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August 19, 2017
सायबर क्राइम दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. अमेरीका और जापान जैसे विकसित देश भी इस चुनौती से जूझ रहे हैं. पिछले कुछ समय से कॉल स्पूफिंग सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनी हुई है. फर्जी कॉलर मनचाहे नंबर डिस्पले कर संगीन वारदातों को अंजाम देने में कामयाब हो रहे हैं. अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर शातिर अपराधी संगीन वारदातें करने के बावजूद खुद की पहचान छुपाने में कामयाब रहते हैं. कॉल स्पूफिंग और कॉल फॉर्जिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए वे अपनी पहचान छुपाने में कामयाब हो रहे हैं. ऐसे ही एक प्रकरण का खुलासा हाल ही में एसीबी ने किया है जिसमें पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर के पोते साहिल राजपाल को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी साहिल खुद को एसीबी का एडिशनल एसपी बताकर पीएचईडी के अधिकारियों और निजी कंपनियों के पदाधिकारियों को धमकाकर लाखों रुपए ऐंठता था. सायबर एक्सपर्ट मुकेश चौधरी का कहना है कि कॉल स्पूफिंग करना बड़ा आसान हो गया है. कई सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां बहुत की कम चार्ज में कॉल स्पूफिंग की फैसेलिटी देती हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कॉल स्पूफिंग से बचना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है लेकिन संदेह होने पर कॉल को डिस्कनेक्ट कर कॉल बैक की जा सकती है. ऐसा करने से फर्जी कॉलर के पास कॉल जाने के बजाय मोबाइल नम्बर धारक के पास ही कॉल जाएगी. हालांकि सायबर एक्सपर्ट की मदद से सुरक्षा एजेंसियां क्रिमनल्स को बेनकाब भी कर रही हैं लेकिन हाईटेक क्राइम पर कंट्रोल कर पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.
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