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December 8, 2025
जयपुर। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने राजस्थान में हाई-टेक नकल माफिया की बड़ी साजिश का पर्दाफाश करते हुए शनिवार को चार चयनित कनिष्ठ लिपिकों को गिरफ्तार किया। यह सभी अभ्यर्थी ब्लूटूथ डिवाइस और विदेशी स्पाई कैमरों के जरिए पेपर हल करवाकर पास हुए थे। अब तक इस मामले में गिरोह का सरगना पोरव कालेर सहित कुल 20 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। जांच में सामने आया कि गिरोह ने परीक्षा कक्ष के अंदर से ही प्रश्नपत्र की फोटो लेकर रियल-टाइम में पेपर लीक किया था।
एडीजी विशाल बंसल ने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर द्वारा आयोजित कनिष्ठ न्यायिक सहायक, लिपिक ग्रेड-II और सहायक लिपिक ग्रेड-II की संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में इन अभ्यर्थियों ने हाई-टेक नकल के माध्यम से चयन प्राप्त किया था। SOG की जांच में पता चला कि यह पूरा नेटवर्क पहले EO-RO परीक्षा लीक मामले में भी सक्रिय रहा था।पोरव कालेर का हाई-टेक षड्यंत्र: जांच में खुलासा हुआ कि पेपर लीक का मास्टरमाइंड पोरव कालेर और उसका साथी तुलसाराम कालेर अभ्यर्थियों से लाखों रुपए लेकर उन्हें परीक्षा पास करवाने का ठेका लेते थे।गिरोह ने स्पेन से 90 हजार रुपए में 10 हाई-टेक Innova Cam Drop Box Spy Cameras मंगवाए थे, जिन्हें परीक्षा केंद्र के अंदर तैनात सदस्यों को सौंपा गया।
इस तरह रियल-टाइम में करवाई गई नकल – SOG का खुलासा
अभ्यर्थी दिनेश से 3 लाख, मनोज से 4 लाख, रमेश से 5 लाख और मनीष से 3 लाख रुपए वसूले गए।
परीक्षा शुरू होते ही गैंग के सदस्य प्रश्नपत्र की फोटो स्पाई कैमरों से लेकर तुरंत पोरव कालेर को भेज देते थे।
पोरव के पास बैठी “एक्सपर्ट टीम” पेपर को हल कर उत्तर तैयार कर देती थी।
तैयार उत्तर अभ्यर्थियों को ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए रियल टाइम में सुनाए जाते थे।
अभ्यर्थियों के कान में माइक्रो ईयरप्लग लगाया जाता था, जिससे बाहर बैठी टीम लगातार जवाब बताती रहती थी।
SOG अब इस नेटवर्क के माध्यम से पास हुए अन्य अभ्यर्थियों की सूची भी खंगाल रही है। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह गिरोह पिछले कई महीनों से लगातार राजस्थान की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को निशाना बना रहा था।
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