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December 30, 2025
चार्टर्ड अकाउंटेंट भारत के आर्थिक तंत्र की आत्मा, चार्टर्ड अकाउंटेंट देश की आर्थिक व्यवस्था की धूरी ही नहीं विश्वास, नैतिकता, अवसर और प्रौद्योगिकी के मजबूत स्तम्भ भी बने - विधानसभाध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी
30 दिसंबर। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने चार्टर्ड अकाउंटेंटस का आव्हान किया है कि वे भारत की आर्थिक व्यवस्था की धूरी ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति के अनुरूप विश्वास, नैतिकता, अवसर और प्रौद्योगिकी के मजबूत स्तम्भ भी बने।
श्री देवनानी मंगलवार को जयपुर के बिडला ऑडिटोरियम सभागार में द इन्स्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंटस ऑफ इण्डिया (आईसीएआई) की जयपुर शाखा द्वारा फिडयूशिया (विश्वास) – 2025 नैतिकता, अवसर, प्रौद्योगिकी और स्थिरता विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। श्री देवनानी ने दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारम्भ किया।
विधानसभाध्यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि यह सम्मेलन भारत की तीव्र गति से उभरती अर्थव्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए बहुत प्रांसगिक और सारगर्भित है। उन्होंने कहा कि आज का भारत अवसरों से भरा हुआ भारत है। आज हमारा देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में तेजी से आगे बढ रहा है। चाहे वह डिजिटल इंडिया के माध्यम से पारदर्शिता बढाना हो, जीएसटी के जरिए एकीकृत कर प्रणाली स्थापित करना हो, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से घरेलू उद्योगों को सशक्त करना हो, या फिर स्टार्टअप इंडिया के जरिए युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रेरित करना हो। इन सभी प्रयासों के केंद्र में विश्वास और सुशासन है। प्रधानमंत्री ने बार- बार कहा है कि सुधार केवल कानूनों से नहीं, बल्कि सोच से आते है और इस सोच को जमीन पर उतारने में आप जैसे पेशेवरों की भूमिका महत्वपूर्ण और निर्णायक साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक नीतियों, निवेश निर्णयों और कॉर्पोरेट गवर्नेंस में संतुलन स्थापित करने में चार्टर्ड अकाउंटेंटस की भूमिका बहुत अहम है। इसलिए उन्हें एक सजग प्रहरी के रूप में देशहित में अपने दायित्वों को निभाना होगा। इसी प्रकार ग्रीन बोन्डस, सस्टेनबेल फाईनेंस और ईएसजी रिपोर्टिंग के माध्यम से आप भारत के 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। इसके अलावा चार्टर्ड अकाउंटेंटस पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक उत्तरदायित्व और सुशासन के भारतीय जीवन दर्शन के मूल्यों को व्यवहारिक रूप देने में भी सबसे प्रभावी माध्यम सिद्ध हो सकते है।
विधानसभाध्यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि तकनीक के इस युग में हम एक ऐसे दौर से गुजर रहे है जहां आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस, डेटा एनॉलिटिक्स और ऑटोमिशन ने काम करने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। उपनिषेदों का भाव हमें यह सिखाता है कि ज्ञान तभी पूर्ण होता है जब उसके साथ विवेक जुडा हो। तकनीक यदि विवेक से अलग हो जाएं तो वह सुविधा नहीं संकट बन जाता है। इसलिए आज आवश्यकता इस बात की है कि हम तकनीक को अपनाएं लेकिन अपने निर्णयों को मानवीय संवेदना, नैतिकता और अनुभव से संचालित करें। कोई भी मशीन यह तय नहीं कर सकती कि सही और गलत के बीच नैतिक अन्तर क्या है। यह जिम्मेदारी पूर्ण रूप से मानव विवेक पर ही निर्भर करती है।
विधानसभाध्यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि भारत की विकास यात्रा केवल बडे उद्योगों के सहारे पूरी नहीं हो सकती। भारत की असली ताकत उसके एम.एस.एम.ई, स्टार्टअप्स और गांवों और कस्बों में बसे छोटे उद्योमियों में विद्धमान है। राजस्थान की भूमि इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है जहां कारीगिरी परम्परा और उद्यमशिलता एक साथ चलती है। यहां छोटे उद्योग केवल रोजगार का साधन नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान का माध्यम भी है। इन उद्यमों को सही दिशा, वित्तीय अनुशासन और दीर्घकालीन दृष्टि देने में चार्टर्ड अकाउंटेंटस महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
श्री देवनानी ने कहा कि आज केपिटल मार्केटस, ऑडिट, टेक्सेशन और फाईनेन्शियल रिपोर्टिंग के क्षेत्र जो परिवर्तन हो रहे है वह अभूतपूर्व है लेकिन इन सभी परिवर्तनों के केन्द्र में एक ही यक्ष प्रश्न है कि क्या हम अपने शाश्वत विश्वास को बनाए रख पा रहे है। बिना विश्वास के ना कोई समाज चल सकता है ना कोई संस्था टिक सकती है और ना ही कोई अर्थव्यवस्था स्थिर रह सकती है। भारतीय दर्शन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में अर्थ का अपना महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन इन चार पुरूषार्थों में अर्थ का तात्पर्य केवल धन कमाना नहीं बल्कि मर्यादा के साथ अर्जित किया गया साधन होना चाहिए।
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