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October 7, 2019
2174 # मधुकर कहिन
*कण कण में जा बैठा रावण ... इतने राम कहाँ से लाएँ ??*
*(विजय दशमी विशेष )*
नरेश राघानी
दिनभर विजयदशमी की तैयारियां होती हुई देख ,और *जहां से गुजरो वहां पर सड़क किनारे 10 सिर वाले कागज के रावण बनते हुए देख। दिमाग में रावण छा गया। और ऐसा छाया रहा कमबख्त कल रात को मेरे सपने में आ गया।* सपने में *रावण बहुत दुखी एक झील के किनारे , अपने हाथ और दस मूंह बारी बारी धोता हुआ सामान्य भाव में बहुत उदास दिखाई दिया ।* मैंने भीअभिवादन करके उसकी उदासी का कारण पूछते हुए रावण से पूछा - *क्यों दशानन जी कहां की तैयारी है ? मस्त नहा धोकर कहाँ जा रहे हैं ? आज तो दिन है आपका।* जिस पर रावण बड़ा दुखी होकर बोला - *काहे का दिन मधुकर जी !!! और किस बात की खुशी ?* देखता हूं की पौराणिक काल से लेकर अब तक लोग मुझे मेरी गलतियों की सजा दे रहे हैं। *मैंने तो सीता माता का हरण किया था और वह भी अपनी सगी बहन सूरणपंखा के अपमान का बदला लेने के लिए। जिस पर इतना भारी युद्ध खुल गया। मेरे पूरे कुटुंब और पूरे कुल की मर्यादा की चुनौती के सामने और राक्षस कुल के अस्तित्व बचाने के लिए मैंने यह युद्ध लड़ा। जो कि मैं हार गया।* स्वाभाविक है जो जीत जाता है वही इतिहास लिखता है। तब से लेकर आज तक देवता मेरे इन्हीं दोषों को मेरा निकृष्ट बताते हुए मुझे संसार का सबसे निकृष्ट प्राणी घोषित किये हुए हैं । तभी लोग आजतक मुझे दशहरे के दिन बुराई का प्रतीक के रूप में जलाते हैं। *जबकि आप देखें तो जो अपराध आज के कलयुगी रावण करते फिर रहे हैं उनका क्या ?*
*अगर बात पर स्त्री हरण की है तो मैं कम से कम आज के दुष्कर्मी और घटिया सोच रखने वाले गिरे हुए लोगों के जैसा नहीं था। जो किसी भी अबोध नाबालिग बालिका तक पर अपनी गंदी दृष्टि रखते हैं , और लोगों के बीच सरेआम खादी ओड़कर नेता बने फिरते हैं। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में धर्म का आडम्बर कर, चुनाव लड़ने का ख्वाब देखते हैं।* मैंने तो अपनी छोटी बहन सूर्पनखा के अपमान का बदला लेने के लिए पूरे कुल को दाव पर लगा दिया और श्री राम से युद्ध कर बैठा । जबकि यहां पर तो *नेता ऐसे हैं जो अपना कुल तो क्या परिवार और पूरे देश की भोली-भाली जनता के अधिकारों और हितों को दांव पर लगाकर अपना घर भरने में लगे हुए हैं।* मैंने तो मात्र भारत से लेकर श्रीलंका तक की दूरी पुष्पक विमान में तय की थी। *आज विजय मल्ल्या को नीरव मोदी को और ऐसे सैकड़ों चोरों को देखो कितने खुले आम जनता का पैसा चुराकर बड़े आराम से राजाओं से सांठगांठ कर दूसरे देशों में नई लंका बसाकर बैठ जाते हैं। फिर भी उनका कुछ नहीं होता।*
रावण भावुक होकर बोलै - *फिर आप दूर क्यूँ जा रहे हो मधुकर जी ??? अजमेर में ही देख ... लो स्मार्ट सिटी के नाम पर अरबों रुपए की राशि तुम्हारे शहर को सुंदर बनाने के लिए सरकारों द्वारा दी गई है। परंतु क्या वाकई वह राशि सिवाय आनासागर चौपाटी के अजमेर में कहीं लगी हुई दिखाई दे रही है ?? जहां से इस अकूत धन राशि का ढेर चलता है, वहाँ से जमीन पर आते आते एक चौथाई भी नहीं रह जाता । बीच में ही सैकड़ों रावण अपना मुंह मार मार कर जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा अपने घर ले जाते हैं ।* *अजमेर विकास प्राधिकरण* शहर के विकास के नाम पर किस तरह से मात्र आधा घंटा शहरवासियों से मिलकर , बाकी पूरा समय जनता के पैसे का किस तरह खुद उपयोग करना है ? जैसी योजनाओं पर चर्चा करते हुए प्राधिकरण के बाहर चाय के ठेले पर दलालों के साथ बतियाते हुए दिखाई देता हैं । *नगर निगम को देखो तो* वहां भी पैसे खाने वालों और भ्रष्टाचारियों का बोलबाला है । *निगम की आयुक्त चिन्मयी गोपाल* के चाहते हुए भी, किसी आदेश की पालना करवानी हो। तो उन्हीं के दफ्तर में बैठे हुए छोटे-मोटे राजेन्द्र, नरेंद्र, सुरेंद्र और पता नहीं किस-किस के दर पर आम आदमी को ठोकर कहानी पड़ती है ।
बात अगर *पुलिस प्रशासन* की करें, तो बेचारा अकेला पुलिस कप्तान कुंवर राष्ट्रदीप क्या क्या करेगा ? वह अकेला भगवान राम बनके अपने ही विभाग में व्याप्त सैकड़ों रावणों से तो नहीं निपट सकता न भाई !!!! फिर भी लगा रहता है ... अकेला ही आम आदमी की तकलीफ दूर करने में। पुलिस की रक्षा में। जब शहर के कण कण में मुझ से भी बदतर रावण जा बैठे हैं तो कोई सबसे निपटने हेतु इतने राम भला कहां से लाये ?? बाकी भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की तो पूछो ही मत ...
किसी कांग्रेसी से पूछ लो पंडित नेहरू के बारे में ... तो बस राहुल गांधी जिंदाबाद का नारा लगा देगा। अरे भाई नेहरू के बारे में बताएंगे कैसे ? क्योंकि कुछ पता ही नहीं है पंडित नेहरू के बारे में। कांग्रेस से ज्यादा तो भाजपा और आरएसएस को नेहरू के बारे में ज्ञान हो चला हैं । फिर *जिस राहुल गांधी की ये लोग ज़िंदाबाद कर रहे हैं वह तो सब कुछ छोड़छाड़ के बैंकाक घूम रहा है।*
*अजमेर की भाजपा देखो तो ऐसे व्यवहार करती है । जैसे अब तक उनका राज चल रहा हो।* यह जानते हुए भी कि उनके लिए हुए फैसले ऊपर अशोक गहलोत की चल रही सरकार में पूरी तरह से मान्य नहीं होंगे। लगी रहती है बस जनता को भ्रमित करने में , जैसे कि उनसे ज्यादा आम जनता का भला सोचने वाला कोई है ही नहीं। *देवनानी* को तो जैसे पूरी भाजपा खुद ही रावण का रूप मान बैठी है। और हर रोज़ मन के भीतर ही भीतर देवनानी का पुतला जलाकर आत्मिक शांति पा लेती है। क्योंकि वैसे खुले में तो कोई देवनानी का कुछ उखाड़ नहीं पाता। सब पीठ पीछे ही षड्यंत्र रचा रचा कर रह जाते हैं।
मेरा कौतुहूल देख कर रावण बोला - *मधुकर जी !!! तुम्हारा अजमेर तो इतना गजब का शहर है कि पूछो मत। पूरे देश में महात्मा गांधी की जयंती के नाम पर पॉलिथीन बैन कर दी गई है। परंतु देर रात भारी बारिश होने की वजह से मेरा पुतला जो पटेल मैदान में नगर निगम द्वारा खड़ा किया गया है, वह दशहरे से पहले बारिश से इतना भीग गया* कि, लोग फब्तियां कसने लगे- *कि इस साल रावण आखिर जलकर मरेगा या डूब कर ??*
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