Post Views 11
March 11, 2021
पलकों में उसने इस तरह सपना छिपा लिया,
जैसे किसी ग़रीब ने दुखड़ा छिपा लिया.
मुर्दे के साथ ख्वाहिशें भी दफ्न हो गयीं,
मिट्टी के एक मकान में क्या-क्या छिपा लिया.
कैसे कहूँ की उसने मेरे साथ क्या किया,
सागर दिया निज़ाम में कतरा छिपा लिया.
ज़्यादा दिनों ना चल सका ख़्वाबों का सिलसिला,
लोगों ने मेरी नींद का ज़रिया छिपा लिया.
अब तक मेरी निग़ाह से रगबत तो है उसे,
कैसे हुआ मैं प्यार में रुसवा छिपा लिया.
उससे बिछुड़ के जिस घड़ी तन्हा हुआ था मैं,
नज़रों ने वही दर्द का लम्हा छिपा लिया.
आने पे उसने ज़िक्र मेरा बात फेर कर,
बरसों रहा जो प्यार का रिश्ता छिपा लिया
(सुरेन्द्र चतुर्वेदी)
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved