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January 3, 2020
#मधुकर कहिन
नए साल के बहाने युवा पीढ़ी के साथ खिलवाड़
अजमेर में न्यू ईयर पार्टी आयोजन का बेशर्म धंधा जोरों पर
नरेश राघानी
पुराना साल जा रहा है और नया साल आ रहा है। हम नए और पुराने साल के अन्तरकाल में हैं। ज्योतिष में कहते हैं की अंतरकाल बड़ा रिस्की होता है । यानी की जब कुंडली में एक ग्रह की महादशा खत्म हो जाती है, और दूसरे की चालू होती है। उसके बीच का जो समय या कुछ पल शायद अंतर काल कहलाते हैं। और इस अन्तरकाल में हमें शांत बैठना चाहिए क्योंकि इस समय जो भी घटित होता है वह अक्सर अप्रतियाशित होता है। तो उसी तरह से पुराने साल के जाने और नए साल के आने के बीच का अंतर काल यानी की 31 तारीख की रात निश्चित तौर से हर साल सैकड़ों लोगों के लिए खुशियां मनाने के साथ साथ परेशानी का सबब भी बनती है। अब देखिए न !!! अखबार और सोशल मीडिया विज्ञापनों से भरा पड़ा है। फलाने होटल में 7000 का टिकट ले लो। या ढिकाने होटल में 5000 का पास ले लो। इस न्यू ईयर पार्टी में आ जाओ । खाना-पीना मौज मस्ती दारू सब कुछ इसी फीस के अंदर सम्मिलित है। युवा बच्चे मां बाप की परवाह छोड़ कर अपने साइज का युवक या युवती ढूंढने के लिए, दोस्तों से पैसे उधार लेकर, 31 दिसंबर को निकल पड़ते हैं इस उन्मादी रात को मनाने। खास तौर पर पुलिस के लिए ये बहुत बड़ी परेशानी का सबब बन जाता है। पुलिस वाले भी इंसान ही है भाई !!! ज़रा रहम करो इन पर भी। सारी रात बेचारे अपने बच्चों को घर पर छोड़ कर शहर भर में इन होटलों में चल रही नशीली पार्टियों और आयोजनों के आफ्टर इफेक्ट झेलने में लगे रहते हैं। युवा तो युवा आज कल संभ्रांत परिवारों के शादीशुदा जोड़े भी इस दौड़ में निकल पड़े हैं। कोई इन नए साल के नशे में चूर लोगों को यह क्यूँ नहीं समझता कि - *भाई !!! 4 घंटे ही तो निकालने हैं। इससे बेहतर है अपनी अपनी पसंद की मदिरा घर में मंगवा लो। और वहीं शांति से बैठ के पियो। या फिर अपने बच्चों और मां बाप के साथ दूध पीकर ही हैप्पी न्यू ईयर कर लो। न परिजनों को टेंशन न ही प्रशासन को टेंशन* ।
आज की इस उन्मादी पीढ़ी की मौज मस्ती वाली सोच का गलत इस्तेमाल कर पैसे कमाने वाले ऐसे आयोजको पर प्रशासन को लगाम लगानी चाहिए । उनको पाबंद किया जाना चाहिए की एक व्यवहारिक हद में रहकर इन आयोजनों को अंजाम दें। *31 दिसंबर की रात होने वाली दुर्घटनाओं और झगड़ों में जो जान माल का नुकसान होता है उसका जिम्मेदार इन आयोजको को क्यूँ न ठहराया जाए ? जो बस पैसा कमाने के लालच में 15 -20 दिन पहले से ही इन न्यू ईयर पार्टियों का विज्ञापन डाल डाल कर जवान बच्चों को उकसाते हैं* । कई सालों से देखता हूँ कि कुछ बच्चे अपने मां बाप की जेबों से चोरी करके , झूठ बोलकर और झगड़ कर माता पिता की मर्ज़ी के खिलाफ इन आयोजनों में जाकर खड़े हो जाते हैं। क्या ये इन पूंजीवादी आयोजनकर्ताओं द्वारा हमारे बच्चों के साथ खिलवाड़ नह हैं ?
*क्यों न ऐसे आयोजकों पर लगाम कसी जाए। क्यों ना भेजा जाए ऐसे आयोजकों को जेल ... अगर इनकी पार्टी में भारी रूप से मदिरा पीकर कोई युवा गाड़ी चलाता हुआ 31 दिसंबर की रात को मारा जाता है।* मैं तो कहूंगा इस देश में कानून बनना चाहिए ऐसे आयोजकों के खिलाफ जो कि पैसों की कुछ टुकड़ों के पीछे किसी और के बच्चे की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने में भी पीछे नहीं हटते। शायद उन्हें यह बात तब महसूस होगी जब उनके परिवार से कोई बच्चा ऐसी दुर्घटनाओं का शिकार होगा।
बात कड़वी सुनाई दे रही है न ??? लेकिन यही सच है।
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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