेट पर चल रहे महात्मा गांधी विरोधी प्रचार का शिकार होना पड़ता है।* भगवे भगवान सेक्यूलर लिबरल की खींचतान में उलझा हुआ आम आदमी बेचारा वाकई सोच सोच कर *कंफूजिया* गया है कि आखिर इन सब बातों का अंत जाकर कहां होगा ?
श्रेय के हकदार तो दोनों ही राजनैतिक दल नहीं है। *एक तरफ ऐसे लोग हैं जो देश की ऐसी नाज़ुक हालात में भी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में लगे हुए हैं* । और एक तरफ ऐसे लोग हैं जो कि सीमा पर शहीद हुए वीर *जवानों की शहादत का श्रेय लूटकर फिर सत्ता में आना चाहते हैं ।* तो फिर श्रेय का हकदार आखिर है कौन ? चलिये मैं आपको बताता हूँ। दरअसल वाकई श्रेय का कोई हकदार है !!! तो वह है इस देश का *आम आदमी* । जो दिन रात मेहनत करके अपने बच्चे पालता है । और फिर भी जीएसटी और नेताओं के उलजुलूल बयानों की भारी मार झेल कर सरकारी खजाना भरने में लगा हुआ है। ऐसे आम आदमी और कर्मठ भारतवासी को श्रेय न राहुल गांधी देना चाहते हैं। ना ही नरेंद्र मोदी। फिर भी क्या करें विडंबना है साहब ??? आज की राजनीति में आपको सही और गलत में से नहीं, बल्कि दो गलत लोगों में से किसी एक को चुनना होता है। और दो गलत लोगों में से कौन ज्यादा सही है ? इसका चुनाव करना अपने आप में एक बहुत बड़ा चैलेंज है । यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे कि आपके सामने *जहर की बोतल* रख दी जाए और दूसरी ओर *फांसी का फंदा* । मरना आपको ही है । बस किस तरह से मरना है उसका चुनाव करने के लिए यह सब खेल तमाशा हो रहा है । ऐसे में इस देश का भविष्य किन हाथों में सुरक्षित है ? इसका फैसला अपने वोट की बजाय ऊपर वाले पर छोड़ देना ही बेहतर है। वैसे भी इस देश रूपी स्वचालित विमान को ऊपरवाला ही चला रहा है। सो यही मानिए और संतोष कीजिये कि -
*दीनबंधु दीना नाथ , मेरी डोरी तेरे हाथ* ।
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved