Post Views 61
December 3, 2025
पूर्व मंत्री महेश जोशी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जल जीवन मिशन (JJM) के 900 करोड़ रुपए के कथित घोटाले में गिरफ्तार किए गए जोशी को बुधवार (3 दिसंबर) को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत दे दी। इसके साथ ही जयपुर सेंट्रल जेल में बंद जोशी लगभग 7 महीने बाद जेल से बाहर आ सकेंगे।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महेश जोशी को 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। गिरफ़्तारी के तुरंत बाद अप्रैल के अंत में उन्हें पत्नी के निधन के कारण कुछ दिनों की अंतरिम जमानत मिली थी। वह अवधि समाप्त होने के बाद से जोशी लगातार जेल में थे। 26 अगस्त को राजस्थान हाईकोर्ट ने उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद 21 नवंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया गया था। बुधवार को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए. जी. मसीह की खंडपीठ ने आदेश सुनाते हुए जोशी को जमानत देने का फैसला सुनाया। इसके साथ ही ED की ओर से किए गए कई दावों पर कोर्ट ने सवाल भी उठाए।
जमानत का आधार—"अगर रिश्वत थी, तो वापस क्यों की?"
सुनवाई के दौरान महेश जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और वकील विवेक जैन ने तर्क दिया कि जोशी पिछले 7 महीनों से जेल में हैं और अभी तक ट्रायल शुरू तक नहीं हुआ है। ED ने जो दस्तावेज और रिकॉर्ड प्रस्तुत किए हैं, उनसे रिश्वत के आरोपों की पुष्टि नहीं होती।
ED का आरोप था कि जोशी ने अपने बेटे की फर्म को लोन दिलवाने के नाम पर 55 लाख रुपए की रिश्वत ली। बचाव पक्ष ने अदालत में बताया कि यह पूरी राशि बाद में संबंधित फर्म को वापस लौटा दी गई।
वकीलों ने कहा कि अगर यह रिश्वत होती, तो इसे वापस क्यों किया जाता? इस सवाल का ED के पास कोई जवाब नहीं है।
उन्होंने तर्क दिया कि जब तक ट्रायल पूरा नहीं होता, आरोपी को जेल में रखना न्यायसंगत नहीं है। कोर्ट ने इन तर्कों पर विचार करते हुए जमानत मंजूर कर ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जोशी के समर्थकों और कांग्रेस में राहत की भावना देखी जा रही है, जबकि ED मामले में आगे की कार्रवाई के लिए रणनीति तैयार कर रही है।
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved