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June 16, 2017
रिपोर्टर- देश के पूर्व चीफ जस्टिस पीएन भगवती (95) का गुरुवार को यहां अल्प बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्हें जनहित याचिकाओं की अवधारणा लाकर देश में न्यायिक सक्रियता की शुरूआत के लिए जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि भगवती ने न्याय व्यवस्था तक लोगों की अधिक पहुंच सुनिश्चित करने का काम किया।मोदी ने ट्वीट किया, जस्टिस भगवती का निधन दुखद है। वह भारतीय कानूनी बिरादरी के बड़े नाम थे। उन्होंने हमारी न्याय व्यवस्था तक लोगों की पहुंच बढ़ाने और करोड़ों लोगों को आवाज देने में उल्लेखनीय योगदान दिया।
जस्टिस भगवती भारत के 17वें मुख्य न्यायाधीश थे और वो जुलाई 1985 से दिसंबर 1986 तक भारते के सबसे बड़े न्यायिक पद पर रहे। वो गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। 1973 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया था। उनके परिवार में पत्नी और तीन पुत्रियां हैं। उन्होंने अपने न्यायिक करियर में पीआईएल यानी जनहित याचिका को पेश कर काफी चर्चा पाई थी। 1986 में इसे समाज के पिछड़े और सुविधाविहीन लोगों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से पेश किया गया था। इसके बाद से यह न्यायिक व्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुका है।
उन्होंने अपने एक अहम फैसले में कहा था कि बंदियों के भी मानवाधिकार हैं। इसके अलावा 1978 में उन्होंने मेनका गांधी पासपोर्ट मामले में अहम फैसले देते हुए जीवन के अधिकार की व्याख्या की थी और आदेश दिया था कि किसी व्यक्ति के आने-जाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। उन्होंने आदेश दिया था कि एक व्यक्ति के पास पासपोर्ट रखने का अधिकार है।
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