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राजस्थान न्यूज़: विधानसभा में पारित हुआ भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण विधेयक, भू-जल दोहन पर सख्त प्रावधान, उल्लंघन पर होगी जेल और जुर्माने की सजा

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September 10, 2025

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल मंत्री कन्हैया लाल  ने बताया कि राज्य में भू-जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन होगा।

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में बुधवार को राजस्थान भू-जल (संरक्षण और प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक, 2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल मंत्री कन्हैया लाल ने सदन में विधेयक पर चर्चा करते हुए कहा कि जल हमारे जीवन का मूल आधार है और राजस्थान लंबे समय से जल संकट का सामना कर रहा है। ऐसे में भू-जल का संरक्षण, संवर्धन और उचित प्रबंधन आज की सबसे बड़ी जरूरत है।

प्राधिकरण का गठन और जिम्मेदारियां

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल मंत्री कन्हैया लाल  ने बताया कि राज्य में भू-जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन होगा। यह प्राधिकरण भू-जल के पुनर्भरण, जल के उचित उपयोग, निकासी संरचनाओं के नियमन और भू-जल स्तर को बनाए रखने के लिए कार्य करेगा। साथ ही, यह प्राधिकरण भू-जल दोहन दर निर्धारित करेगा और जल संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करेगा।

जिला स्तर पर योजनाएं

प्रत्येक जिले में एक जिला भू-जल संरक्षण और प्रबंध समिति बनाई जाएगी, जो स्थानीय भू-जल परिस्थितियों को ध्यान में रखकर योजनाएं तैयार करेगी।

विशेषज्ञ सदस्य और विधायक भी होंगे शामिल

प्राधिकरण में तकनीकी दक्षता रखने वाले 20 वर्ष के अनुभवयुक्त विशेषज्ञों को सदस्य बनाया जाएगा। आमजन के हितों को ध्यान में रखते हुए दो विधायक भी प्राधिकरण का हिस्सा होंगे।

आवेदन और अनुज्ञा की व्यवस्था

कोई भी निकाय या व्यक्ति भू-जल निकासी संरचना के लिए अनुज्ञा (परमिट) के लिए आवेदन करेगा। निर्धारित फीस और प्रारूप के साथ यह आवेदन प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। बिना अनुमति निकासी संरचना बनाने, ड्रिलिंग करने या प्राधिकरण की शर्तों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी।

दंड और सजा

प्रथम अपराध पर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना।
पुनः दोष सिद्ध होने पर 6 माह तक की कैद या 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों।
लगातार उल्लंघन पर पांच गुना तक शास्ति का प्रावधान।

रिपोर्टिंग और पारदर्शिता

प्राधिकरण हर वर्ष अपनी कार्यप्रणाली और रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा, जिसे विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके साथ ही भू-जल से जुड़ी जानकारी, वैज्ञानिक आंकड़े और जागरूकता सामग्री भी प्रकाशित की जाएगी।


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