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अंदाजे बयां: अपने आगे चिता सजाई मैंने भी

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December 14, 2020

मिट्टी ओढ़ी और बिछाई मैने भी

अपने आगे चिता सजाई मैंने भी,

मिट्टी ओढ़ी और बिछाई मैने भी।



कबिरा की चादर के धागों को लेकर,

बड़े जतन से बुनी रज़ाई मैने भी।



ज़ुबाँ की ख़ातिर जान हथेली पर रख कर,

रघुकुल वाली रीत निभाई मैंने भी।



क़दम क़दम पर बाहर जान के दुश्मन थे,

ख़ुद में रहकर जान बचाई मैंने भी।



सिर्फ़ अकेले ख़ुद से मिलने की ख़ातिर,

कहाँ कहाँ ढूँढी तन्हाई मैंने भी।



आख़िर दम तक साथ नहीं छोड़ेगी ये,

सच्चाई को कसम दिलाई मैंने भी।



चारों तरफ राख के टीले दिखते थे,

अपनी बस्ती कहाँ बसाई मैंने भी।



सुरेन्द्र चतुर्वेदी


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