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June 25, 2025
राजस्थान पेंशनर्स समाज, जिला शाखा, अजमेर के अध्यक्ष कश्मीर सिंह के नेतृत्व में पेंशनर्स ने केंद्र सरकार के हठधर्मिता के खिलाफ प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को दिया ज्ञापन, पेंशनर्स के साथ किया जा रहे दोहरे व्यवहार से नाराज पेंशनर्स न्याय नहीं मिलने पर सरकार को सिखाएंगे सबक
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में संसद में पारित एक अध्यादेश के तहत पेंशनर्स को 2026 से आठवें वेतनमान का परिलाभ नहीं दिया जाएगा। जिससे नाराज पेंशनर समाज ने आज प्रधानमंत्री के नाम जिला मुख्यालय पहुंचकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सोपा है। राजस्थान पेंशनर समाज के जिला अध्यक्ष कश्मीर सिंह ने बताया कि
केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों और भारत की सचिंत निधि से पैशन देनदारियों पर व्यय के सिन्द्वान्तों के वैद्यकरण से संबंधित विधेयक माननीय संसद से पारित हो जाने के फलस्वरूप केन्द्र सरकार को पूर्व पेंशनरों और वर्तमान पेंशनरों में विभेद करने का अधिकार प्राप्त हो गया है। इस प्रकार केन्द्र सरकार के द्वारा पूर्व, पेंशनरों और वर्तमान पेंशनरों में विभेद करने का अधिकार प्राप्त करने से न केवल माननीय उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्णयों का उल्लंघन होता है वरन दिनांक 01.01.2016 को पहले व इसके पश्चात के पेंशनरों के मध्य 7वें वेतन आयोग द्वारा प्रदत समानता भी समाप्त होने का जोखिम उत्पन्न हो गया है। हालाँकि केंन्द्र सरकार द्वारा स्पष्ट भी किया गया है कि यह कार्यवाही कतिपय मुकदमों से उत्पन्न स्थिति के कारण करनी पड़ी है। यदि ऐसा था तो भी उक्त बिल मेंइस आशय का उल्लेख किया जा सकता था कि यह एक सीमित उद्देश्य के लिए है एवं इसका कोई प्रभाव आगामी केन्द्रीय वेतन आयोग पर नहीं पड़ेगा।
देश की समाजिक व्यवस्था में देश के प्रत्येक नागरिक को न्याय एवं सुरक्षा प्रदान करना भी प्रत्येक कल्याणकारी शासन व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य होता है। इस न्याय को प्रदान किए जाने हेतु न्यायालयों के द्वारा दिए गये निर्णय को सामान्य जन सहित प्रत्येक क्षेत्र के लोगों द्वारा स्वीकार किए जाने की अपेक्षा की जाती है।इस क्रम में महोदय यह भी अवगत कराना है कि डी.एस. नकरा बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया से संबंधित सिविल रिट पिटीशन 5939/1980 में मा० उच्चतम न्यायालय के 5 जजों की संविधान पीठ द्वारा दिए गये निर्णय में अन्य के साथ निम्नलिखित संवीक्षा भी की गई है:- (क) पेंशन उन लोगों के लिये सामाजिक न्याय प्रदान करने हेतु एक सामाजिक उपाय है जिन्होने अपने जीवन की सर्वोत्तम अवधि अपनी नियोक्ता के लिए इस आश्वासन के दृष्टिगत कठिन परिश्रम किया कि बुढापे में उन्हे समाज में बेसहारा नहीं छोडा जायेगा। (ख) पेंशन योजना इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़नी चाहिए जिससे एक पेंशनर स्वावलम्बी, स्वतंत्र एवं स्वाभिमान से उसी स्तर का जीवन व्यतीत कर सके जैसा कि सेवानिवृति ये पूर्व व्यतीत कर रहा था।
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