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राष्ट्रीय न्यूज़: 79वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी का लाल किले से संबोधन, ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को दी सलामी

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August 15, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार लाल किले पर तिरंगा फहराया और राष्ट्रगान के बाद देश को संबोधित किया।

नई दिल्ली। भारत ने आज अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार लाल किले पर तिरंगा फहराया और राष्ट्रगान के बाद देश को संबोधित किया।

अपने संबोधन की शुरुआत में ही पीएम मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों को सलामी दी। उन्होंने कहा, “आज मुझे लाल किले की प्राचीर से ऑपरेशन सिंदूर के वीर जांबाजों को सैल्यूट करने का अवसर मिला है। हमारे सैनिकों ने दुश्मनों को उनकी कल्पना से परे सजा दी है। 22 अप्रैल को पहलगाम में सीमा पार से आतंकियों ने जिस प्रकार का कत्लेआम किया, धर्म पूछकर लोगों को मारा — पूरा हिंदुस्तान आक्रोश से भर गया था।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर उसी आक्रोश की अभिव्यक्ति था। “हमने सेना को खुली छूट दी और हमारे वीर जवानों ने सैकड़ों किलोमीटर दुश्मन की धरती में घुसकर आतंकियों को नेस्तनाबूद किया। यह कार्रवाई ऐसी है जिसे कई दशकों तक भुलाया नहीं जा सकेगा। पाकिस्तान की नींद अभी उड़ी हुई है, वहां रोज नए खुलासे हो रहे हैं।”

पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने एक संकल्प लिया है, जिसके लिए उन्हें देशवासियों का आशीर्वाद चाहिए, क्योंकि समृद्धि तभी सार्थक है जब वह सुरक्षा के साथ हो। लाल किले से घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले 10 वर्षों में, यानी 2035 तक, देश के सभी महत्वपूर्ण स्थल—चाहे वे सामरिक हों या सिविलियन, जैसे अस्पताल, रेलवे स्टेशन और आस्था के केंद्र—को नई तकनीकी प्रणालियों के जरिए एक अभेद्य सुरक्षा कवच से लैस किया जाएगा। यह सुरक्षा कवच निरंतर विस्तृत होता रहेगा ताकि हर नागरिक सुरक्षित महसूस करे और देश की तकनीक किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर सके। उन्होंने घोषणा की कि भारत मिशन सुदर्शन चक्र शुरू करेगा—एक अत्याधुनिक हथियार प्रणाली जो न केवल दुश्मन के हमलों को निष्क्रिय करेगी, बल्कि कई गुना तेजी से पलटवार भी करेगी। इसकी मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च पूरी तरह भारत में, भारतीय विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी, और इसे वॉरफेयर की जरूरतों के मुताबिक प्लस वन नीति पर विकसित किया जाएगा। महाभारत के सुदर्शन चक्र की तरह, यह भी केवल अपने लक्ष्य को साधेगा और फिर वापस लौट आएगा।

पीएम मोदी ने देशवासियों को चेतावनी देते हुए कहा कि सोची-समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश हो रही है, जो एक गंभीर संकट के बीज बो रही है। घुसपैठिए युवाओं की आजीविका छीन रहे हैं, महिलाओं को निशाना बना रहे हैं और आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमावर्ती इलाकों में डेमोग्राफिक बदलाव से देश की सुरक्षा खतरे में पड़ती है और सामाजिक तनाव बढ़ता है, जिसे भारत कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। इसी उद्देश्य से हाई पावर्ड डेमोग्राफी मिशन शुरू किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने 2035 तक देश के सभी अहम सामरिक और सिविलियन स्थलों—जैसे अस्पताल, रेलवे स्टेशन, आस्था के केंद्र—को अत्याधुनिक तकनीक से सुरक्षा कवच प्रदान करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि यह कवच लगातार मजबूत और विस्तृत किया जाएगा ताकि कोई भी तकनीकी खतरा देश की सुरक्षा को चुनौती न दे।
पीएम मोदी ने मिशन सुदर्शन चक्र की घोषणा करते हुए बताया कि यह अत्याधुनिक वेपन सिस्टम न केवल दुश्मन के हमले को निष्क्रिय करेगा बल्कि कई गुना तेज पलटवार भी करेगा। इसकी मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च पूरी तरह भारत में भारतीयों द्वारा होगी, और इसे वॉरफेयर जरूरतों के मुताबिक विकसित किया जाएगा। महाभारत के सुदर्शन चक्र की तरह यह भी केवल अपने लक्ष्य को भेदेगा और फिर वापस लौट आएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इसे अगले 10 वर्षों में पूरी गति से आगे बढ़ाएंगे, ताकि भारत की सुरक्षा अभेद्य हो सके।

पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं गर्व के साथ उल्लेख करना चाहता हूं कि 100 वर्ष पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी—एक ऐसा संगठन जिसने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ मां भारती के कल्याण को अपना जीवन लक्ष्य बनाया। बीते 100 वर्षों में आरएसएस ने राष्ट्र सेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया है और यह आज दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ माना जाता है।
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत उसकी विविधता है और हमें इस विविधता का उत्सव मनाना अपनी आदत बनाना चाहिए। प्रयागराज के महाकुंभ में हमने देखा कि कैसे करोड़ों लोग एक स्थान पर, एक ही संकल्प और प्रयास के साथ एकजुट होते हैं—यह सफलता भारत की सामूहिक शक्ति का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत भाषाओं की समृद्ध विविधता से संपन्न है, और इसी को ध्यान में रखते हुए मराठी, असमिया, बांग्ला, पाली और प्राकृत को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया गया है। उनका मानना है कि भाषाओं का विकास हमारे ज्ञान को और मजबूत करेगा, और डिजिटल युग में ये भाषाएं वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
उन्होंने कहा कि ज्ञान भारतम योजना के तहत देशभर में जहां भी हस्तलिखित ग्रंथ, पांडुलिपियां और पुराने दस्तावेज मौजूद हैं, उन्हें तकनीक की मदद से संरक्षित और प्रस्तुत करने का कार्य तेज़ी से चल रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि मोटापा देश की एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है और यह चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि हर घर में कम से कम एक व्यक्ति मोटापे का शिकार है, इसलिए हमें ओबेसिटी से बचाव के लिए कदम उठाने होंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि परिवार यह तय करें कि घर में इस्तेमाल होने वाले खाने के तेल की मात्रा 10% कम की जाए, ताकि मोटापे के खिलाफ लड़ाई में योगदान दिया जा सके। उन्होंने कहा कि जब बच्चे खेलकूद में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं तो माता-पिता गर्व से भर जाते हैं, और इसी भावना को बढ़ावा देने के लिए सरकार नेशनल स्पोर्ट्स पॉलिसी–खेलो भारत नीति लागू कर रही है। इसका उद्देश्य स्कूल से कॉलेज तक एक मजबूत खेल ईकोसिस्टम तैयार करना है, जिसमें खेल से जुड़ी सभी सुविधाएं दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच सकें।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि जल्द ही महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की 200वीं जयंती आने वाली है, जिसके उपलक्ष्य में विशेष समारोह आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने पिछड़ों को प्राथमिकता देने के उनके मंत्र को प्रेरणादायी बताते हुए कहा कि इसे हर पिछड़े वर्ग के जीवन में उतारने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पहले दिव्यांगजन, विधवा माताएं या कमजोर वर्ग के अन्य लोग सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाते थे, लेकिन अब सरकार लाभ सीधे उनके दरवाजे तक पहुंचा रही है। डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) इस बदलाव का बड़ा उदाहरण है। पहले देश यह मान चुका था कि गरीबी हटाना असंभव है, लेकिन योजनाओं को गरीबों तक पहुंचाकर और उनमें विश्वास जगाकर 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए हैं और एक नया मध्यवर्ग तैयार हुआ है।

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार केवल फाइलों में नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि सरकार की योजनाएं पहले भी आती थीं, लेकिन फर्क यह है कि हम इन योजनाओं को जमीन पर उतारते हैं ताकि कोई भी हकदार छूट न जाए और सरकार सीधे उनके घर तक पहुंचे। जनधन अकाउंट के जरिए आम व्यक्ति को यह भरोसा मिला कि बैंक के दरवाजे उसके लिए खुले हैं और वह भी बैंक जा सकता है। आयुष्मान भारत योजना से वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता की जा रही है, वहीं पीएम आवास योजना से चार करोड़ लोगों को घर मिलना उनके सपनों के पूरे होने जैसा है। रेहड़ी-पटरी वालों के लिए शुरू की गई पीएम स्वनिधि योजना हर छोटे व्यापारी की जरूरत को पूरा करती है। उन्होंने कहा कि जमीन से जुड़ी हुई ऐसी योजनाएं ही लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने का सशक्त माध्यम बनती हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि देश में खेती के मामले में जो जिले पीछे रह गए हैं और जहां कृषि अपेक्षाकृत कम होती है, उन्हें आगे बढ़ाने के लिए हमने ‘पीएम धनधान्य कृषि योजना’ की शुरुआत की है। इसके तहत ऐसे 100 जिलों की पहचान की गई है, जहां खेती कमजोर है, और इस योजना के माध्यम से वहां कृषि को सुदृढ़ करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के मछुआरों और पशुपालकों के हितों के विरुद्ध किसी भी नीति के सामने मोदी एक दीवार की तरह खड़ा रहेगा। किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हित में भारत कभी कोई समझौता स्वीकार नहीं करेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम दूसरों की लकीर छोटी करने में अपनी ऊर्जा व्यर्थ न करें, बल्कि पूरी ताकत के साथ अपनी लकीर को बड़ा करने पर ध्यान दें। जब हम अपनी लकीर लंबी करेंगे, तो दुनिया भी हमारी क्षमता को मानेगी। आज, जब वैश्विक परिस्थितियों में आर्थिक स्वार्थ तेजी से बढ़ रहे हैं, तब यह जरूरी है कि हम संकटों पर अफसोस जताने के बजाय साहस के साथ आगे बढ़ें और अपनी लकीर लंबी करें। यदि हमने यह मार्ग अपना लिया, तो कोई भी स्वार्थ हमें अपनी पकड़ में नहीं ले पाएगा।


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