Post Views 11
March 24, 2021
इश्क़ में उसकी चाहत छोड़ूँ,
क्या कहते हो ज़न्नत छोड़ूँ।
नहीं मैं जाऊँ दरगाहों में,
और मांगना मन्नत छोड़ूँ।
उसका तस्सवुर भी न करूँ मैं,
उससे अपनी निसबत छोड़ूँ।
कौन मौलवी ये कहता है,
प्यार,मुहब्बत,रक़बत छोड़ूँ।
नूर ए इलाही दूर रखूं क्या,
ख़ुद पे बरसती रहमत छोड़ूँ।
अजब हो तुम भी क्या कहते हो,
वसले यार की सूरत छोड़ूँ।
मुमकिन कैसे लगा तुम्हें ये,
ज़िन्दा रहूँ ज़ियारत छोड़ूँ।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved