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December 17, 2020
बस इतनी सी इज़्ज़त रखना,
अपनी दुआ में क़ुव्वत रखना।
जब ख़्वाहिश की पतंग उड़ाओ,
मांझे में भी ताक़त रखना।
सूरत सीरत जैसी भी हो,
मगर मुक़म्मल नीयत रखना।
बाजारों में जा तो रहे हो,
ख़ुद्दारी की क़ीमत रखना।
सिर्फ़ यही सीखा है हमने,
अपनी पाक़ तबियत रखना।
इन्हें दिखाते नहीं आईने,
पास हया और ग़ैरत रखना।
ग़ज़लों में गर जीना हो तो,
अदब के साथ ज़हनियत रखना।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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