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December 4, 2019
#मधुकर कहिन 2194
विधायक वासुदेव देवनानी और डॉ बीपी सारस्वत की खींचतान में बेवजह उलझ रहे ABVP के छात्र नेता
एमडीएस विश्व विद्यालय के समारोह में नाराज़ दिखे वासुदेव देवनानी
नरेश राघानी
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में आज आयोजित नवनिर्वाचित छात्र संघ के कार्यकाल प्रारंभ होने के अवसर पर, आयोजित किया गया कार्यक्रम आज, बड़ी चर्चा का विषय बना । चर्चा या नहीं थी कि कौन नवनिर्वाचित अध्यक्ष है। या कौन पुराना अध्यक्ष चला गया। या फिर छात्र हित में कौन सी नई सोच सामने रखी गयी। जिस से छात्रों का भला हो सके। *आज की चर्चा का विषय कुछ अलग ही था।* राजस्थान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पुनिया इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिएअजमेर पधारे। छात्र संघ द्वारा काफी समय से इस कार्यक्रम की तैयारी की जा रही थी। *तैयारियों की आनन-फानन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की नवनिर्वाचित टीम के कर्ताधर्ता और संयोजक गण शायद अजमेर उत्तर के विधायक एवं पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी को आमंत्रण देना भूल गए । जिसका ध्यान उन्हें संभवत बहुत देर से आया। और देवनानी को शायद एन वक़्त पर निमंत्रण भेजा गया।* जिसकी वजह से देवनानी कार्यक्रम में आए तो सही परंतु *मंचासीन होने के लिए मना करने लगे।* अब यह तो भगवान ही जाने की बात में कितना सच है और कितना झूठ, *परंतु सुनाई यही दिया है* कि यह *सब खेल डॉ बी पी सारस्वत और वासुदेव देवनानी के मध्य लोकसभा चुनाव के समय से ही चलती खींचतान का परिणाम था।* जब देवनानी कार्यक्रम में आए तो वह जाकर दर्शकों के बीच में बैठ गए। *मौके की नजाकत भापते हुए* कार्यक्रम में मौजूद अजमेर लोकसभा के सांसद भागीरथ चौधरी ने नाराजगी निपटने का मोर्चा संभाला । चौधरी देवनानी के पास आये और उनसे मंचासीन होने का आग्रह करने लगे। जिस पर देवनानी ने कहा कि वह पूरा समय कार्यक्रम को नहीं दे पाएंगे, क्योंकि उन्हें जल्दी जाना है । फिर भी मान मनुहार करने पर अंततः देवनानी ने भागीरथ चौधरी की बात रख ली और मंचासीन हो गए ।
वहां मौजूद मीडिया कर्मियों छात्रों और अन्य लोगों ने यह दृश्य भली-भांति देखा और *यही चर्चा गर्म रही कि देवनानी के साथ, आखिर अनुशासन परायणता का ढोल पीटने वाली भाजपा जैसी पार्टी के भीतर , विधायक होते हुए भी इस तरह से सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है ?* यह तो वह दृश्य है जो वहां मौजूद लोगों को प्रत्यक्ष दिखाई दिया । परंतु इस दृश्य के पीछे *संभवतः* कहानी कुछ और है । वह कहानी शायद यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान डॉ सारस्वत अजमेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे। योग्यता के पैमाने पर भी *सारस्वत संगठन में खासी पकड़ रखते है। परंतु वासुदेव देवनानी ने अपना भरपूर सहयोग किशनगढ़ के तात्कालिक विधायक भागीरथ चौधरी को दिया ।* जिसके कारण पार्टी ने चौधरी को लोकसभा का टिकट प्रदान किया। चौधरी ने भी पार्टी द्वारा दिए गए सम्मान की लाज रखते हुए बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और सांसद बन गए । सो इस *बात से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता की भागीरथ चौधरी के सांसद बनने में वासुदेव देवनानी की महत्वपूर्ण भूमिका है।* स्वाभाविक है इस चीज से डॉ सारस्वत को जरूर पीड़ा पहुंची होगी । अब किसी को अगर पीड़ा होती है तो वह स्वाभाविक तौर से अपने इष्ट मित्रो, सहयोगियों और *आसपास के लोगों* से जरूर कहता है। *छात्र संघ से जुड़े लगभग सभी नेता है वह सब राजनैतिक तौर से डॉ सारस्वत वंशी कहलाते हैं । उन सब ने अपने नेता के अंतर्मन की भावना जानकर संभवत देवनानी के साथ यह सौतेला व्यवहार कर डाला ।* परंतु फिर भी भागीरथ चौधरी के हस्तक्षेप से यह मामला सुखद पटाक्षेप की तरफ बढ़ गया। आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया की मौजूदगी की वजह से प्रोटोकॉल वॉइस भाजपा अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा भी मौजूद थे । परंतु वह भी नीचे ही बैठे रहे और मंचासीन नहीं हुए।
*अंत में ... अपना तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नवनिर्वाचित छात्र लीडरों से यही कहना है कि - भैया !!! कुछ नहीं रखा इन बड़े नेताओं की खींचतान में । चुनकर आए हो तो छात्र हित में जी जान से काम करो । यह नेता जो आज आपको एक दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल करते हैं , यह आपके किसी काम नहीं आएंगे । इनको तो फिर मौका लगेगा तो मतलब के लिए एक हो जाएंगे। आपको अपना निजी जनाधार और अपनी मित्र मंडली और योग्यता ही लंबे राजनैतिक सफर में सफलता प्राप्ति करवाएगी।*
*फिर जब भी कोई बड़ा चुनाव लड़ने का मौका जीवन में आएगा तो भैया !!! पोस्टर पर यही लिखवाना होगा कि -*
*आपके अपने कर्मठ , ईमानदार युवा एवं जुझारू उम्मीदवार श्री XYZ को अपना अमूल्य मत एवं समर्थन देकर विजयी बनाएं।
*न कि -*
*देवनानी जी के दत्तक पुत्र या सारस्वत जी प्रखर शिष्य को अपना अमूल्य मत एवं समर्थन देकर विजयी बनाये
*अब सच तो है यही ... बाकी सब अपने अपने टैलेंट की बात है केवल मोह माया है ...*
*जय श्री कृष्ण*
प्रधान संपादक
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