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October 2, 2025
उदयपुर - शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर बुधवार को सिटी पैलेस, उदयपुर में मेवाड़ राजपरिवार की परंपरा के अनुसार अश्व पूजन हुआ। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने श्रद्धा और भक्ति भाव से इस प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया। नवमी तिथि पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ परंपरागत रूप से सजाए गए अश्वों, राजस्वरूप, नागराज और अश्वराज का पूजन किया गया। डॉ. मेवाड़ ने विधिपूर्वक आरती कर अश्वों को आहार, वस्त्र और ज्वारे अर्पित किए। इस अवसर पर डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि सनातन संस्कृति और शास्त्रों में अश्वों का विशेष महत्व है। सूर्यवंशी परंपरा में अश्वों को शुभ और सम्मान का प्रतीक माना गया है। रणभूमि में उन्होंने स्वामीभक्ति और पराक्रम का परिचय दिया है। महाराणा प्रताप का चेतक इसका अमर उदाहरण है, जो आज भी मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। गौरतलब है कि गत 2 अप्रैल को डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के गद्दी उत्सव पर भी सिटी पैलेस में अश्व पूजन की यह परंपरा निभाई गई थी।
इतिहास की बात करें तो महाराणाओं ने सिटी पैलेस में अश्वों के लिए अनेक पायगा (अस्तबल) बनवाए। इनमें 17वीं सदी में महाराणा करण सिंह द्वारा निर्मित सातानवारी पायगा विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसका अर्थ है सात और नौ खानों वाला अस्तबल। यह अस्तबल आज भी मौजूद है और इसमें मारवाड़ी नस्ल के घोड़े दर्शकों के लिए रखे जाते हैं। महाराणा भूपाल सिंह जी ने अपने शासनकाल में भी इस सूर्यवंशी परंपरा को आज़ादी के बाद तक जीवंत बनाए रखा।
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