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February 2, 2018
मेरे प्यार को वो दुनिया में रुसवा करने वाला था,
जिसकी ख़ातिर ना जाने मैं क्या-क्या करने वाला था.
घर की हवा ने उस दीये को बुझा दिया ख़ामोशी से,
आंधी और तूफ़ानों से जो झगड़ा करने वाला था.
बिछड़ के भी हम जुदा ना होंगे चाहे जान चली जाए,
मैं उससे और वो मुझसे ये वादा करने वाला था.
मेरी प्यास को बादल छू कर देख रहे थे बरसों बाद,
लगा मुक़द्दर कुछ ना कुछ तो अच्छा करने वाला था.
जाने किस-किस की यादों में बसा रखे थे उसने घर,
जिसकी मैं यादों से अपना रिश्ता करने वाला था.
मेरा चेहरा लगा के जिसने सारी उम्र बिता डाली,
मुझको क्या मालूम था वो भी धोका करने वाला था.
उसी के हाथों के ख़ंजर से आख़िर मेरी मौत हुई,
जिसके लिए मैं अपनी जां का सौदा करने वाला था.
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