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October 16, 2017
राजस्थान के रेतीले धोरों में लिग्नाइट के प्रचुर खनिज भंडार हैं, लेकिन राज्य और केन्द्र सरकार के ढुलमुल रवैए के चलते प्रदेश की अर्थव्यवस्था सुधार में मील का पत्थर साबित होने वाला लिग्नाइट को खोज के ढाई दशक बाद भी खनन का इंतजार है.
प्रदेश में लिग्नाइट की प्रचुर मात्रा का उपयोग ईंधन गैस उत्पादन में किया जा सकता है, जिससे राज्य सरकार को सालाना हजारों करोड़ का राजस्व प्राप्त हो सकता है. लेकिन, केन्द्र की अनदेखी और राज्य सरकार की ढिलाई के चलते प्रदेश का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं आ पा रहा.
प्रदेश के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकोनर, नागौर, जालौर और पाली जिले में लिग्नाइट खनिज के प्रचुर भंडार उपलब्ध हैं. प्रदेश के इन 6 जिलों के 62 ब्लॉक्स में 5703 मिलियन टन लिग्लाइट खनिज की मात्रा मौजूद है. इनमें सबसे ज्यादा लिग्नाइट की मात्रा बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर जिले में मिली है.
राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के बाड़मेर जिले के गिरल, कपूरड़ी और कुरला ईस्ट में लिग्नाइट का खनन शुरू भी किया गया था, लेकिन मापदण्डों के अनुरूप प्लांट की स्थापना नहीं होने के चलते लिग्नाइट में सल्फर की मात्रा ज्यादा होने के कारण खनन के दौरान प्लांट डेमेज हो जाता है, जिससे की लिग्नाइट का खनन बहुत ज्यादा कोस्टली पड़ रहा है.
पिछले कई सालों से गिरल प्लांट में राज्य सरकार ने लिग्नाइट का खनन बंद कर दिया है. प्रदेश में लिग्नाइट के प्रचुर भंडार तो हैं, लेकिन उसके खनन को लेकर राज्य सरकार की ओर से प्रयास नहीं होने से इस महत्वपूर्ण खनिज का उपयोग नहीं हो पा रहा.
खनिज के प्रचुर भंडार होने के बाद भी राज्य में लिग्नाइट से ईंधन गैस का उत्पादन प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पा रहा. प्रदेश में इसकी प्रचुर मात्रा को देखते हुए ईंधन गैस में उपयोग के लिए गैसीफिकेशन का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए 11 फरवरी 2016 को आईआईटी चैन्नई की ओर से राज्य सरकार को पत्र लिखा गया था.
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