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September 15, 2025
शिक्षा मंदिरों में आर्थिक शुचिता एवं पारदर्शिता अनिवार्य : माननीय राज्यपाल
माननीय कुलाधिपति एवं राजस्थान के राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागड़े ने आज महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के प्रवास के दौरान शिक्षकों एवं अधिकारियों से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने छात्रहित, अनुसंधान, रोजगारपरक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा की गुणवत्ता से जुड़े विभिन्न महत्त्वपूर्ण विषयों पर मार्गदर्शन प्रदान किया।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अनुसंधान के माध्यम से समाज व राष्ट्र की आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाहिए तथा ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी चाहिए, जिससे विद्यार्थी रोजगारोन्मुख बन सकें। उन्होंने निर्देश दिए कि शोध कार्यों में भारतीयता का समावेश अनिवार्य रूप से होना चाहिए। साथ ही, प्रत्येक वर्ष दिसंबर माह से पूर्व दीक्षांत समारोह आयोजित करने पर भी उन्होंने बल दिया।
नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में राज्यपाल महोदय ने पुस्तकों के निर्माण एवं यूजीसी दिशानिर्देशों के पूर्ण पालन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विद्यालय स्तर पर ही विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु उपलब्ध छात्रवृत्तियों की जानकारी सुनिश्चित करने पर जोर दिया, ताकि वे आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित हों। इसके साथ ही, कॉलेजों व महाविद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं जैसे पेयजल, शौचालय एवं भवन व्यवस्था को पूर्ण करने के लिए निर्देश दिए।
कुलाधिपति महोदय ने विश्वविद्यालयों तथा संबद्ध महाविद्यालयों के लिये *NAAC प्रत्यायन (Accreditation)* को अनिवार्य बताया और स्पष्ट निर्देश दिए कि जो महाविद्यालय इस दिशा में प्रयास नहीं करेंगे, उनकी संबद्धता समाप्त की जाए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को गुणवत्ता सुधार हेतु सभी संस्थानों को नैक प्रक्रिया पूर्ण करने के लिये प्रेरित करने को कहा।
राज्यपाल महोदय ने विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए आय-वृद्धि के उपाय सुझाए तथा वित्तीय लेन-देन में पूर्ण पारदर्शिता बरतने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जैसे विद्यार्थी कोचिंग संस्थानों पर व्यय करते हैं, वैसे ही विश्वविद्यालयों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराकर उपयुक्त शुल्क लेना चाहिए, ताकि संस्थान शैक्षिक एवं आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सके। उन्होंने विश्वविद्यालय में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नियुक्तियों के लिए आवश्यक प्रशासनिक कार्यवाही शीघ्र करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।
विश्वविद्यालय परिसर में हो रहे अतिक्रमण पर गम्भीर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने जिला प्रशासन से निजी अतिक्रमण हटाने का सहयोग मांगा तथा रेलवे भूमि से सम्बन्धित मामले में रेल मंत्रालय से पत्राचार कर राजभवन को भी अवगत कराने के निर्देश दिए। साथ ही विश्वविद्यालय को अपनी परिसंपत्तियों की रक्षा हेतु शीघ्र ही कंपाउंड वॉल का निर्माण करने पर बल दिया।
राज्यपाल महोदय ने पूर्व छात्रों के अनुभवों को वर्तमान विद्यार्थियों तक पहुँचाने पर जोर देते हुए पूर्व छात्र सम्मेलन आयोजित करने और प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों को दीक्षांत समारोह में आमंत्रित करने का सुझाव दिया। उन्होंने विदेशों में कार्यरत विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थियों को ऑनलाइन लेक्चर हेतु जोड़ने पर भी बल दिया।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि भारतीय परंपरा एवं शोध की धारा को पुनर्जीवित करने में यह नीति प्रभावी सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि व्यापक शैक्षणिक सुधारों के माध्यम से ही भारत का बौद्धिक रूप से सशक्त निर्माण संभव है।
इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों, नवाचारों तथा वर्तमान अवस्थिति का प्रस्तुतिकरण दिया और अपने कार्यकाल के दौरान किए गए प्रयासों की जानकारी साझा की।
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