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April 3, 2018
ख़ुशबू वाली डगर है तू,
फूलों वाला नगर है तू.
क्यूँ अब होता है महसूस ,
जिधर भी मैं हूँ उधर है तू.
सिर्फ दुआएं रहती हैं,
किस फ़क़ीर का घर है तू.
मुझ पर आकर टिक क्यूँ गयी,,
आख़िर किसकी नज़र है तू.
दिल की ज़मी पे फैला है,
ये कैसा अम्बर है तू.
चल तो रहा हूँ मैं मुझमें,
लेकिन किसका सफ़र है तू.
दे आवाज़ बता मुझको ,
मैं तो यहाँ हूँ किधर है तू
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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