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August 24, 2018
मेरी नज़रों के आगे नूरानी मंज़र किसका है,
किसके हैं ये पर्वत झरने ,और समंदर किसका है.
जिसकी हथेली चाँदी की हो और लक़ीरें सोने की,
बता नज़ूमी नहीं है मेरा फिर ये मुक़द्दर किसका है. नज़ूमी =ज्योतिष
मंदिर ,मस्ज़िद,गिरजाघर हैं,और हैं ऊँचे गुरुद्वारे,
सब घर उसके ही हैं तो फिर दिल का ये घर किसका है.
नए दौर में मुझे यज़ीदों इतना तो बतलाओ तुम, यजीदों=हुसैन के हत्यारे
सच के साथ अगर मैं हूँ तो सूली पे सर किसका है.
इस बस्ती में कोई तो ईमान से ज़िन्दा है वरना,
जब सबके घर कांच के हैं तो हवा में पत्थर किसका है.
सबके चेहरों पर नक़ाब हैं अब किस यार से पूछूँ मैं,
दुश्मन घुटने टेक चूका तो पीठ पे खंजर किसका है.
अमन चैन और प्यार भरे ख़त गर तू भेजा करता था,
तेरे घर में खून से लतपथ फिर ये कबूतर किसका है.
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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