For News (24x7) : 9829070307
RNI NO : RAJBIL/2013/50688
Visitors - 102259714
Horizon Hind facebook Horizon Hind Twitter Horizon Hind Youtube Horizon Hind Instagram Horizon Hind Linkedin
Breaking News
Ajmer Breaking News: अजमेर उत्तर में समाप्त होगी जलभराव की समस्या, योजना पर कार्य जारी- श्री देवनानी |  Ajmer Breaking News: 101 सरस छाछ की थैलियों का वितरण |  Ajmer Breaking News: हनुमान जन्मोत्सव की पूर्व संध्या 11 अप्रैल को बजरंग चोहराह पर शाम 5 बजे 7 बजे तक युवा कांग्रेस द्वारा भव्य व विशाल हनुमान चालीसा और भगवा दुपट्टा वितरण किया गया |  Ajmer Breaking News: हरिभाऊ उपाध्याय नगर में सड़क निर्माण से मिलेगी हजारों लोगों को राहत- श्री देवनानी |  Ajmer Breaking News: महात्मा ज्योतिबा फुले की 198वीं जयंती के अवसर पर अजमेर क्लब चौराहा स्थित ज्योतिबा फूले सर्किल पर सुबह से शुरू हुआ पुष्पांजलि का दौर रात तक रहा जारी,  |  Ajmer Breaking News: प्रदेश में ही तैयार किया जाना चाहिए, गीर गाय का सेक्स सॉर्टेड  सिमन- चौधरी  |  Ajmer Breaking News: जैन समाज के पंच कल्याणक महोत्सव में पुख्ता होंगी प्रशासन व पुलिस की व्यवस्था-श्री  देवनानी |  Ajmer Breaking News: सिन्धी भाषा दिवस, विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनानी ने किया पोस्टर का विमोचन |  Ajmer Breaking News: सिन्धी युवा संगठन ने सिन्धी भाषा दिवस पर रक्तदान शिविर का किया आयोजन |  Ajmer Breaking News: नसीराबाद सदर थाना में हुई युवक की हत्या के मामले में पुलिस ने मृतक की पत्नी सहित उसके प्रेमी दिव्यांग ई-मित्र संचालक को गिरफ्तार कर हत्याकांड से पर्दाफाश कर दिया है ।  | 
madhukarkhin

#मधुकर कहिन: हमेशा "जय श्री कृष्ण" लिख कर ही क्यूँ समाप्त करता हूँ मैं अपना ब्लॉग ?? आज श्री कॄष्ण जन्माष्टमी पर आपको बता रहा हूँ।*

Post Views 1081

August 23, 2019

हमेशा "जय श्री कृष्ण" लिख कर ही क्यूँ समाप्त करता हूँ मैं अपना ब्लॉग ?? आज श्री कॄष्ण जन्माष्टमी पर आपको बता रहा हूँ।* 

नरेश राघानी

आज जन्माष्टमी का दिन है। यह दिन दुनियाँ को यह बताने के लिए काफी है की ... *इस संसार में जो आता है वह भुगतने हीं आता है।* उत्तम आत्माएं जन्म मरण के चक्कर से परे यहाँ आती ही नहीं हैं। दुनियाँ के इस कटु सच का इससे बड़ा सबूत नहीं है कि *आज ही के दिन , जब तीनों लोकों के तारणहार , भगवान श्री कृष्ण को भी लोक कल्याण हेतु भूलोक में जन्म लेना पड़ा ... तो वह भी जेल के रास्ते भुगतते हुए ही इस संसार में आये।* 

मेरे कुछ *दुनिया से हटकर* मित्र हैं। जो किसी न किसी अपराध में *जेल यात्रा* करके आये हुए हैं। उनसे बात करता हूं तो वह अक्सर यह बात मज़ाक मज़ाक में कहते हुए सुनाई देते हैं कि - *मधुकर जी !! हम भाग्यशाली हैं कि हम दुनियाँ दारी में फेल होने के बहाने सही , भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली (जेल) होकर आए हैं।* उन्हीं ने हमें चुना है, इस दुर्गम अनुभव हेतु। वह चाहते है कि दुनियादारी के इस निम्नतम स्तर तक जाकर हम अनुभव करें कि यह कष्ट आखिर क्या है ? साथ यह तर्क भी देते है कि - *जब भगवान श्री कृष्ण तक को इस दुनियाँ में आते ही जेल नसीब हुई तो फिर हम क्या चीज़ हैं ?* 

