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May 31, 2017
नई दिल्ली -1 जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी कानून में एक नया प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान के मुताबिक हर पंजीकृत करदाता को अपनी दुकान कार्यालय फैक्ट्री और ऑफिस में लगाए गए नाम के बोर्ड पर अपना रजिस्ट्रेशन नंबर यानी कि जीएसटीआईएन नंबर लिखना भी अब जरूरी होगा। जिस-जिस जगह से करदाता व्यापार करता है उन सभी जगह पर फर्म और कंपनी के नाम के साथ जीएसटीआईएन नंबर भी अब लिखा जाएगा। इस नियम के लागू होने पर सभी दुकानों कार्यालयों के नाम के बोर्ड पर बदलाव देखने को मिलेगा। अभी किसी भी अप्रत्यक्ष कर कानून में बोर्ड पर रजिस्ट्रेशन नंबर लिखने का प्रावधान नहीं है।इसी तरह से जीएसटी कर कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि पंजीकृत करदाता अपना जीएसटी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट अपनी दुकान, कार्यालय या फैक्ट्री में डिसप्ले करके रखे। इन प्रावधानों से पंजीकृत और अपंजीकृत व्यापारियों की पहचान आसान हो जाएगी। कर अधिकारियों को भी कर वसूली में सुविधा मिलेगी। साथ ही व्यापारियों को भी यह मालूम पड़ सकेगा कि वो माल पंजीकृत व्यापारी से खरीद रहे हैं या अपंजीकृत व्यापारी से क्योंकि पंजीकृत व्यापारी से माल खरीदने पर चुकाए गए कर की इनपुट टैक्स क्रेडिट तो मिल जाएगी लेकिन अपंजीकृत व्यापारी से माल खरीदने पर रिवर्स चार्ज में टैक्स जमा करना होगा।जीएसटी में सभी व्यापारियों की रेटिंग भी होगी जिसे कम्पलायंस रेटिंग सिस्टम नाम दिया गया है। इस सिस्टम के तहत अच्छे करदाता और बुरे करदाता की पहचान हो सकेगी। जीएसटी एक्ट की धारा 149 के तहत अब हर व्यापारी की रेटिंग की जाएगी। यह रेटिंग उस व्यापारी के किए गए टैक्स कम्पलायंस के आधार पर होगी। अगर व्यापारी समय पर कर भरता है समय पर रिटर्न फाइल करता है और कर संग्रहण में सहयोग करता है तो उसकी रेटिंग ज्यादा होगी।यह रेटिंग जीएसटी कॉमन पोर्टल पर दिख सकेगी। उसका प्रभाव यह होगा कि खरीदी करने वाला व्यापारी माल बेचने वाले व्यापारी की रेटिंग देख कर यह तय कर सकेगा उसे उस व्यापारी से माल खरीदना है या नहीं। सरकारी कॉन्ट्रैक्ट टेंडर प्रक्रिया और बैंक से लोन लेने में यह रेटिंग महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
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