For News (24x7) : 9829070307
RNI NO : RAJBIL/2013/50688
Visitors - 109350879
Horizon Hind facebook Horizon Hind Twitter Horizon Hind Youtube Horizon Hind Instagram Horizon Hind Linkedin
Breaking News
Ajmer Breaking News: जयपुर में बनेगा राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS):राज्यपाल ने दी मंजूरी, RUHS का अस्तित्व खत्म |  Ajmer Breaking News: बोराज तालाब की पाल टूटने की घटना के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग |  Ajmer Breaking News: पुष्कर में बड़ी वारदात की फिराक में घूम रहे अंतरराज्यीय गिरोह के 5 बदमाशो को लूट डकैती के काम आने वाले औजार और हथियारों सहित पुष्कर पुलिस ने दबोचा, |  Ajmer Breaking News: अजमेर के छोटे धड़े की नसिया में हुई विवाहिता की मौत के मामले में पीहर पक्ष ने ससुराल पक्ष पर लगाए गंभीर आरोप, |  Ajmer Breaking News: अवैध धर्मांतरण के मामले में विधानसभा में विधेयक पारित होने के बावजूद ठीक तरह से नहीं हो पा रही जिला पुलिस की कार्यवाही |  Ajmer Breaking News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75 में जन्म दिवस के उपलक्ष में भारतीय जनता पार्टी द्वारा खास अंदाज में जश्न मनाते हुए नरेंद्र मोदी के जीवन पर विशेष फिल्म दिखाई गई। |  Ajmer Breaking News: स्वच्छता ही सेवा 2025 अभियान का शुभारंभ 17 सितंबर 2025 को मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय, अजमेर परिसर में किया गया |  Ajmer Breaking News: अजमेर मंडल पर राजभाषा पखवाड़ा-2025 का शुभारम्‍भ   |  Ajmer Breaking News: सेन्टर फाॅर लेबर रिसर्च एण्ड एक्शन की और से अजमेर में द फर्न रेजिडेंसी हास्टल में दो दिवसीय बहु-हितधारक प्रशिक्षण का आयोजन |  Ajmer Breaking News: हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह में स्वच्छता पखवाड़े का शुभारंभ | 

विशेष: धनतेरस की कथा, महत्व एवम पूजन विधि

Post Views 11

October 30, 2020

इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की पूजा का है बड़ा महत्त्व

धनतेरस 


सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व माना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की पूजा का बड़ा महत्त्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व के बारे में स्कन्द पुराण में लिखा है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य धन्वंतरि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है।


धनतेरस के दिन खरीददारी 


मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है।  चूंकि जन्म के समय धन्वंतरि जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।


धनतेरस कथा


एक बार यमराज ने अपने दूतों से प्रश्न किया- क्या प्राणियों के प्राण हरते समय तुम्हें किसी पर दया भी आती है? यमदूत संकोच में पड़कर बोले- नहीं महाराज! हम तो आपकी आज्ञा का पालन करते हैं। हमें दया-भाव से क्या प्रयोजन?


यमराज ने सोचा कि शायद ये संकोचवश ऐसा कह रहे हैं। अतः उन्हें निर्भय करते हुए वे बोले- संकोच मत करो। यदि कभी कहीं तुम्हारा मन पसीजा हो तो निडर होकर कहो। तब यमदूतों ने डरते-डरते बताया- सचमुच! एक ऐसी ही घटना घटी थी महाराज, जब हमारा हृदय काँप उठा था।


ऐसी क्या घटना घटी थी? -उत्सुकतावश यमराज ने पूछा। दूतों ने कहा- महाराज! हंस नाम का राजा एक दिन शिकार के लिए गया। वह जंगल में अपने साथियों से बिछड़कर भटक गया और दूसरे राज्य की सीमा में चला गया। फिर वहाँ के राजा हेमा ने राजा हंस का बड़ा सत्कार किया।


उसी दिन राजा हेमा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया था। ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि यह बालक विवाह के चार दिन बाद मर जाएगा। राजा के आदेश से उस बालक को यमुना के तट पर एक गुहा में ब्रह्मचारी के रूप में रखा गया। उस तक स्त्रियों की छाया भी न पहुँचने दी गई।


किन्तु विधि का विधान तो अडिग होता है। समय बीतता रहा। संयोग से एक दिन राजा हंस की युवा बेटी यमुना के तट पर निकल गई और उसने उस ब्रह्मचारी बालक से गंधर्व विवाह कर लिया।  चौथा दिन आया और राजकुँवर मृत्यु को प्राप्त हुआ। उस नवपरिणीता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय काँप गया। ऐसी सुंदर जोड़ी हमने कभी नहीं देखी थी।  वे कामदेव तथा रति से भी कम नहीं थे। उस युवक को कालग्रस्त करते समय हमारे भी अश्रु नहीं थम पाए थे।


मराज ने द्रवित होकर कहा- क्या किया जाए? विधि के विधान की मर्यादा हेतु हमें ऐसा अप्रिय कार्य करना पड़ा। महाराज! -एकाएक एक दूत ने पूछा- क्या अकालमृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?  यमराज नेअकाल मृत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा- धनतेरस के पूजन एवं दीपदान को विधिपूर्वक करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है। जिस घर में यह पूजन होता है, वहाँ अकाल मृत्यु का भयभी नहीं फटकता।


इसी घटना से धनतेरस के दिन धन्वंतरि पूजन सहित दीपदान की प्रथा का प्रचलन शुरू हुआ।   इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।



© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved