Post Views 911
May 31, 2017
नई दिल्ली -उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार का दिन गहमागहमी से भरा रहा। मामला भी कुछ खास था। अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस मामले में भाजपा के कद्दावर नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत कई नेताओं पर आरोप तय किए जाने थे। पूरे देश की निगाह जज के फैसले पर टिकी थी कि आखिर वो भाजपा के कद्दावर नेताओं पर कौन सी धारा मुकर्रर करते हैं। हालांकि अदालत द्वारा आरोप तय होने से पहले आडवाणी समेत दूसरे नेताओं ने जमानत ले ली और अदालत से अपने खिलाफ आरोपों को खारिज करने की मांग की। अदालत ने आरोपों को खारिज करने की मांग पर पहले फैसले को सुरक्षित रख लिया। अदालत की कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो ये साफ हो गया कि ढांचा ध्वंस मामले में भाजपा के कद्दावर नेताओं को अदालती आंच का सामना करना होगा। लेकिन इन सब घटनाक्रम में दिलचस्प मोड़ तब आया जब आडवाणी ने दस्तावेजों पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया। अदालत में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पर आरोप तय किए जाने के बाद कागजी औपचारिकताएं पूरी की जा रहीं थी। ठीक उसी वक्त भाजपा के कद्दावर नेता आडवाणी ने आरोप पत्र पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वो इन आरोपों को नहीं मानते हैं। लेकिन पांच मिनट तक वकीलों और जज के समझाने के बाद आडवाणी ने कागजात पर दस्तखत किये।
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved