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December 21, 2017
सोच लेगा तू तो मैं तेरी रज़ा हो जाऊंगा.
मैं फकीरों की दुआ का सिलसिला हो जाऊंगा .
इक दफा कह दे कि तू है हान्सिले मंज़िल मेरी,
जिस्म से मैं रूह तक का रास्ता हो जाऊँगा.
बारगाहे इश्क की खुशबू हूँ मैं ,महसूस कर,
गर मुझे छूने कि ज़िद की तो हवा हो जाऊंगा.
जिस ग़ज़ल में तू मुसलसल बन के आयेगा रदीफ़ ,
उस गज़ल का मैं मुक्कमल काफ़िया हो जाऊंगा.
सूफ़ीयाना इश्क में है दिल फ़कीराना मेरा,
तुझमें शामिल अब किसी दिन शर्तिया हो जाऊंगा.
साँस गर लेती रही ,सांसों में मेरे बेखुदी ,
मैं फ़कीरों कि मजारों का दीया हो जाऊंगा.
नूर तेरा आ रहा है मेरे चेहरे पे नज़र ,
इस से ज़्यादा अ खुदा मैं और क्या हो जाऊंगा.
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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