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December 12, 2020
उसकी हर इक हँसी में बातें मेरी होती हैं,
उसके हर आँसूं में आँखें मेरी होती हैं।
ख़्वाबों से तुम पूछ के देखो वो बतलायेंगे,
उसकी हर इक नींद में रातें मेरी होती हैं।
ख़ालीपन के हर अहसास में होता हूँ मैं ही,
तन्हाई के ज़हन में यादें मेरी होती हैं।
मुझसे बादल मिलकर जाते हैं उसकी छत पर,
उसके आँगन में बरसातें मेरी होती हैं।
हर सजदे में उसके शामिल होता हूँ मैं ही,
जो भी वो पढ़ता है नातें मेरी होती हैं।
मेरे ही क़दमों से वो मंज़िल तक जाता है,
जिसपर वो चलता है राहें मेरी होती हैं।
जीने की तो सारी ख़बरें होती हैं उसकी,
मरने की सारी अफ़वाहें मेरी होती हैं।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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