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August 10, 2019
*सोम रत्न जी को काश्मीर की कली नहीं चाहिए....*
*सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
सोम रत्न आर्य पर मैं कुछ लिखना नहीं चाह रहा था, क्योंकि नजरों से गिरे हुए इंसान पर कुछ लिखना भी नहीं चाहिए ,मगर कल उनकी एक पोस्ट देखकर लगा कि मैं लिखे बिना नहीं रहा पा रहा।सोम रत्न आर्य वही है दोस्तों ! जिन पर एक अबोध नाबालिग बालिका के साथ अश्लील हरकतें करने का पोक्सो एक्ट के तहत मामला विचाराधीन है और वे कतिपय कारणों से फ़िलहाल ज़मानत पर रिहा हैं। हाईकोर्ट में मामला लंबित है। उन्होंने क्या किया यह वो ख़ुद भी जानते हैं ।ईश्वर भी जानता है। दुनिया भी जानती है और अब कानून भी जान लेगा ।हर जगह तालमेल या घालमेल नहीं चलता।
मित्रों !हाल ही में शहर के प्रभावशाली नेता (उनके वकीलों के मुताबिक़)सोम रत्न आर्य ने राष्ट्रीय भावना से परिपूर्ण पोस्ट जारी की ।ये पोस्ट वो और भी किसी भाषा मे व्यक्त कर सकते थे मगर उन्होंने कहा कि उनको कश्मीर की कली नहीं चाहिए न कश्मीर में प्लाट चाहिए। यानी कली चाहिए तो सरी मगर वह कश्मीर की नहीं चाहिए ,शायद उनको कली अजमेर की ही चाहिए। अभी भी उनकी देह में विकसित हुआ कीड़ा शांत नहीं हुआ है ।कश्मीर की कली में उनकी रुचि क्यों नहीं है ये सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए ।अब तो कश्मीर भारत का अभिन्न अंग घोषित भी हो गया है ।धारा 370 हट गई है। आसाराम बापू अब धारा 377 भी हटा दिए जाने के पक्ष में हैं।सोम रत्न जी भी चाहते होंगे की उन पर लगा पोक्सो एक्ट भी किसी तरह हटा दिया जाए।
पोस्ट को पढ़ने के बाद एक सवाल मेरे ज़ेहन में आया ।सोम रत्न जी कृपया ये बताएं कि कश्मीर की कली में कौनसे कांटे लगे हैं जो आपको नहीं चाहिए, या फिर आज कल आप डरने लगे हैं......मगर कलियों के मामले में तो आप कभी भी पीछे नहीं रहे। कली क्या आपने तो पुष्प गुच्छ और मालाओं से भी गुरेज़ नहीं किया।हर कार्यक्रम में आप का माल्यार्पण किया जाता रहा, पुष्प गुच्छ भेंट किए जाते रहे। आपने सभी को सहर्ष स्वीकार और अंगीकार भी किया। अब आपको कश्मीर की कली क्यों नहीं चाहिए ❓यह भी बता दीजिए कि फिर कहाँ की कली चाहिए❓ शायद आपके कहने का आशय कुछ और हो। आपकी उम्र तो अब कुछ भी अंगीकार करने लायक( शायद)न बची हो। आपको कलियों की जगह फूलों की अभिलाषा होनी चाहिए।
मेरे परदादा माखनलाल चतुर्वेदी ने एक कविता लिखी थी ।पुष्प की अभिलाषा। इसमें उन्होंने जाने वाले जवानों पर अपने बरसाए जाने की मंशा ज़ाहिर की है। पुष्प के मुंह से कहलाया गया है कि वे देश के जवानों पर बरसना पसंद करेंगे ।आप अगर बुरा ना माने तो आप से पूछुं कि आप अगर पुष्प होते तो आपकी क्या अभिलाषा होती❓पता नहीं कि आपकी अभिलाषा क्या होती नहीं मगर आपकी पोस्ट से यह जाहिर हो रहा है कि आप कश्मीर में प्लॉट या कश्मीर की कली में रस नहीं लेते।।
अजमेर की अबोध कली के बागवान से जम कर पिटने के बाद भी आपकी मानसिकता में कोई परिवर्तन नहीं आया है। और कोई होता तो अपने शेष बचे दिनों में प्रभु के गुण गाता मगर आप तो अभी भी कलियों जैसे शब्द के मोहपास में बंधे हुए हैं ।
राजगढ़ वाले छैला जी के यहां जा रहे हैं ।क्या वहां आपको सम्राट चंपालाल जी ने ये नहीं समझाया कि सुधर जाओ ।या उन्होंने आपको आश्वस्त कर दिया है कि कुछ भी करो वो तुम्हारे साथ हैं । तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा ।माननीय चंपालाल जी से मैं तुच्छ पत्रकार ये भी पूछना चाहता हूँ कि क्या आपके यहाँ समाज कंटको पर भी कृपा बरसती है❓ क्या लोग अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भी आपके यहाँ आते हैं ❓आपका मनोकामना स्तंभ क्या इसी काम के लिए बना है ❓जहां तक मैं समझता हूँ आदरणीय चंपालाल सेन जी क्या दुनिया का कोई तांत्रिक, साधु,संत,साधक किसी को उसके पाप से मुक्त नहीं करवा सकता। किए की सजा तो भुगतनी ही पड़ती है।चाहे मैं करूँ, सोम रत्न जी करें या ख़ुद आदरणीय चंपालाल जी।ये सत्य शायद चंपालाल जी जानते भी हैं ।वो चाहें तो मैं उन्हें याद भी दिला सकता हूँ।
सोम रत्न आर्य जी!!!!आप आईना देखना शरू करें।देवरे ढोकने से कुछ नहीं होगा।वक्त बुरा हो तो चुप होकर घर बैठ जाना चाहिए।बुरे वक्त में न कोई चंपा लाल जी काम आते हैं ना वक़ील लोग। कश्मीर की कली नहीं चाहिए इसकी घोषणा करने की ज़रूरत नहीं।यूँ भी आपको कश्मीर क्या माखुपुरा की कली भी मिलने वाली नहीं।कश्मीर की कली जिनको मिली उनके अनुभवों को भी जान लीजिए। कभी सचिन पायलट जी से पूछ लीजिएगा।
मेरी तो व्यक्तिगत राय है कि आप सारा ध्यान आदरणीया भाभी जी पर ही केंद्रित रखें।वही आपको सभी विपत्तियों से मुक्त करेंगी। बाक़ी आपकी मर्जी।
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