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#मधुकर कहिन: कलयुगी राजा की बेशर्म कहानी - भाग 2

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August 10, 2019

2155 #मधुकर कहिन 

कलयुगी राजा की बेशर्म कहानी - भाग 2

 *कली कली में शोर है*

*सोम राजा कुछ और है* 


नरेश राघानी


भाई डीठ पना तो कोई *सोम पूरी के राजा*  से सीखे।  अभी मुश्किल से डेढ़ महीना भी नहीं बीता है। जब उन पर एक नाबालिग बच्ची ने अश्लीलता करने के गंभीर आरोप लगाए थे । जिसके चलते वह परिजनों द्वारा जमकर पिटाई के भी शिकार हुए।

 यह बात और है कि अजमेर के न्यायालय ने उस नाबालिग बच्ची के अधिकारों को ताक में रखकर नेता जी को बेल दे दी । अब उस बेल याचिका को बच्ची के परिजनों ने राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है , जिस पर संभवतः अब तक विचार हो रहा होगा।

 इतने गंभीर आरोप लगने के बावजूद सोम राजा तेवर में कोई फर्क नहीं आया है । अभी हाल ही में कश्मीर से धारा 370 हटाने की खुशी के मारे , सोम राजा के भीतर व्याप्त खुशी मनाने का कीड़ा कुल बुलाने लगा। लेकिन इस कुलबुलाहट में वह शायद भूल गए , की उस बच्ची के परिवार पर क्या गुजर रही होगी ? 370 हटाए जाने के उपलक्ष्य में एक सोशल मीडिया फ़ोटो स्लाइड पे अपना चित्र लगाकर सोम राजा ने लिखा की - उन्हें कश्मीर की कली नहीं चाहिए , ना ही कोई प्लॉट चाहिए । बस किसी भी फौजी की देह  तिरंगे में लिपटकर घर ना पहुंचे।

 भाई !!!  बात तो बड़ी अच्छी कही है। लेकिन यह बात और संभ्रांत ढंग से कही जा सकती थी । इतनी अच्छी भावना के बीच कश्मीर की कली का जिक्र करना जापानी मानसिकता का चित्रण कर रहा है। इस स्लाइड में वह चाहे 370 के हटाए जाने का उत्सव मना रहे हो परंतु कली शब्द का इस्तेमाल जिस तरह से उन्होंने किया है ,उससे *यह दिखाई देता है कि सोम राजा 370 से ज्यादा खुद पर से  377 हटाए जाने का उत्सव मना रहे हैं।* यह स्लाइड  उस न्यायाधीश तक भी ज़रूर पहुंची होगी जिसने नाबालिग के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने के ऐसे घृणित आरोप लगने पर भी बेल फरमा दी है । मुझे देश की कानून व्यवस्था पर बहुत भरोसा है । क्योंकि इस देश में बड़े ही चमत्कारिक फैसले होते हुए दिखाई दिए हैं। कानून ने जब आसाराम जैसे संत को नहीं बख्शा तो फिर नेता जी की तो बिसात ही क्या है ? *सिर्फ बेल मिल जाना आरोप से मुक्त हो जाना नहीं है । मुकदमा चलना अभी बाकी है । सोम राजा जिस तरह से बेल मिलने को मुक्ति समझ के उत्सव मना रहे हैं, उसे सारा समाज खामोशी से टकटकी लगा कर देख रहा है। मुझे पूरा विश्वास है की देश का न्यायिक तंत्र भी उनके इस उत्सव मनाने के घटिया तरीके का देख रहा होगा। और इस तरीके का भी प्रसंग ज्ञान अंतर्मन में ले रहा होगा ।* कोई भी सोशल मीडिया पर वायरल होती इस स्लाइड को देखेगा , तो उसको भी बिल्कुल वैसा ही अजीब लगेगा जैसा मुझे लग रहा है।  सोम राजा को निर्दोष मानने वाले उनके मित्रों को भी अगर यह स्लाइड दिखाई जाए तो , उन्हें भी देखकर अजीब लगना चाहिए। और सोचना चाहिए कि वह आखिर किसी व्यक्ति के चरित्रवान होने की कसमें खा रहे हैं। 

 एक स्त्री को कली जैसे शब्द से संबोधित करने  वाले हमारे मित्र को , इस ब्लॉग के माध्यम से यह भी कहना चाहूंगा  कि-  *भाई !!! कली और काली मैं केवल एक मात्रा का फर्क है। कली को काली बनने में कोई बहुत ज्यादा वक़्त नहीं लगता है। इसलिए उम्र का लिहाज करें और अपनी भावनाओं को लिमिट में रखें । किसी का दिल इतना भी मत दुखाओ  की ईश्वर आपसे नाराज़ हो जाये। अपने कलयुगी प्रभाव का इस्तेमाल करके भले ही आपने उस कली का हौसला रौंद दिया है। कहीं ऐसा ना हो कि वह कली कल काली बनकर आप पर कहर बरसा बैठे।* 

 *याद रखें !!! ईश्वर सब देख रहा है ।* *और उसकी अदालत में बेल नहीं मिलती सीधा फैसला आता है।* 


जय श्री कृष्ण


नरेश राघानी

प्रधान संपादक 

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