*है न गज़ब का कृष्ण दर्शन ????* 

सचमुच ... दुनियादारी में फिट ना होने की वजह से कहिए या फिर कानून के हिसाब से ना चलने की वजह से कह दीजिए । लेकिन *जब श्री कृष्ण विचार एक जेल भुगते हुए कैदी तक को ऐसी आत्मसंतुष्टि प्रदान करता है , तो सोचकर यह लगता है कि कृष्ण दर्शन वाकई कमाल है !!!* 
अधिकांश लोगों को भगवान श्री कृष्ण के बारे में *महाभारत* तक ही मालूम है। या फिर कंस वध तक। जिसमें आम तौर पर भगवान श्री कृष्ण द्वारा उनके *मामा कंस के वध* तक की कथा ही प्रचलित है। बहुत कम लोग जानते हैं कि, कंस के वध के बाद कृष्ण को मथुरा में मामा कंस के पिता और उनके नाना *महाराज उग्रसेन ने वही रोक लिया था।* भगवान कृष्ण के नाना उग्रसेन की हार्दिक इच्छा थी कि *कृष्ण राजकार्य में अपना हाथ बटाएं। जबकि श्री कृष्ण का मन वृंदावन की ओर था।* परंतु कंस के साले *जरासंघ* को अपनी बहनों के सुहाग उजड़ने का बदला लेने की आग लगी हुई थी । जिसके चलते जरासंघ ने लगातार मथुरा पर *सैन्य हमले* करने की योजनाएं बनाना शुरू कर दिया था । ऐसे आलम में *कृष्ण अपने आप को अजीब परिस्थितियों में घिरा देख असहज महसूस कर रहे थे । क्योंकि वह खुद कभी भी बेवजह युद्ध के पक्षधर नहीं थे।* एक तरफ तो वृंदावन के लोगों के प्यार और राधा का मोह और दूसरी तरफ मथुरा वासियों के प्रति अपने कर्तव्य की पालना।

प्रसिद्ध *लेखक दीप त्रिवेदी* की किताब *मैं कृष्ण हूं* के अनुसार - कृष्ण ने अल्पकालीन समय के लिए इस अंतराल में मथुरा के *राजकार्य की खींच तान से खुद को दूर रखने का बहुत प्रयास किया था।* जिसके लिए उन्होनें अपने नाना महाराज उग्रसेन से राजकोष में से *100 गायों को पालने हेतु ऋण लेनें का निवेदन किया।* जो कि कृष्ण को बड़ी आसानी से महाराज उग्रसेन की कृपा से दे दिया गया। *भगवान श्री कृष्ण ने उन 100 गायों का लालन-पालन कर, उनके दूध से निर्मित मिठाई की दुकान तक मथुरा के बाजार में लगाई थी । जिसका संचालन ज्येष्ठ भ्राता बलराम और कृष्ण दोनों खुद किया करते थे* ।परंतु यह खुशी और संतुष्टि भगवान श्री कृष्ण को ज्यादा लंबी रास नहीं आई । और जब जरा संघ ने मथुरा पर जबरदस्त हमला बोला *तब भगवान श्रीकृष्ण को अपनी मिठाई की दुकान छोड़कर पुनः मथुरा वासियों की रक्षा हेतु अपने नाना का युद्ध में साथ देना पड़ा।* 

*मैं भगवान कृष्ण की जिंदगी के इस अध्याय की वजह से ही उन्हें अपना इष्ट मानता हूँ। क्योंकि मुझे लगता है कि जीवन में आप चाहे अपने मन से कुछ भी करना चाहें। आपको करना वही हो पड़ेगा जो कि आपके प्रारब्ध में लिखा है।* *आपकी इच्छा हरि इच्छा से सदैव मात खाती रहेगी।* फिर भगवान श्री कृष्ण ही जब इस दुनिया में आकर *युद्ध से दूर रहकर मिठाई बेचना चाहते थे और वह नहीं कर पाए।* परिस्थितियों ने उन्हें सैकड़ों राक्षसों का वध कर मानव कल्याण की तरफ मोड़ दिया। और *उनकी इच्छा मारी गयी।* तो जब *कृष्ण की ही इच्छा मारी गयी तो आपकी और मेरी इच्छा की क्या बिसात। तो बेहतर है सब कुछ हरि इच्छा पर छोड़ दिया जाए बस अपना कर्म किया जाए।* 

*इसलिए मैं मेरे हर ब्लॉग के अंत में "जय श्री कृष्ण" लिख कर सब कुछ हरि इच्छा पर छोड़ देता हूँ। और यकीन मानिए सब कुछ पार भी लग जाता है।* 

*आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाईयाँ।* 

*जय श्री कृष्ण* 


© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved