For News (24x7) : 9829070307
RNI NO : RAJBIL/2013/50688
Visitors - 114946390
Horizon Hind facebook Horizon Hind Twitter Horizon Hind Youtube Horizon Hind Instagram Horizon Hind Linkedin
Breaking News
Ajmer Breaking News: विधानसभा क्षेत्रों में विकास रथों के माध्यम से बतायी राज्य सरकार की उपलब्धियां,विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने जनकल्याणकारी योजनाओं की दी जानकारी, आमजन में वितरित किया प्रचार साहित्य |  Ajmer Breaking News: पुष्कर में बागेश्वर धाम हनुमंत कथा की तैयारियां तेज, पुराने रंगजी मंदिर में सनातन योद्धाओं की बैठक आयोजित |  Ajmer Breaking News: राज्य सरकार के दो वर्ष, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के निर्देश, शहर होगा जगमग, सैकड़ों स्थानों पर लगेंगी हाई वोल्टेज लाइट्स |  Ajmer Breaking News: राज्य सरकार के दो वर्ष, विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने ग्राम खरेखड़ी में विकास कार्यों का किया शुभारंभ |  Ajmer Breaking News: राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित पीटीआई परीक्षा - 2022 में 10 लाख रुपए लेकर डमी कैंडिडेट के रूप में परीक्षा देने वाले को पुलिस ने किया गिरफ्तार,  |  Ajmer Breaking News: जवाहर रंगमंच के जीर्णोद्धार से फिर लौटेगी सांस्कृतिक रौनक, विधानसभा अध्यक्ष  वासुदेव देवनानी ने किया शुभारम्भ |  Ajmer Breaking News: अजमेर में अधिवक्ताओं का हंगामा: सड़क पर PWD अधिकारी को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, पुलिस ने बचाया: स्पीड ब्रेकर विवाद पर शहर में तनाव |  Ajmer Breaking News: राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) ने वर्ष 2026 की 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं का आधिकारिक टाइम टेबल जारी कर दिया है। |  Ajmer Breaking News: राज्य सरकार के 2 वर्ष,नव उत्थान-नई पहचान, बढ़ता राजस्थान-हमारा राजस्थान, शुक्रवार को विभिन्न गतिविधियों का हुआ आयोजन |  Ajmer Breaking News: राज्य सरकार के दो वर्ष ,नव उत्थान–नई पहचान,बढ़ता राजस्थान–हमारा राजस्थान,जिला स्तरीय महिला सम्मेलन समारोह पूर्वक आयोजित | 

विशेष: धनतेरस की कथा, महत्व एवम पूजन विधि

Post Views 11

October 30, 2020

इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की पूजा का है बड़ा महत्त्व

धनतेरस 


सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व माना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की पूजा का बड़ा महत्त्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व के बारे में स्कन्द पुराण में लिखा है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य धन्वंतरि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है।


धनतेरस के दिन खरीददारी 


मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है।  चूंकि जन्म के समय धन्वंतरि जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।


धनतेरस कथा


एक बार यमराज ने अपने दूतों से प्रश्न किया- क्या प्राणियों के प्राण हरते समय तुम्हें किसी पर दया भी आती है? यमदूत संकोच में पड़कर बोले- नहीं महाराज! हम तो आपकी आज्ञा का पालन करते हैं। हमें दया-भाव से क्या प्रयोजन?


यमराज ने सोचा कि शायद ये संकोचवश ऐसा कह रहे हैं। अतः उन्हें निर्भय करते हुए वे बोले- संकोच मत करो। यदि कभी कहीं तुम्हारा मन पसीजा हो तो निडर होकर कहो। तब यमदूतों ने डरते-डरते बताया- सचमुच! एक ऐसी ही घटना घटी थी महाराज, जब हमारा हृदय काँप उठा था।


ऐसी क्या घटना घटी थी? -उत्सुकतावश यमराज ने पूछा। दूतों ने कहा- महाराज! हंस नाम का राजा एक दिन शिकार के लिए गया। वह जंगल में अपने साथियों से बिछड़कर भटक गया और दूसरे राज्य की सीमा में चला गया। फिर वहाँ के राजा हेमा ने राजा हंस का बड़ा सत्कार किया।


उसी दिन राजा हेमा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया था। ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि यह बालक विवाह के चार दिन बाद मर जाएगा। राजा के आदेश से उस बालक को यमुना के तट पर एक गुहा में ब्रह्मचारी के रूप में रखा गया। उस तक स्त्रियों की छाया भी न पहुँचने दी गई।


किन्तु विधि का विधान तो अडिग होता है। समय बीतता रहा। संयोग से एक दिन राजा हंस की युवा बेटी यमुना के तट पर निकल गई और उसने उस ब्रह्मचारी बालक से गंधर्व विवाह कर लिया।  चौथा दिन आया और राजकुँवर मृत्यु को प्राप्त हुआ। उस नवपरिणीता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय काँप गया। ऐसी सुंदर जोड़ी हमने कभी नहीं देखी थी।  वे कामदेव तथा रति से भी कम नहीं थे। उस युवक को कालग्रस्त करते समय हमारे भी अश्रु नहीं थम पाए थे।


मराज ने द्रवित होकर कहा- क्या किया जाए? विधि के विधान की मर्यादा हेतु हमें ऐसा अप्रिय कार्य करना पड़ा। महाराज! -एकाएक एक दूत ने पूछा- क्या अकालमृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?  यमराज नेअकाल मृत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा- धनतेरस के पूजन एवं दीपदान को विधिपूर्वक करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है। जिस घर में यह पूजन होता है, वहाँ अकाल मृत्यु का भयभी नहीं फटकता।


इसी घटना से धनतेरस के दिन धन्वंतरि पूजन सहित दीपदान की प्रथा का प्रचलन शुरू हुआ।   इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।



© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved