For News (24x7) : 9829070307
RNI NO : RAJBIL/2013/50688
Visitors - 113076398
Horizon Hind facebook Horizon Hind Twitter Horizon Hind Youtube Horizon Hind Instagram Horizon Hind Linkedin
Breaking News
Ajmer Breaking News: अजमेर सरस डेयरी अध्यक्ष श्री रामचन्द्र चौधरी ने बताया की दिनांक 21 नवम्बर से दुग्ध उत्पादकों को 10 रूपये प्रति फैट दुग्ध खरीद मूल्य आगामी वर्ष तक दिया जायेगा |  Ajmer Breaking News: उर्स के दौरान विशेष रेल गाड़ियों संचालन व व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में बैठक,इस वर्ष  814वां वार्षिक ख्वाजा उर्स मेला अजमेर में संभावित दिनांक 15 दिसम्बर 2025 से 29 दिसम्बर 2025 सोमवार तक चलेगा।     |  Ajmer Breaking News: डॉक्टर सहित 210 से अधिक स्टाफ एवं विद्यार्थियों, सिविल डिफेंस कार्यालय अजमेर में 220 डिफेंस कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने ऑनलाइन सीखा परिगणना प्रपत्र ऑनलाइन भरना |  Ajmer Breaking News: उत्कृष्ट कार्य करने वाले 6 बीएलओ हुए सम्मानित, श्री सोकिन्दा मीणा हुए राज्य स्तर पर भी सम्मानित |  Ajmer Breaking News: अजमेर के ट्रांसपोर्ट सिस्टम में नए अध्याय की शुरूआत, मिलेगी 100 ई-बसों की सौगात, विधानसभा अध्यक्ष ने लिया डिपो निर्माण का जायज़ा, 15 करोड़ की लागत आएगी |  Ajmer Breaking News: विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने 4.5 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की दी सौगात |  Ajmer Breaking News: रिटायर रेलवे कर्मचारी के साथ 46 लाख 39 हजार रुपए की ऑनलाइन ठगी का मामला आया सामने, पीड़ित ने साइबर थाने में कराया मामला दर्ज । |  Ajmer Breaking News: राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 गगवाना के पास दर्दनाक सड़क हादसा, अज्ञात वाहन की चपेट में आए बाइक सवार, बाइक सवार युवक की मौत, दो गंभीर घायलों का जेएलएन अस्पताल में इलाज जारी |  Ajmer Breaking News: उत्तराखंड आश्रम धर्मशाला के द्वितीय तल का भव्य लोकार्पण समारोह 23 नवंबर को, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी होंगे मुख्य अतिथि |  Ajmer Breaking News: जिले के युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए सुरक्षा जवान एवं सुरक्षा सुपरवाईजर भर्ती शिविर में 48 युवाओं का चयन किया गया है। | 

क़लमकार: जयशंकर प्रसाद और मुंशी प्रेमचंद

Post Views 491

November 9, 2021

चित्र-- मृत्यु से दो दिन पहले का, प्रेमचंद जी की सेवा करती शिवरानी देवी। जमाना (ऊर्दू) अक्टूबर १९३६ कानपुर  मे प्रकाशित।

प्रेमचंद जी का शव पड़ा हुआ था। उस निर्जीव शरीर को गोद में चिपटाये भाभी शिवरानी आकाश का भी हृदय दहला देने वाला करुण क्रन्दन कर रही थीं। श्मशान जाने के लिये नगर के सैंकडों संभ्रान्त साहित्यिक उतावले हो रहे थे। कुछ अपने दु:ख का वेग नही सम्भाल पा रहे थे। कुछ को और भी बहुत से काम थे। उन्हें जल्दी थी इस काम से निबट जाने की और कुछ ने मुझे बतलाया था कि वह रास्ते से ही अलग हो जायेंगे, श्मशान तक न जा सकेंगे।दूसरी ओर भाभी शिवरानी शव को किसी को छूने नहीं दे रही थीं। सबने प्रसाद जी से कहा -- आप ही समझायें।वे आगे बढ़े। भाभी से बोले -- अब इन्हें जाने दीजिये।वे क्रोध पूर्वक चीख़ उठीं --आप कवि हो सकते हैं पर स्त्री का हृदय नहीं जान सकते। मैंने इनके लिये अपना वैधव्य खंडित किया था। इनसे इसलिये नहीं शादी की थी कि मुझे दुबारा विधवा बना कर चले जायें। आप हट जाइये। प्रसाद जी के कोमल हृदय को वेदना तथा नारी की पीड़ा ने जैसे दबोच लिया। उनका गला भर आया। नेत्रो मे आँसू छलछला उठे।मैं ही सामने खड़ा दिखाई पड़ा। मुझसे भर्रायी आवाज में बोले --  परिपूर्णा, तुम्हीं सम्भालो। भाभी चिल्लाती चीखती रहीं और मैंने अब यह प्रेमचंदजी नहीं हैं, मिट्टी है- कहकर मुर्दा उनकी गोद से छीन लिया।उस घटना के बाद मैंने प्रसाद जी को कभी हँसते नहीं देखा। उनके शरीर में क्षय घुस चुका था।जब चिता की लपट उन्हे समेटने लगी, सब लोग इधर उधर की बातें भी कर रहे थे। प्रेमचन्द जी के सम्बन्ध में कलप रहे थे। पर एक व्यक्ति मौन, मूक, एकटक चिता की ओर देखता रहा। प्रेमचंद जी का शव उठाने के समय ऐसी घटना हो गई थी उसके साथ कि उसका मन रो रहा था और शायद वह देख रहा था -- छ: महीने के बाद अपनी चिता भी... वह थे श्री जयशंकर प्रसाद।

(बीती य़ादें- परिपूर्णानन्द वर्मा) 


© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved