Post Views 11
March 10, 2021
बाहुनर मुझको बनाकर मोतबर, काटा गया,
मेरे ही ख़ंजर से आख़िर मेरा सर काटा गया.
पहले दरिया को सुखाया उसका पानी रोक कर,
बाद में उसके बदन को बेखतर1 काटा गया.
कर्बला आँगन में मुझको उस घड़ी आई नज़र,
जब हुसैनी रंग का बूढा शज़र काटा गया.
बिन सिले कपड़े की तरह हो गया मेरा वजूद,
जाने कितनी कैंचियों से उम्र भर काटा गया.
शान में उनके क़सीदे जब नहीं मैंने लिखे,
मेरे अफ़साने को करके मुख़्तसर2 काटा गया.
प्यार का मंज़र दिखाकर नफ़रतों के खेल में,
किस क़दर जोड़ा गया फिर किस क़दर काटा गया.
ज़ेहन में उसके उड़ानों की अजब परवाज़ थी,
वो परिंदा पाल कर जिसका कि पर काटा गया.
मेरे मौला तू मुझे तन्हाइयां कर दे अता,
तुझसे जुड़ जाऊँगा मैं, ख़ुद से अगर काटा गया.
1 बेखतर (बिना ख़तरे के)
2 मुख़्तसर (संक्षिप्त)
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved