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June 15, 2024
अजमेर दरगाह में शरई मोहम्मदी और ताजियादारी किताब का विमोचन
अजमेर।भारत के विश्व प्रसिद्ध सुल्तानुल हिन्द हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैहि के दरबार में मुहर्रम अल-हरम के बारे में एक किताब प्रकाशित की गई । जिसमें देश के अन्य राज्यो से अजमेर आये उलेमा इकराम ने शिरकत की और मुहर्रम ताजियादारी के हवाले से एक किताब का विमोचन किया। कर्बला के जिक्र के साथ मुहर्रम के दिनों में मुस्लिम इलाकों में ताजिएदारी की जाती है। इसी सिलसिले में अजमेर शरीफ दरगाह के अहाता नूर में एक किताब शरई मुहम्मदी और ताजियादारी का विमोचन किया गया। जहा विद्वानों ने शरीयत के अनुसार आवाम को नसीहते दी। हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर पुस्तक के विमोचन के अवसर पर अजमेर दरगाह अंजुमन सैय्यद जादगान के अध्यक्ष सैय्यद गुलाम किबरिया चिश्ती एवं ख़ादिम दरगाह सैय्यद गफ़्फ़ार फ़रीदी ने शिरकत की। इस अवसर पर भारत के अन्य शहरों से अजमेर आए उलेमा इकराम और ज़ायरीन ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान के पाठ से हुई।
पुस्तक के लेखक, शोधकर्ता कर्बला मौलाना फ़क्र आलम शेदाह-उल-कमाली हैदरी कादरी चिश्ती कलंदरी ने कहा कि वह मुंबई से हैं और उन्हें दो साल पहले कर्बला शरीफ में यह पुस्तक लिखने का आदेश मिला था। किताब मुकम्मल होने के बाद पुस्तक का विमोचन अजमेर शरीफ़ में किया गया। पुस्तक लिखे जाने से पहले इराक के शहर कर्बला में समस्त जानकारी जुटाई गई थी।
मौलाना ने कहा कि इस दौर के हालात को ध्यान में रखते हुए ताजीयादारी पर किताब लिखना बहुत जरूरी था, यही वजह है कि किताब को बेहद संजीदगी और जांच के साथ कुरान और हदीस की रोशनी में लिखा गया है। इस पुस्तक को अजमेर शरीफ से प्रकाशित करने का उद्देश्य लोगों को कर्बला के शहीदों के बारे में संपूर्ण जानकारी और विशेष एवं सामान्य जागरूकता प्रदान करना है।
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