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July 2, 2019
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
*सोमरत्न*
श्री सोम रत्न आर्य को मैं बड़े सम्मान के साथ देखना चाहता हूँ । लेकिन दिल है कि मानता नहीं । पिछले दिनों से वो अख़बारों की सुर्खियां बने हुए हैं।वैसे भी ये शौक़ उनको तब से है जब से उनकी *रगों* में उछाल आने लगा होगा।रगों में उछाल आने की भी एक उम्र होती है मगर कई लोगों के रगें किसी भी उम्र में उछाल मार जाती हैं।सोम भाई जी की भी मार गयीं।
रगों में उछाल उसी तरह आता है जैसे भरे हुए पानी के टैंक का ढक्कन अचानक खोल दिया जाए।सोम रत्न जी वैसे तो अपने नाम से ही रत्न हैं मगर इस बार उनके रत्न को रेगमाल से रगड़ा जा रहा है।
उनकी रगों में अचानक आ गए उछाल को न जाने किस किस तरह से तोड़ा मरोड़ा जा रहा है।मुझे सबसे पहले सूचना मिली कि फ्लोरेंस अपार्टमेंट में कोई नेता जी को कूट दिया गया है।सच कह रहा हूँ भाई लोगों मुझे सपनों में भी ये ख़्याल नहीं था कि वो नेता जी अपने ख़ास मित्र सोम रत्न जी होंगे।
कुटने के बाद कोई भी व्यक्ति सबसे पहले पुलिस थाने जा कर रिपोर्ट लिखवाता है कि उसके साथ अमुख पुरुष या स्त्री ने हाथापाई की है।लोगों के ख़्याल से सोम रत्न जी को ऐसा ही करना चाहिये था मगर मैं ऐसा नहीं सोचता।जिनके नाम का शहर में सिक्का चलता हो,जिसके सू-सू से चराग़ जलते हों।।,जिनके लिए लोग इनडोर स्टेडियम में जान लुटाने को तैयार बैठे रहते हों,स्कूलों में जिनके साथ राष्ट्रीय गान गाया जाता हो।जिनके साथ बड़े बड़े नेता तस्वीर खिंचाते हों,उनको थाने चौकी काय कू जाना।चार लोग देखें तो मान मर्दन हो जाए।पुलिस वाले अनाप शनाप सवाल पूछें।किसने कूटा।क्यों कूटा।शरीर के किस किस हिस्सों में कूट नाशक चोटें आईं।मारने वाला था या वाली थी।अजी मत पूछो बाज़ पुलिस वाले तो ये तक पूछ लेते हैं कि नेता जी ,ये घटना पहली बार हुई या पहले भी होती रही है।
अच्छा हुआ जो भाई सोम जी ने संकट को सह लिया।पुलिस थाने नहीं गए।I personally appreciate this ...जब प्यार किया तो डरना क्या।जब जूत पड़ें तो करना क्या।
सोम भाई साहब आपने कहा कि जिसने आपके साथ सात्विक व्यवहार नहीं किया वो आपकी बेटी जैसी है।भाई जी ऐसा आपको नहीं कहना चाहिए था।बेटी कोई कूटती थोड़ी न है।अगर कूट दे तो बेटी तो हो ही नहीं सकती।बताओ शहर में कोई ऐसा महापुरुष है जिसे बेटी ने ही कूट दिया हो।या तो वो बेटी नहीं थी या फिर आपकी रगों में पिता का ख़ून डेयरी का दूध बन गया था।आपको कहना चाहिए था कि पता नहीं क्या ग़लतफ़हमी हुई कि एक छात्रा ने मना करने के बावज़ूद उनको कूट दिया।इस से कम से कम आप न भी बचे होते पर बेटी शब्द की पवित्रता तो बच जाती।
सोम रत्न जी निहायत शऱीफ जादे हैं।उनकी शराफ़त पर ज़्यादा बड़े सवाल कभी नहीं उठे।इस बार जो हुआ वो सोम रत्न जी ने किया हो ये मैं नहीं मानता।उन्होंने हज़ारों ईनाम जगह-जगह बांटे हैं।उनको क्या ज़रूरत पड़ी थी पंगा लेने की।वो भी वाक़ई बिटिया जैसी बच्ची के साथ।
मैं तो मानता हूँ कि जिसने ऐसा किया वो सोम रत्न जी नही। बल्कि उनकी देह में आशाराम जी जैसी आत्मा ने प्रवेश कर लिया था।ज़रूर कोई राम रहीम जैसे दुर्जन की आत्मा ने परकाया प्रवेश कर लिया था।वरना अपने सोम रत्न जी ने तो बिना किसी के चाहे तो पानी तक नहीं पिलाते ।वो ऐसा कैसे कर सकते थे।
अंत मे मैं उस दुरात्मा की निंदा करता हूँ जिसने हमारे भाई की निर्दोष देह में अतिक्रमण कर प्रवेश पा लिया।उन्हे ऐसा करने पर विवश कर दिया कि बेटी जैसे रिश्ते को ख़बर का हिस्सा बनना पड़े।ओम शांति।ईश्वर उनको माफ़ करना।वो नहीं जानते वो क्या कर रहे हैं या थे।
*सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
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