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May 5, 2025
निजी शिक्षण संस्थानो द्वारा अभिभावको को स्कूल सामग्री निश्चित जगह से लेने के लिए बाध्य करने ओर निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग
अधिवक्ता व पार्षद देवेन्द्र सिंह शेखावत ने जिला कलेक्टर को दिया ज्ञापन
प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों के साथ की जा रही हर धर्मिता के खिलाफ सोमवार को अधिवक्ता व पार्षद देवेंद्र सिंह शेखावत ने साथियों के साथ जिला कलेक्टर को ज्ञापन सोपा।
शेखावत ने बताया कि जैसा कि मुझे ज्ञात हुआ है कि विगत कुछ वर्षों से शहर मे निजी शिक्षण संस्थान है प्राईवेट यूनिफार्म बनाने वाले कुछ निजी कम्पनी वाले शिक्षण संस्थाओ के साथ मिलकर एक गौरख धंधा चला रहे है जिसके तहत अभिभावको को ना केवल बाध्य किया जाता है अपितु उन संस्थाओं के द्वारा जिन सस्थाओ से शिक्षण संस्थाओ का कमिशन तय है उनसे गणवेश, किताबे व अन्य स्कूल की छात्रो की सामग्री लेने पर विवश किया जाता है। जैसा कि आपको विदित होगा कि पूर्व मे सभी स्कूलो की गणवेश, स्कूल को पहचानने का एक माध्यम हुआ करता था किन्तु वर्तमान में निजी शिक्षण संस्थाओ ने जहां एक और स्कूलो के तीन तीन स्कूली यूनिफार्म कर दिये है वही दूसरी और अभिभावको को परेशान करने के लिए व अघोषित रूप से निजी स्कूल यूनिफार्म बनाने वाली संस्थाओ से कमीशन सेट करके एक स्कूल के लिए संस्थान के लिए आय का स्त्रोत बना रखा है गौरतलब बात यह है कि वर्तमान समय मे सभी निजी एवं प्राईवेट शिक्षण संस्थाएं बिना पूर्व घोषणा के अपने स्कूल का गणवेश कर हर साल दो साल में बदल देते है जो कि राजस्थान गैर सरकारी शैक्षणिक नियम संस्था अधिनियम 1989 एवं नियम 1993 के तहत गलत एवं गैर कानूनी है। यहां आपके संज्ञान में लाने की यह बात भी अति आवश्यक है कि विगत कुछ वर्षों से सभी निजी एवं प्राईवेट संस्थाएं अभिभावको को इस बारे मे विवश करती है कि उन्हे स्कूल की सभी जरूरी सामग्री जैसे, पुस्तके, कापिया, यूनिफार्म, स्टेशनरी आदि निश्चित स्थान से ही खरीदनी पड़ेगी जो कि एक गैर कानूनी कृत्य है। वर्तमान समय मे अजमेर शहर मे कुछ निजी यूनिफार्म बनाने वाली संस्थाएं शहर की सभी निजी एवं प्राईवेट शिक्षण संस्थाओ से तालमेल व कमीशन सेट करके अभिभावको को लूटने का कार्य कर रही है। जहां एक ओर स्कूल गणवेश की निर्धारित समय होना चाहिये कि न्यूनतम पांच वर्ष तक गणवेश नही बदला जायेगी वही दूसरी ओर यदि शिक्षण संस्थाएं अपनी स्कूल गणवेश को बदलना चाहती है तो अभिभावको को प्रायः कम से कम एक वर्ष पहले सूचित करे ताकि अभिभावक अपनी आय अनुसार उस पर निवेश कर सके क्योकि जहां एक ओर बच्चो की निख्न्तर शारीरिक शौष्टव बदलता रहता है ऐसे में प्रायः साल में दो बार यूनिफार्म बदलने की जरूरत पडती है ऐसे में इस प्रकार का कृत्य जो कि स्कूल एवं निजी यूनिफार्म बनाने वाली संस्थाओ का एक षडयंत्र है उसमे फसंकर अभिभावको को अतिरिक्त आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है जो कि न केवल गलत है अपितु गैर कानूनी भी है।
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