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July 22, 2017
पनामा पेपर्स मामले में घिरने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कुर्सी खतरे में पड़ गई है. ऐसे में अगर उनको कुर्सी छोड़नी पड़ी, तो उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ की प्रधानमंत्री पद पर ताजपोशी तय है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अगर सुप्रीम कोर्ट संवेदनशील पनामा पेपर्स मामले में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अयोग्य ठहराता है, तो उनके छोटे भाई एवं पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शहबाज उनकी जगह ले सकते हैं.
शहबाज पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नेशनल असेम्बली के सदस्य नहीं हैं, जिसके चलते वह फौरन उनका स्थान नहीं ले सकते और उन्हें चुनाव लड़ना होगा. पाकिस्तानी चैनल जियो न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि शहबाज के उपचुनाव में चुने जाने तक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के 45 दिनों तक अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने की संभावना है. यह निर्णय सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) की उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया.
इस बैठक में यह भी फैसला किया गया कि यदि निर्णय प्रधानमंत्री के खिलाफ आता है, तो पार्टी सभी उपलब्ध कानूनी एवं संवैधानिक विकल्पों का इस्तेमाल करेगी. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री शरीफ ने की. इसमें शहबाज, संघीय मंत्रियों, सलाहकारों और पनामा पेपर्स मामले में शरीफ परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाली कानून विशेषज्ञों की टीम ने हिस्सा लिया.
बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाने के बाद की स्थिति की समीक्षा की गई. सूत्रों के मुताबिक कानूनी विशेषज्ञों के दल ने पनामा पेपर्स मामले में स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री को जानकारी दी. हालांकि आसिफ ने एक टॉक शो में इन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया. उन्होंने कहा, पूरी पार्टी नवाज शरीफ के नेतृत्व के पीछे खड़ी है. प्रधानमंत्री पद का कोई उम्मीदवार नहीं है. इस मामले पर बैठक में कोई बातचीत नहीं हुई.
मालूम हो कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर्स मामले में शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी, लेकिन उसने अपना फैसला सुरक्षित रखा, जो शरीफ का राजनीतिक भविष्य खतरे में डाल सकता है. जस्टिस एजाज अफजल की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपना फैसला सुनाने के लिए तुरंत कोई तारीख मुकर्रर नहीं की.
सुप्रीम कोर्ट ने 67 वर्षीय शरीफ और उनके परिवार पर लगे आरोपों की जांच के लिए छह सदस्यों वाली जेआईटी गठित की थी. इसे जांच करनी थी कि शरीफ परिवार ने 1990 के दशक में लंदन में जो संपत्तियां खरीदीं, उसके लिए धन कहां से आया. जेआईटी ने सिफारिश की थी कि रिपोर्ट का दसवां खंड गोपनीय रखा जाए, क्योंकि इसमें दूसरे देशों के साथ पत्राचार का ब्योरा है. अभी तक शरीफ ने सत्ता से हटने से इनकार किया है. उन्होंने जांचकर्ताओं की रिपोर्ट को आरोपों और अनुमानों का पुलिंदा करार दिया है. सत्ता में बने रहने के उनके फैसले का अनुमोदन संघीय मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते कर दिया.
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