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October 11, 2017
राजस्थान में इस बार कमजोर मानसून के चलते पेयजल का बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. प्रदेश के 33 में से 24 जिलों में इस बार औसत से काफी कम बारिश हुई है. इनमें से 14 जिले तो ऐसे हैं, जहां मानसून के विदा होने के साथ ही पानी का संकट खड़ा हो गया है.
प्रदेश के 14 जिलों में पेयजल संकट की स्थिति से निपटना एक ओर जहां राज्य सरकार के लिए चुनौती बन गया है. वहीं दूसरी ओर पेयजल स्त्रोतों के अभाव में जलदाय विभाग अधिकारियों के अभी से हाथ-पांव फूलने लग गए हैं. पेयजल संकट की स्थिति से निपटने के लिए मुख्य सचिव गुरूवार को जलदाय विभाग अधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगे.
प्रदेश में चुनावी साल में राज्य सरकार के लिए कमजोर मानसून बड़ी चुनौतियां खड़ी कर सकता है. प्रदेश के अलवर, बारां, भरतपुर, बूंदी, दौसा, धौलपुर, श्रीगंगानगर, जयपुर, झुंझुनूं, करौली, कोटा, सवाईमाधोपुर, सीकर, टोंक जिले में इस बार मानसून के दौरान औसत से काफी कम बारिश हुई है.
14 जिलों में 20 से 60 प्रतिशत तक कम बारिश होने से अभी से पेयजल की किल्लत शुरू हो गई है. बारिश कमजोर होने से 14 जिलों के अधिकांश बांधों में पानी नहीं आने से जलदाय विभाग की कई योजनाएं अभी से दम तोड़ने लगी हैं.
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