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February 19, 2021
हादसे अब मुसलसल हो गये हैं, मुसलसल =लगातार
मेरे सब ज़ख्म जंगल हो गये हैं.
मेरी दीवानगी से तंग आकर,
शहर के लोग पागल हो गये हैं.
किसी की आँख के काजल से जल कर,
बहुत से लोग काजल हो गये हैं.
ज़माना पूजने आएगा इक दिन,
ग़ज़ल के शेर पीपल हो गये हैं.
मजारों और दरगाहों की ख़ातिर,
मेरे अहसास संदल हो गये है. संदल=चन्दन
सताया है मुझे रिश्तों ने इतना,
के अब जज़्बात चम्बल हो गये हैं.
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